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UKSSSC Paper Leak: रडार पर पूर्व सचिव बडोनी सहित पांच अधिकारी

यूकेएसएसएससी पेपर लीक (UKSSSC paper leak case) मामले में एक और बड़ी कार्रवाई होने जा रही है. उत्तराखंड एसटीएफ और विजिलेंस को शासन से हरी झंडी मिलने का इंतजार है. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक अब इस मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी (former secretary Santosh Badoni) पर कार्रवाई हो सकती है. इसके साथ ही चार अन्य अधिकारियों को भी लपेटे में लिया जा सकता है.

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Published : Sep 12, 2022, 9:24 PM IST

देहरादून: यूकेएसएसएससी पेपर लीक (UKSSSC paper leak) मामले के जांच की आंच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी (former secretary Santosh Badoni) तक पहुंच गई है. इसके अलावा उत्तराखंड एसटीएफ ने रिटायर्ड परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी सहित तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी (Case may be registered against 5 officials) है. Uttarakhand STF इन पांचों अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा चुकी है.

उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर विजिलेंस इन आरोपित अफसरों की संपत्ति सहित पेपर लीक में जांच कर रही है. विजिलेंस लगातार तथ्यों के आधार पर पूछताछ कर रही है. ऐसे में सूत्रों की मानें तो पूर्व सचिव सहित पांचों अधिकारियों के खिलाफ जल्द विजिलेंस मुकदमा दर्ज कर करने की तैयारी कर रही है.
पढ़ें- CM धामी ने भर्ती परीक्षाओं को लेकर दिए बड़े निर्देश, पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षा पर कही ये बात

प्रिंटिंग प्रेस के मालिक से मिले अहम सुराग: पुलिस सूत्रों के अनुसार पेपर लीक प्रकरण में UKSSSC paper leak case में पूर्व सचिव संतोष बडोनी, सेवानिवृत एग्जामिनर नारायण सिंह डांगी तीन और तीन अनुभाग अधिकारियों की भूमिका पहले दिन से ही संदेह के घेरे में थी. उत्तराखंड एसटीएफ ने जब जब लखनऊ स्थित RMS Techno Solution पेपर प्रिंटिंग प्रेस के मालिक राजेश चौहान को गिरफ्तार किया था, तो उससे गहन पूछताछ के बाद काफी साक्ष्य आयोग के आरोपित अधिकारियों के खिलाफ एसटीएफ के हाथ लगे.

यही वजह रही कि एसटीएफ की ओर से पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी. हालांकि शासन की तरह से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति न देकर पहले उनकी जांच विजिलेंस को सौंप कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उसी के तहत विजिलेंस आरोपी अधिकारियों के साथ पूछताछ कर जांच पड़ताल में जुटी है.

इस्तीफे के बाद शक और गहराया: यूकेएसएसएससी पेपर लीक का जैसे ही पर्दाफाश हुआ और Uttarakhand STF ने जांच शुरू की, तभी नैतिकता का हवाला देते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सबसे पहले अध्यक्ष एस राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं से शासन ने सचिव संतोष बडोनी को पद से हटाने के बाद उन्हें निलंबित किया.
पढ़ें- UKSSSC के 3 कर्मियों को बाध्य प्रतीक्षा में रखा गया, सीएम बोले- आयोग को बनाएंगे साउंड प्रूफ

वहीं आयोग के परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी भी स्नातक स्तरीय परीक्षा दिसम्बर 2021 आयोजित के कुछ समय बाद जनवरी 2022 सेवानिवृत्त हो गए थे. जांच के मुताबिक इन्हीं सब अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान ही आयोग के अंदर से VPVDO और सचिवालय रक्षक का पेपर लीक हुआ था. उत्तराखंड एसटीएफ अपनी जांच में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कई पुख्ता सबूत जुटा चुकी है.

यह है पूरा मामला: 4 से 5 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी. इसके 6 माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया.

DGP के आदेश पर रायपुर थाने में 22 जुलाई 2022 को ही मुकदमा दर्ज कर पूरे प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ ने भी ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक नकल माफियाओं के सहित 37 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा.

देहरादून: यूकेएसएसएससी पेपर लीक (UKSSSC paper leak) मामले के जांच की आंच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी (former secretary Santosh Badoni) तक पहुंच गई है. इसके अलावा उत्तराखंड एसटीएफ ने रिटायर्ड परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी सहित तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी (Case may be registered against 5 officials) है. Uttarakhand STF इन पांचों अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा चुकी है.

उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर विजिलेंस इन आरोपित अफसरों की संपत्ति सहित पेपर लीक में जांच कर रही है. विजिलेंस लगातार तथ्यों के आधार पर पूछताछ कर रही है. ऐसे में सूत्रों की मानें तो पूर्व सचिव सहित पांचों अधिकारियों के खिलाफ जल्द विजिलेंस मुकदमा दर्ज कर करने की तैयारी कर रही है.
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प्रिंटिंग प्रेस के मालिक से मिले अहम सुराग: पुलिस सूत्रों के अनुसार पेपर लीक प्रकरण में UKSSSC paper leak case में पूर्व सचिव संतोष बडोनी, सेवानिवृत एग्जामिनर नारायण सिंह डांगी तीन और तीन अनुभाग अधिकारियों की भूमिका पहले दिन से ही संदेह के घेरे में थी. उत्तराखंड एसटीएफ ने जब जब लखनऊ स्थित RMS Techno Solution पेपर प्रिंटिंग प्रेस के मालिक राजेश चौहान को गिरफ्तार किया था, तो उससे गहन पूछताछ के बाद काफी साक्ष्य आयोग के आरोपित अधिकारियों के खिलाफ एसटीएफ के हाथ लगे.

यही वजह रही कि एसटीएफ की ओर से पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी. हालांकि शासन की तरह से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति न देकर पहले उनकी जांच विजिलेंस को सौंप कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उसी के तहत विजिलेंस आरोपी अधिकारियों के साथ पूछताछ कर जांच पड़ताल में जुटी है.

इस्तीफे के बाद शक और गहराया: यूकेएसएसएससी पेपर लीक का जैसे ही पर्दाफाश हुआ और Uttarakhand STF ने जांच शुरू की, तभी नैतिकता का हवाला देते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सबसे पहले अध्यक्ष एस राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं से शासन ने सचिव संतोष बडोनी को पद से हटाने के बाद उन्हें निलंबित किया.
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वहीं आयोग के परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी भी स्नातक स्तरीय परीक्षा दिसम्बर 2021 आयोजित के कुछ समय बाद जनवरी 2022 सेवानिवृत्त हो गए थे. जांच के मुताबिक इन्हीं सब अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान ही आयोग के अंदर से VPVDO और सचिवालय रक्षक का पेपर लीक हुआ था. उत्तराखंड एसटीएफ अपनी जांच में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कई पुख्ता सबूत जुटा चुकी है.

यह है पूरा मामला: 4 से 5 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी. इसके 6 माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया.

DGP के आदेश पर रायपुर थाने में 22 जुलाई 2022 को ही मुकदमा दर्ज कर पूरे प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ ने भी ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक नकल माफियाओं के सहित 37 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा.

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