देहरादून: उत्तराखंड में स्कॉटलैंड पुलिस की तर्ज पर तैयार की गई सीपीयू पुलिस की कार्यशैली पर लगातार उठ रहे सवालों के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय जल्द ही सीपीयू की समीक्षा करेगा. कांवड़ मेले के बाद फेरबदल कर नए सिरे से जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. राज्य में स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने व ट्रैफिक सुधार मामलों के लिए गठित की गई सिटी पेट्रोल यूनिट मात्र चालान काटने तक सीमित रह चुकी है.
बता दें, सीपीयू की जिम्मेदारी को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया जाएगा. ट्रैफिक कंट्रोल करने के साथ ही स्ट्रीट क्राइम, ड्रंक एंड ड्राइव और छोटे अपराधों अंकुश लगाने की जिम्मेदारी तय की जाएगी. इसकी हर महीने समीक्षा की जाएगी. इस दौरान अपना काम ठीक से न करने वालों कों टीम से हटाकर सिविल पुलिस में स्थानांतरण कर दिया जाएगा.
डीजी अशोक कुमार ने भी माना है कि सीपीयू अपनी विशेषता से हटकर कार्य कर रही है. यह देखा गया कि सीपीयू ट्रैफिक एनफोर्समेंट और चालान काटने में ही ड्यूटी निभा रही है, जबकि सीपीयू का गठन मूल रूप से स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए किया गया था. वर्तमान में देखा नहीं जा रहा है. शहरों में चेन स्नेचिंग, टप्पेबाजी, रैश ड्राइविंग जैसे अन्य छोटे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सीपीयू की जिम्मेदारी तय की गई है. लेकिन इन मूल जिम्मेदारियों को छोड़ सीपीयू ट्रैफिक इंफोर्समेंट में चालान काटने तक सीमित नजर आ रही है.
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डीजी ने बताया कि नई जिम्मेदारियों वाली सीपीयू की मॉनिटरिंग मुख्यालय स्तर पर की जाएगी और किसी तरह की कमी पाए जाने पर जिम्मेदार सीपीयू कर्मी को तत्काल टीम से हटाकर सिविल पुलिस में भेजा जाएगा.