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IFS अधिकारी किशन चंद की बढ़ी मुश्किलें, मामले की जांच करेगी सीएजी - आईएफएस अधिकारी किशन चंद और वन विभाग

आईएफएस अधिकारी किशन चंद की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनके मामले की जांच अब सीएजी भी करेगी. सीएजी ने वन विभाग में हुई अनियमिताओं से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं.

CAG to probe IFS officer Kishan Chand
IFS अधिकारी किशन चंद की बढ़ी मुश्किलें
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Published : Jun 1, 2022, 2:30 PM IST

Updated : Jun 1, 2022, 3:42 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में बीते दिनों चर्चाओं में आए निलंबित आईएफएस अधिकारी किशन चंद की मुश्किल और बढ़ सकती है. सरकार ने उन्हें तमाम अनियमितताओं और जांच के बाद निलंबित किया था. जिसके बाद उत्तराखंड वन प्रमुख विनोद कुमार सिंघल ने भी विभागीय जांच करवाई. जिसके बाद इस पूरे मामले की जांच के लिए सीएजी को पत्र भी लिखा गया. इस पूरे मामले की अपने स्तर से जांच करवाने के लिए भी वन प्रमुख ने कहा. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएजी ने भी इस पूरे मामले को हाथों हाथ लिया है. अब विनोद कुमार सिंघल सहित विभाग से इस मामले के तमाम कागजात मांगे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग में बीते दिनों कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ और लैंसडाउन प्रभागों में कथित तौर पर भारी अनियमितताएं पाई गई थी. जिसके बाद विभाग ने इसकी जांच करवाई तो पाया गया कि किशनचंद सहित कुछ और कर्मचारी सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. विभागीय जांच में यह भी सामने आया था कि जो पैसा विभाग में अन्य कार्यों के लिए सरकार से स्वीकृत हुआ था उन पैसों को किशन चंद सहित कुछ कर्मचारियों ने सही मद में नहीं लगाया. इस पैसे से फ्रिज, एसी और दूसरे ऐशोआराम के संसाधन खरीदे गये. यह रकम लगभग 1.43 करोड़ रुपए थी. जब इस मामले का जवाब किशनचंद से मांगा गया और पत्राचार हुआ तो बताया जाता है कि विभाग को वह सही से जानकारी नहीं दे पाए. जिसके बाद वन विभाग ने इस पूरे मामले की जांच करवाई. तब इसमें भारी अनियमितताएं मिलने के बाद उन्हें सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया था.

पढे़ं- हरिद्वार में तीर्थयात्रियों से 'OYO' का फर्जीवाड़ा, बुकिंग के बाद भी नहीं मिल रहे होटल में कमरे

वन प्रमुख विनोद कुमार सिंघल को लगता है कि अनियमितताएं सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी. लिहाजा उन्होंने अपनी तरफ से कोशिश करते हुए इस पूरे मामले की एक लिखित शिकायत सीएजी से भी की. अब इस मामले से जुड़े तमाम कागजात सीएजी ने विभाग से मांगे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विनोद कुमार सिंघल ने कहा वह अभी फिलहाल बाहर हैं, लेकिन यह बात सही है कि उन्होंने अपनी तरफ से एक पत्र सीएजी को लिखा था. जिसमें इस पूरे मामले की जांच करवाने की बात कही गई है. विनोद कुमार सिंह को लगता है कि अगर इसकी और सही से जांच होगी तो कई और कर्मचारी और अधिकारी इसमें शामिल हो सकते हैं. विनोद कुमार सिंघल का कहना है कि विभाग किसी भी कीमत पर इस तरह की गतिविधियों और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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बता दें किशनचंद पर पहले भी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा जांच चल रही है. इसके साथ ही कालागढ़ में अन्य मामलों की जांच भी उनके ऊपर चल रही थी. कई मामलों का संज्ञान लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. अब किशनचंद से जुड़ा पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में तत्कालीन रेंजर ब्रज बिहारी शर्मा, डीएफओ किशनचंद और मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस सुहाग निलंबित चल रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में बीते दिनों चर्चाओं में आए निलंबित आईएफएस अधिकारी किशन चंद की मुश्किल और बढ़ सकती है. सरकार ने उन्हें तमाम अनियमितताओं और जांच के बाद निलंबित किया था. जिसके बाद उत्तराखंड वन प्रमुख विनोद कुमार सिंघल ने भी विभागीय जांच करवाई. जिसके बाद इस पूरे मामले की जांच के लिए सीएजी को पत्र भी लिखा गया. इस पूरे मामले की अपने स्तर से जांच करवाने के लिए भी वन प्रमुख ने कहा. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएजी ने भी इस पूरे मामले को हाथों हाथ लिया है. अब विनोद कुमार सिंघल सहित विभाग से इस मामले के तमाम कागजात मांगे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग में बीते दिनों कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ और लैंसडाउन प्रभागों में कथित तौर पर भारी अनियमितताएं पाई गई थी. जिसके बाद विभाग ने इसकी जांच करवाई तो पाया गया कि किशनचंद सहित कुछ और कर्मचारी सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. विभागीय जांच में यह भी सामने आया था कि जो पैसा विभाग में अन्य कार्यों के लिए सरकार से स्वीकृत हुआ था उन पैसों को किशन चंद सहित कुछ कर्मचारियों ने सही मद में नहीं लगाया. इस पैसे से फ्रिज, एसी और दूसरे ऐशोआराम के संसाधन खरीदे गये. यह रकम लगभग 1.43 करोड़ रुपए थी. जब इस मामले का जवाब किशनचंद से मांगा गया और पत्राचार हुआ तो बताया जाता है कि विभाग को वह सही से जानकारी नहीं दे पाए. जिसके बाद वन विभाग ने इस पूरे मामले की जांच करवाई. तब इसमें भारी अनियमितताएं मिलने के बाद उन्हें सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया था.

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वन प्रमुख विनोद कुमार सिंघल को लगता है कि अनियमितताएं सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी. लिहाजा उन्होंने अपनी तरफ से कोशिश करते हुए इस पूरे मामले की एक लिखित शिकायत सीएजी से भी की. अब इस मामले से जुड़े तमाम कागजात सीएजी ने विभाग से मांगे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विनोद कुमार सिंघल ने कहा वह अभी फिलहाल बाहर हैं, लेकिन यह बात सही है कि उन्होंने अपनी तरफ से एक पत्र सीएजी को लिखा था. जिसमें इस पूरे मामले की जांच करवाने की बात कही गई है. विनोद कुमार सिंह को लगता है कि अगर इसकी और सही से जांच होगी तो कई और कर्मचारी और अधिकारी इसमें शामिल हो सकते हैं. विनोद कुमार सिंघल का कहना है कि विभाग किसी भी कीमत पर इस तरह की गतिविधियों और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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बता दें किशनचंद पर पहले भी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा जांच चल रही है. इसके साथ ही कालागढ़ में अन्य मामलों की जांच भी उनके ऊपर चल रही थी. कई मामलों का संज्ञान लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. अब किशनचंद से जुड़ा पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में तत्कालीन रेंजर ब्रज बिहारी शर्मा, डीएफओ किशनचंद और मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस सुहाग निलंबित चल रहे हैं.

Last Updated : Jun 1, 2022, 3:42 PM IST
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