देहरादूनः उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 20 नवंबर को टिहरी में बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत आयोग, लोगों को बाल अधिकार के प्रति जागरूक करेगा. साथ ही इस साल बाल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य 'साइबर क्राइम के प्रति बच्चों में चेतना और नशा मुक्ति के प्रति जागरूक' करना है. इसके साथ ही बच्चों को जिला स्तर पर भी जागरूक करने की रूपरेखा तैयार की गई है.
ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि उत्तराखंड की पुलिस साइबर क्राइम को लेकर बहुत सचेत है. लेकिन साइबर क्राइम की वजह से ना सिर्फ समाज प्रभावित हो रहा है. बल्कि बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. इसके साथ ही कोविड के समय से बच्चों के हाथ में गया मोबाइल वापस लेना एक बड़ी चुनौती बन गया है. ऐसे में इस चुनौती से निपटने के लिए अभिभावकों को बड़ा पहल करने की जरूरत है.
बाल संरक्षण आयोग करेगा वर्कशॉप: बाल आयोग की ओर से गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गीता खन्ना ने कहा कि आयोग ने पिछले दो सालों में जो काम किया है, आगे क्या करना बाकी है और भविष्य में आयोग क्या-क्या करने जा रहा है, इसकी जानकारियां सरकार के साथ साझा की जाएगी. इसके साथ ही बाल संरक्षण आयोग एक वर्कशॉप कराने जा रहा है. जिसमें रोड सेफ्टी, सेक्स एजुकेशन, नशा मुक्ति, साइबर क्राइम, बॉडी इमेज इश्यू समेत 7 बिंदुओं पर फोकस करते हुए चर्चा की जाएगी. ताकि बच्चों के भविष्य निर्धारण पर विशेष जोर दिया जा सके.
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शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों की होनी चाहिए विजिलेंस जांच: गीता खन्ना ने आगे कहा, तमाम शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण किया गया है. जिसमें यह पता चला है कि शिक्षण संस्थाओं में जो बच्चों का शिक्षण हो रहा है, उनमें से तमाम संस्थानों के प्रबंधक का आचरण, शिक्षण संस्थान चलाने योग्य नहीं है. ऐसे में प्रबंधक की विजिलेंस जांच होनी चाहिए. ताकि बच्चों के शोषण पर लगाम लगाई जा सके. वर्तमान समय में डिफेंस के नाम पर देहरादून एक 'मिनी कोटा' बनता जा रहा है. क्योंकि, कोचिंग इंस्टीट्यूट के लिए कोई नियमावली नहीं है. ऐसे में बाल आयोग ने नियमावली तैयार करने के लिए शासन को पत्र लिखा है.
आयोग ने उठाए तमाम कदम: आयोग की अध्यक्ष गीता ने कहा कि पिछले दो साल में आयोग ने तमाम महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. इसके तहत, बाल विधानसभा का गठन, बच्चों पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए स्कूलों में निरीक्षण अभियान चलाया गया है. इसके साथ ही जिन स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था और टॉयलेट की व्यवस्था की स्थिति खराब दिखी. ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई का नोटिस भी दिया गया है. नाबालिगों के वाहन चलाने पर रोक के लिए आरटीओ से बातचीत के साथ ही स्कूलों में रोड सेफ्टी की जानकारी देने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं.
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