देहरादून: कैग की रिपोर्ट ने एक बार फिर यह जगजाहिर कर दिया है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा गड़बड़झाला चल रहा है. रिपोर्ट में ब्लड बैंकों के जरिए लोगों की जान से न सिर्फ खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि बड़े स्तर पर सरकार को चूना भी लगाया जा रहा है.
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने मुख्यमंत्री के विभाग पर ऐसा खुलासा किया है, जिसे सुनकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा लेगा. मामला मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है. यूं तो यह विभाग लोगों को जीवन देने के लिए है लेकिन रिपोर्ट यह जाहिर करती है कि कैसे प्रदेश में ब्लड बैंक लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
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इससे भी बढ़कर यह कि स्वास्थ्य महकमा इस मामले पर सालों से सोया हुआ है. यह हालत तब है जब मुख्यमंत्री के पास ही स्वास्थ्य महकमा है और महकमे के जिम्मेदार तीन आईएएस अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
कैग रिपोर्ट के हैरान करने वाले बिंदु
- कैग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में साल 2015 से लेकर साल 2018 तक कुल 35 में से 13 ब्लड बैंक बिना लाइसेंस के चल रहे हैं.
- रिपोर्ट में ब्लड बैंक में ब्लड की टेस्टिंग पर भी सवाल खड़े किए गए हैं.
- खून लेते वक्त खून जांच की प्रक्रिया को भी रिपोर्ट में संदिग्ध माना गया है.
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी कैग की रिपोर्ट में लापरवाह करार दिया गया है.
- चार सालों में होने वाले 96 निरीक्षण में से महज 22 निरीक्षण ही किए गए हैं.
- खून की थैलियों को बंद करने के लिए ट्यूब सीलर की कमी के चलते मोमबत्ती की लौ से सील किया जा रहा है.
- ब्लड बैंकों में डोनर रजिस्टर नहीं होने और मास्टर रजिस्टर में भी कई खामियों के होने का पता चला है.
- बॉन्ड के आधार पर एमबीबीएस करने वाले छात्रों से बांड के लिहाज से वसूली नहीं करने से राजस्व हानि की भी बात सामने आयी है.
इस बारे में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बात कि गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल इस रिपोर्ट को एक बार फिर देखा जाएगा और उसके बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी.
विपक्ष हमलावर
कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर आने के बाद से ही विपक्ष इसको लेकर हमलावर है. विपक्षी दल कांग्रेस के मुताबिक प्रदेश में स्वास्थ्य की हालत बेहद खराब है और सरकार स्वास्थ्य विभाग को ठीक से नहीं चला पा रही है.
कैग की रिपोर्ट में जो सच सामने आया है वह सीधे तौर पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा दिखाई देता है. बड़ी बात यह है कि 48 घंटे बाद भी सरकार इस मामले पर महज रिपोर्ट पढ़ने और इसके बाद कार्रवाई करने की बात कह रही है.