देहरादून: पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा करते हुए फिर एक बार BJP ने उन्हें सूबे की कमान सौंपी है. ऐसे में पुष्कर सिंह धामी के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी. हालांकि चुनौतियों का जिक्र भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किया है. सरकार के सामने इन चुनौतियों को जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य भी होगा. इसके साथ ही सरकार के नए मुखिया की राह निष्कंटक भी नहीं होगी. यद्यपि, 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' भाजपा का मूलमंत्र है और नए मुखिया को इस कसौटी पर खरा उतरने की सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं योजनाओं की गति बढ़ाने के साथ ही नई योजनाओं के चयन को लेकर भी नए मुखिया को खास सतर्कता बरतनी पड़ेगी.
आय के साधन तलाशने होंगे: उत्तराखंड में ऐसे कई विकास कार्य ऐसे हैं जिन पर सरकार को ज्यादा काम करने हैं. चुनाव के दौरान भाजपा ने भी अपने कई वायदों को सामने रखकर जनता के समर्थन को हासिल किया था. लिहाजा अपने घोषणापत्र के माफिक वायदों को पूरा करना तो पार्टी के सामने चुनौती है ही साथ ही आने वाली परीक्षाओं का सामना करना भी सरकार के सामने चुनौती होगा. सरकार के सामने आने वाली चुनौतियां जिनसे नई सरकार को पार पाना होगा, उत्तराखंड के वित्तीय हालातों का सामना करना और राजस्व को लेकर नए रिसोर्सेज खड़े करना हैं.
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चुनौतियों का अंबार: दरअसल 2022 में जीएसटी क्षतिपूर्ति की जाएगी और राज्य के सामने योजनाओं को आगे बढ़ाना ही बड़ी चुनौती होगा. आगामी पंचायत चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लाना भी सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगा. गर्मी आते ही प्रदेश में वनों में लगने वाली आग को लेकर सरकार की कार्य योजना को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करना सरकार की बड़ी चुनौती होगी. दरअसल, वनाग्नि की इस साल ज्यादा आशंका है. लिहाजा वनों में लगने वाली आग पर काबू पाना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती रहेगा.
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चुनाव के दौरान बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहा है. ऐसे में सरकार के लिए मौजूदा स्थिति में सबसे पहले रोजगार को लेकर एक सकारात्मक संदेश जनता के बीच देना होगा और इंडस्ट्रीज को विदेश में कैसे लाया जाए, इसके लिए कोई रोड मैप भी तैयार करना होगा. उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के खराब हालात भी बड़ा मुद्दा रहा है. इस मामले को लेकर चुनाव के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने रहे हैं. लिहाजा ग्राम स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगा और स्वास्थ्य कर्मियों के ढांचे को तैयार करना भी बड़ी चुनौती होगा.
सरकार की चुनौतियां बस यहीं तक नहीं हैं. इसके अलावा प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करना सरकार के लिए बेहद जरूरी होगा. अब सरकारी विद्यालयों की स्थिति को सुधारना और यहां बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी करना भी इन चुनौतियों में से एक होगा.