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प्रवासियों को उत्तराखंड लाना आसान नहीं, सरकार के लिए होगी ये बड़ी चुनौति

उत्तराखंड के बाहर अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को प्रदेश वापस लाने के लिए सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है, लेकिन किस तरह से दूसरे राज्यों के साथ सामंजस्य से बैठाया जाएगा और किस तरह से यह काम बिना संक्रमण के जोखिम के हो पाएगा? इस तरह की कई चुनौतियां सरकार के सामने हैं.

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सचिवालय
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Published : Apr 30, 2020, 3:44 PM IST

देहरादूनः लॉकडाउन के चलते राज्य से बाहर फंसे प्रवासियों को लेकर उत्तराखंड सरकार ने राहत दी है. अब सभी प्रवासियों को वापस लाने की कवायद तेज हो गई है. वहीं, उत्तराखंड में फंसे बाहरी राज्यों के लोगों को भी उनके प्रदेश भेजने की प्रक्रिया की जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं. आइए आपको बताते हैं क्या चुनौतियां होंगी?

उत्तराखंड के बाहर अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को प्रदेश वापस लाने के लिए सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है, लेकिन किस तरह से दूसरे राज्यों के साथ सामंजस्य से बैठाया जाएगा और किस तरह से यह काम बिना संक्रमण के जोखिम के हो पाएगा? यह एक बड़ा सवाल है.

ये भी पढ़ेंः प्रवासियों की घर वापसी का रास्ता साफ, रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक जारी

सरकार के सामने रहेंगी ये चुनौतियां-

दो राज्यों की सरकारों के बीच समन्वय

देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों की घर वापसी के लिए संबंधित राज्य और उत्तराखंड के अधिकारियों के बीच सामंजस्य की बेहद जरूरत होगी. ऐसे में अलग-अलग राज्यों से किस तरह से उत्तराखंड सरकार समन्वय करती है और अलग-अलग विषयों पर किस तरह से बातचीत होती है. यह इस प्रक्रिया का एक प्रमुख घटक होगा.

बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को कैसे लाया जाएगा?

उत्तराखंड से बाहर लोग अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग शहरों और अलग-अलग मोहल्लों में मौजूद हैं. ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि इन लोगों को कैसे लाया जाएगा? जबकि बसों या अन्य वाहनों के माध्यम से हर एक जगह पर जाना संभव नहीं है. जबकि, लोगों को लाने के लिए एक जगह पर मौजूद होने चाहिए, लेकिन यह बिना सोशल डिस्टेंसिंग के कैसे संभव होगा? यह भी एक बड़ा सवाल है.

हजारों की संख्या में लोगों को क्वारंटाइन करना होगा

उत्तराखंड के बाहर से आने वाले लोगों की संख्या हजारों में होगी. ऐसे में प्रदेश में प्रवेश करने के बाद इन लोगों को क्वारंटाइन करना होगा, लेकिन यह भी सवाल है कि इन लोगों को किस तरह से क्वारंटाइन किया जाएगा. होम क्वारंटाइन या फिर इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन.

वहीं, होम क्वारंटाइन किया जाता है तो इन्हें प्रदेश के अलग-अलग जगह पर मौजूद उनके घरों में छोड़ना होगा. जबकि, इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन की स्थिति में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए क्या प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं? यह भी एक बड़ा सवाल है.

दूसरे राज्यों के लोगों को कैसे पहुंचाएंगे?

सवाल केवल बाहर से आने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों का ही नहीं है. सवाल उन लोगों का भी है जो कि उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं. हालांकि, सरकार इन लोगों को उनके घर छोड़ने की कवायद में जुट गई है. ऐसे में ये भी सवाल है कि इन लोगों को कैसे भेजा जाएगा?

क्या उन राज्यों के वाहन इन्हें लेने आएंगे या फिर उत्तराखंड सरकार अपने वाहनों में इन्हें छोड़ेगी. क्या इन्हीं वाहनों में उस राज्य में फंसे उत्तराखंड के लोगों को लाया जाएगा. इस तरह के कई ऐसे चैलेंज है, जो कि सरकार को पार करने होंगे.

देहरादूनः लॉकडाउन के चलते राज्य से बाहर फंसे प्रवासियों को लेकर उत्तराखंड सरकार ने राहत दी है. अब सभी प्रवासियों को वापस लाने की कवायद तेज हो गई है. वहीं, उत्तराखंड में फंसे बाहरी राज्यों के लोगों को भी उनके प्रदेश भेजने की प्रक्रिया की जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं. आइए आपको बताते हैं क्या चुनौतियां होंगी?

उत्तराखंड के बाहर अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को प्रदेश वापस लाने के लिए सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है, लेकिन किस तरह से दूसरे राज्यों के साथ सामंजस्य से बैठाया जाएगा और किस तरह से यह काम बिना संक्रमण के जोखिम के हो पाएगा? यह एक बड़ा सवाल है.

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सरकार के सामने रहेंगी ये चुनौतियां-

दो राज्यों की सरकारों के बीच समन्वय

देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों की घर वापसी के लिए संबंधित राज्य और उत्तराखंड के अधिकारियों के बीच सामंजस्य की बेहद जरूरत होगी. ऐसे में अलग-अलग राज्यों से किस तरह से उत्तराखंड सरकार समन्वय करती है और अलग-अलग विषयों पर किस तरह से बातचीत होती है. यह इस प्रक्रिया का एक प्रमुख घटक होगा.

बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को कैसे लाया जाएगा?

उत्तराखंड से बाहर लोग अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग शहरों और अलग-अलग मोहल्लों में मौजूद हैं. ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि इन लोगों को कैसे लाया जाएगा? जबकि बसों या अन्य वाहनों के माध्यम से हर एक जगह पर जाना संभव नहीं है. जबकि, लोगों को लाने के लिए एक जगह पर मौजूद होने चाहिए, लेकिन यह बिना सोशल डिस्टेंसिंग के कैसे संभव होगा? यह भी एक बड़ा सवाल है.

हजारों की संख्या में लोगों को क्वारंटाइन करना होगा

उत्तराखंड के बाहर से आने वाले लोगों की संख्या हजारों में होगी. ऐसे में प्रदेश में प्रवेश करने के बाद इन लोगों को क्वारंटाइन करना होगा, लेकिन यह भी सवाल है कि इन लोगों को किस तरह से क्वारंटाइन किया जाएगा. होम क्वारंटाइन या फिर इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन.

वहीं, होम क्वारंटाइन किया जाता है तो इन्हें प्रदेश के अलग-अलग जगह पर मौजूद उनके घरों में छोड़ना होगा. जबकि, इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन की स्थिति में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए क्या प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं? यह भी एक बड़ा सवाल है.

दूसरे राज्यों के लोगों को कैसे पहुंचाएंगे?

सवाल केवल बाहर से आने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों का ही नहीं है. सवाल उन लोगों का भी है जो कि उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं. हालांकि, सरकार इन लोगों को उनके घर छोड़ने की कवायद में जुट गई है. ऐसे में ये भी सवाल है कि इन लोगों को कैसे भेजा जाएगा?

क्या उन राज्यों के वाहन इन्हें लेने आएंगे या फिर उत्तराखंड सरकार अपने वाहनों में इन्हें छोड़ेगी. क्या इन्हीं वाहनों में उस राज्य में फंसे उत्तराखंड के लोगों को लाया जाएगा. इस तरह के कई ऐसे चैलेंज है, जो कि सरकार को पार करने होंगे.

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