देहरादून: उत्तराखंड में साइबर अपराध को लेकर भले ही पुलिस तमाम अभियान चलाएं और दावे करें, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में साइबर अपराध पर नियंत्रण के मामले में राज्य पुलिस फेल होती नजर आ रही है. ऐसा पिछले कुछ समय में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को देखकर कहा जा सकता है. बड़ी बात यह है कि खुद उत्तराखंड पुलिस भी ऐसे साइबर हमले का शिकार हो रही है. एक के बाद एक पुलिस के फेसबुक पेज हैक किए जाने के मामले सामने आए हैं. ताजा मामला उत्तराखंड की चमोली पुलिस से जुड़ा है. चमोली पुलिस के फेसबुक पेज को साइबर अपराधियों ने हैक किया है. हैरानी की बात यह है कि करीब 10 दिन पहले साइबर अपराधियों ने चमोली पुलिस के फेसबुक पेज को हैक किया, इतने दिनों के बाद भी अब तक यह पेज रिकवर नहीं हो पाया है.
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने चमोली एसपी रेखा यादव से बात की. उन्होंने कहा 6 दिसंबर को चमोली पुलिस के पेज के हैक होने की शिकायत कर दी गई थी. जिस पर काम चल रहा है. इस मामले में हमने एफआईआर दर्ज करने का सवाल किया. जिस पर चमोली एसपी रेखा यादव ने पहले मना किया, फिर उन्होंने कहा आज इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है. इतने दिन बीतने के बाद मुकदमा दर्ज करने पर चमोली एसपी रेखा यादव कहती हैं अब तक इस फेसबुक पेज पर कोई मूवमेंट नहीं थी. अब इस पर कुछ अश्लील फोटोज डाले गए हैं. जिसके बाद मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है.
पढे़ं- उत्तराखंड: साइबर क्राइम में 150 फीसदी की बढ़ोतरी, 16 महीने में 52 करोड़ से अधिक की ठगी
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब उत्तराखंड पुलिस के किसी फेसबुक पेज को इस तरह हैक किया गया है. इससे पहले अक्टूबर महीने में ही किसी जिले नहीं बल्कि उत्तराखंड पुलिस के ही फेसबुक पेज को हैक किया गया था. इसके बाद इस पेज पर अश्लील तस्वीरें अपलोड की गई. ऐसे में अब पुलिस विभाग के अधिकारी कहते हैं ऐसे साइबर अपराधों को लेकर पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इन साइबर अपराधों का पता लगाना मुश्किल होता है, लिहाजा इसमें उत्तराखंड पुलिस की साइबर से जुड़ी टीम इस तरह के मामलों को देख रही है.
पढे़ं- CYBER CRIME पर बड़ा खुलासा, सरकारी छुट्टी वाले दिन हो रही सबसे ज्यादा ठगी
उत्तराखंड पुलिस लगातार साइबर अपराध को लेकर अभियान चलाती रहती है. मगर हकीकत यही है कि साइबर अपराधों से बचने के लिए जागरूकता ही एकमात्र जरिया है. इसके अलावा उत्तराखंड पुलिस के पास इससे बचने का कोई रास्ता भी नहीं दिखाई देता. जब पुलिस खुद को ही साइबर अपराधों से नहीं बचा पा रही है तो फिर वह जनता को इससे कैसे बचा पाएगी, ये अपने आप में बड़ा सवाल है.