देहरादून : सीबीआई ने एम्स ऋषिकेश में हुए रोड स्वीपिंग मशीन और दवा खरीद में करोड़ों के घोटाले में पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. केमिस्ट शॉप के आवंटन में टेंडर प्रक्रिया में भी करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था. इन सब को लेकर सीबीआई ने तत्कालीन माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर समेत नौ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.
बता दें साल 2022 में सीबीआई को एम्स में मशीनों और मेडिकल स्टोर के आवंटन में घोटाले की सूचना मिली थी. सीबीआई की टीम ने 3 फरवरी 2022 को एम्स ऋषिकेश में दबिश दी. यह कार्रवाई सात फरवरी 2022 तक चली. उसके बाद टीम ने 22 अप्रैल 2022 को फिर से टीम एम्स पहुंची. कई दस्तावेज खंगालने के बाद स्वीपिंग मशीन खरीद और मेडिकल स्टोर आवंटन में 4.41 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया. इसके बाद सीबीआई ने एम्स के पांच अधिकारियों समेत नौ लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गये.
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जांच में पता चला कि स्वीपिंग मशीन खरीदने के लिए एम्स में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. कमेटी में डॉ. बलराम जी ओमर, डॉ. बृजेंद्र सिंह, डॉ. अनुभा अग्रवाल, दीपक जोशी और शशिकांत शामिल थे. निविदा प्रक्रिया में घपलेबाजी करते हुए कमेटी ने योग्य कंपनी को बाहर करते हुए अयोग्य कंपनी को टेंडर दिया. दो करोड़ रुपये की मशीन खरीदी, जो कुछ ही घंटे ही चली. इसी तरह एम्स में केमिस्ट की दुकान का टेंडर आवंटित करने में अनियमितता बरती गई. टेंडर प्रक्रिया के विपरीत मैसर्स त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को टेंडर आवंटित किया गया. मुकदमे की जांच के बाद अब सीबीआई ने दो जनवरी को माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. बलराम ओमर, एनाटॉमी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शाशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इन सभी पर धोखाधड़ी,आपराधिक षड़यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप है.