देहरादून: इन दिनों क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) फिर से सुर्खियों में है, सीधे तौर पर नहीं लेकिन एसोसिएशन से जुड़े एक पदाधिकारी के कारण. दरअसल, ये मामला चमोली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव पद से सस्पेंड क्रिकेट कोच नरेंद्र शाह से जुड़ा मामला है. नरेंद्र शाह भारतीय क्रिकेटर स्नेह राणा के कोच भी रह चुके हैं, लेकिन आज उनकी पहचान बतौर कोच कम और ट्रेनी महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न करने वाले आरोपी के रूप में ज्यादा हो रही है. गौर हो कि, ये पहली बात नहीं है जब सीएयू से जुड़ा कोई शख्स विवाद में आया हो. इससे पहले भी कई ऐसे विवाद और मामले रहे हैं, जिनको लेकर क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पर आरोप लगे हैं.
CAU को बीसीसीआई से मान्यता: बता दें कि उत्तराखंड गठन के 18 साल बाद 13 अगस्त 2019 को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता मिली थी, जिसके बाद से क्रिकेट में अपना भविष्य बनाने की चाहत रखने वाले युवाओं में खुशी का ठिकाना नहीं था. क्योंकि अब प्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ियों को किसी अन्य राज्यों के एसोसिएशन के साथ जुड़ने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता. लेकिन जिस मकसद से सीएयू का गठन किया गया और उसे बीसीसीआई से मान्यता मिली थी, वो पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है. आलम यह है कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड अपनी उपलब्धियों के लिए कम और विवादों के लिए ज्यादा सुर्खियों में रहा.
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4 साल में CAU का विवादों से नाता: वर्तमान स्थिति यह है कि सीएयू को 4 साल का कार्यकाल होने वाला है, लेकिन 4 साल के कार्यकाल के दौरान कई मामलों को लेकर एसोसिएशन विवादों से घिरा रहा. वर्तमान समय में भी सीएयू से जुड़ा एक मामला सुर्खियों में बना हुआ है. दरअसल, जिला क्रिकेट एसोसिएशन चमोली के सचिव रहे नरेंद्र शाह ने बीते 25 मार्च को आत्महत्या की कोशिश की थी. इसकी वजह ये ऑडियो का वायरल होना बताया जा रहा था. ये जानकारी सामने आई थी कि उस ऑडियो में नरेंद्र लाल शाह की अकादमी में प्रशिक्षण ले रही एक ट्रेनी से उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग थी. आत्महत्या की कोशिश के बाद करीब 15 दिन नरेंद्र लाल अस्पताल में भर्ती रहे.
नरेंद्र लाल शाह पर तीन नाबालिग खिलाड़ियों ने शोषण का आरोप भी लगाया था. जिसके बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. वहीं, खिलाड़ियों के बयान के आधार पर नरेंद्र शाह पर पॉक्सो के साथ ही एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया. ऋषिकेश एम्स से डिस्चार्ज होने के बाद शाह को देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार भी किया, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही शाह को कोर्ट से जमानत मिल गई. हालांकि, इस मामले के बाद एक बार फिर से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के पुराने विवादों की चर्चाएं होने लगी हैं.
मौलाना बुलाकर नमाज़ पढ़ने का मामला: दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना की दस्तक के बाद खेल गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई थी. जिसके बाद साल 2021 में सीएयू ने खिलाड़ियों के प्रैक्टिस को लेकर देहरादून में कैंप लगाया गया था. साथ ही उस दौरान संक्रमण को देखते हुए 'बायो बबल' वातावरण में मैच का अभ्यास कराया गया, लेकिन उसी दौरान उत्तराखंड क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान इकबाल अब्दुल्ला ने तत्कालीन मुख्य कोच वसीम जाफर से अनुमति लेकर मौलाना को नमाज़ पढ़ने के लिए अंदर बुला लिया, जिसको लेकर भी बड़ा विवाद खड़ा हो गया. जिसको देखते हुए एसोसिएशन ने तब मुख्य कोच वसीम जाफर को हटा दिया था.
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खिलाड़ियों के चयन में धांधली का आरोप: वहीं, साल 2021 में हुए सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए धार्मिक आधार पर राज्य टीम में खिलाड़ियों को शामिल करने का आरोप भी तत्कालीन मुख्य कोच वसीम जाफर पर लगे थे. उसके बाद फिर खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया को लेकर तमाम खिलाड़ियों ने एसोसिएशन पर आरोप लगाए थे और इस बात का भी जिक्र किया था कि पर्वतीय क्षेत्रों के बेहतरीन खिलाड़ियों को तवज्जो नहीं दी जा रही है और ना ही उन्हें टीम में शामिल किया जा रहा है. उस दौरान एसोसिएशन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि पूरी पारदर्शिता के साथ ही खिलाड़ियों का चयन किया गया है.
इलेक्टोरल रोल को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप: 4 दिसंबर 2021 को हुए एजीएम और गवर्निंग काउंसिल चुनाव के लिए नवंबर 2021 में इलेक्टोरल रोल बनाया गया था, जिसमें सीएयू के तमाम तत्कालिक पदाधिकारियों के नाम शामिल नहीं थे. उस दौरान इस लिस्ट के खिलाफ सीएयू के काउंसिल कोषाध्यक्ष महिम वर्मा और उत्तराखंड युवा संगठन के गोपाल सिंह ने सीएयू में भ्रष्टाचार और मनमानी का आरोप लगाया था. साथ ही बीसीसीआई से इसकी शिकायत भी की थी, जिसके बाद इलेक्टोरल रोल में इनके नाम को जोड़ दिया गया.
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खिलाड़ी से मारपीट और पैसे की डिमांड का आरोप: साल 2022 के जून महीने में एक युवा क्रिकेटर ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों और कोच पर आरोप गंभीर लगाया था. खिलाड़ी का आरोप था कि मैच खेलने के लिए उससे ₹10 लाख रुपए की मांग की गई है. यही नहीं, उस दौरान खिलाड़ी और उसके पिता ने तत्कालीन कोच और टीम मैनेजर पर मारपीट का आरोप भी लगाया था. साथ ही देहरादून के बसंत विहार थाने में शिकायत देकर एसोसिएशन के सचिव समेत सात लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था. उस दौरान विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया था और सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी.
खिलाड़ियों को भूखे पेट मैच खिलाने का आरोप: साल 2022 में रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल के दौरान उत्तराखंड की टीम 725 रनों से मुंबई की टीम से हार गई थी. उस दौरान एसोसिएशन पर आरोप लगे थे कि खिलाड़ियों को ₹2000 रुपए दैनिक भत्ता दिए जाने का प्रावधान था, बावजूद इसके खिलाड़ियों को 100 रुपए ही दिए जा रहे थे. जबकि बोर्ड के सदस्यों के खाने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए का बिल बनाया गया. इसके अलावा क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के 2020 ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार खिलाड़ियों के खाने पर करीब 1 करोड़ 74 लाख रुपए और दैनिक भत्ते पर 49 लाख रुपए खर्च किए गए. जबकि हैरानी की बात यह है कि केले का बिल 35 लाख और पानी की बोतल पर 22 लाख रुपए का खर्च दर्शाया गया.
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क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की सफाई: बीसीसीआई से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को साल 2019 में मान्यता मिलने के बाद से विवादों से घिरा रहा है. हालांकि, इस सवाल पर सीएयू के प्रवक्ता विजय प्रताप मल्ल का कहना है कि आरोप लगते रहते हैं, लेकिन आरोप लगाने वाले अभी तक आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाए हैं. एसोसिएशन बेहतर काम कर रही है. यही वजह है कि प्रदेश की टीम बेहतर परफॉर्मेंस भी देती रही है. राज्य एसोसिएशन को बीसीसीआई से हर साल 10 करोड़ रुपए खर्च के लिए मिलते हैं लेकिन वो किस्तों में मिलते हैं.