देहरादून: उत्तराखंड के बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर हाईकोर्ट के रोक लगाने के बाद से ही लगातार वन विभाग और पर्यटन विभाग रोक हटाने की जुगत में जुटे हुए हैं. इसके लिए लंबे समय से बुग्यालों में लगी रोक को हटाने को लेकर राज्य सरकार हाईकोर्ट में पैरवी कर रही है, ताकि फिर से बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी शुरू की जा सके. वहीं, हाईकोर्ट में बुग्यालों के सम्बंध में बेहतर ढंग से पैरवी हो सके, इसके लिए राज्य सरकार ने बुग्यालों की जानकारी रखने वाले वकीलों को पैरवी के लिए खड़ा कर रही है.
बता दें साल 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने बुग्यालों में रात में ठहरने पर रोक लगाने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब की पंक्ति ‘पवन पानी धरती आकाश घर मंदर हर बानी’ का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने अल्पाइन, सब अल्पाइन, मैडोज और बुग्यालों (घास के मैदानों) में घूमने के लिए पर्यटकों की अधिकतम संख्या 200 तक सीमित करते हुए वहां रात्रि विश्राम पर पूरी तरह से रोक लगा दी. यह भी आदेश दिया कि इन जगहों पर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जायेगा. जिसके बाद से ही बुग्यालों में नाइट स्टे पर रोक लगी हुई है.
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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बुग्यालों पर लगी रोक को हटाने के लिए, सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. इसके लिए वकीलों का पैनल तैयार किया गया है. ऐसे में इस बार कोर्ट में पैरवी करने के लिए बुग्यालों के जानकार वकीलों को चुना गया है. आज तक होता ये आया है कि जिस वकील को बुग्याल की जानकारी नहीं होती थी वो पैरवी करता था. इस वजह से पक्ष को मजबूती से नहीं रखा जाता था. अब ऐसा नहीं होगा, इस बार बुग्यालों के जानकार वकीलों को चुना गया है.