ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में हृदय गति रुकने से मौत की नींद सोए पांच दिन के नवजात का शव माता-पिता ने दिल पर पत्थर रख दान कर दिया है. लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि और मोहन फाउंडेशन के सहयोग से नवजात के शव को देहरादून स्थित ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज को दिया गया है. मेडिकल कॉलेज में नवजात के शव पर रिसर्च किया जाएगा.
उत्तरकाशी के मनोज लाल और विनीता देवी ने पेश की मिसाल: दरअसल, उत्तरकाशी निवासी मनोज लाल और विनीता देवी ने नवजात के शव को दान कर जो मिसाल समाज के सामने पेश की है, उसे लोग जिंदगी भर याद रखेंगे. बता दें कि उत्तरकाशी के अदनी रौंतल गांव के निवासी और पेशे से ड्राइवर मनोज लाल की पत्नी विनीता देवी ने बीती 6 जनवरी को एक पुत्र को जन्म दिया था. जन्म के बाद नवजात को सांस लेने में तकलीफ हुई. ऐसे में उन्होंने 7 जनवरी को नवजात को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया.
हृदय गति रुकने से नवजात ने तोड़ा दम: एम्स के डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि नवजात की सांस लेने और खाने की नली आपस में चिपकी हुई है. ऐसे में सहमति मिलने पर डॉक्टरों की टीम ने नवजात का ऑपरेशन किया, लेकिन हृदय गति रुकने से नवजात ने दम तोड़ दिया. इस दुख की घड़ी में नवजात के अंतिम संस्कार को लेकर पिता मनोज लाल ने मुक्तिधाम समिति के सेवादार अनिल कक्कड़ से संपर्क किया.
सेवादार अनिल कक्कड़ ने मनोज लाल को बताया कि नवजात का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता. बल्कि, उसे या तो जमीन में दबाया जाता है या फिर गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है. मनोज लाल ने इसके अलावा ऑप्शन पूछा तो अनिल कक्कड़ ने जनहित में नवजात का शव मेडिकल कॉलेज को दान करने की सलाह दी.
मनोज लाल को बेटे को खोने का गम, जनहित में किया दान: मनोज लाल ने अपने गांव में परिजनों से बात कर नवजात का शव दान करने का निर्णय लिया. मनोज लाल ने बताया कि बेटे को खोने का गम तो बहुत है, लेकिन दिल पर पत्थर रख उन्होंने नवजात बेटे का शव जनहित के लिए मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया है.
लायंस क्लब के सहयोग से कराई जा चुकी 4 देहदान: वहीं, लायंस क्लब के अध्यक्ष गोपाल नारंग और मोहन फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रोजेक्ट लीडर संचित अरोड़ा ने बताया कि नवजात का शव ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को दिया गया है. अब तक क्लब के सहयोग से चार देहदान कराई जा चुकी है. जबकि, 11 व्यक्तियों ने मरने के बाद देहदान करने का संकल्प पत्र भरा हुआ है.
ये भी पढ़ें-
- देश में पहली बार उत्तराखंड में हुआ ढाई दिन की बच्ची का देहदान, हार्ट प्रॉब्लम से हुई थी मौत
- सचिन सांसें थमने से पहले दे गया 3 लोगों को नया जीवन, पहली बार कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन
- मां की ममता...32 साल के बेटे को बचाने के लिए दी अपनी किडनी
- मरने के बाद भी खुशी की आंखें देखती रहेंगी दुनिया, पिता ने लिया बड़ा फैसला