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यहां इंसान ही नहीं भैंसों का भी होता है अपहरण, बदले में मांगी जाती है फिरौती

इंसानों का अपहरण करना और बदले में फिरौती मांगना आम बात है, लेकिन चंबल अंचल में भैंसों का अपहरण करने वाला गिरोह सक्रिय है, जो भैंसों को वापस करने के बदले में मोटी रकम बतौर फिरौती डिमांड करता है.

ransom in lieu of buffalo mp , भैंसों का अपहरण मुरैना मध्य प्रदेश न्यूज
यहां भैंसों का भी होता है अपहरण .
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Published : Dec 9, 2019, 11:40 AM IST

मुरैना: आपने इंसानों के अपहरण की घटनाओं को लेकर तो बहुत से किस्से सुने होंगे, लेकिन जानवरों के अपहरण की बात थोड़ी अजीब लगती है, पर ये 100 फीसदी सच है. बागी-बीहड़ के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में आजकल एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो भैंसों का अपहरण करता है और बदले में उनके मालिकों से फिरौती मांगता है, जबकि पुलिस इस प्रकार के अपराध से साफ इनकार कर रही है.

यहां भैंसों का भी होता है अपहरण.

कहानी थोड़ी हैरान करती है
पनिहाई में गांव के ही लोग या बिचौलिए उन बदमाशों तक भैंसों की सूचना पहुंचाते हैं और फिर उनके ही जरिए या अपने रिश्तेदारों या परिचित के जरिए भैंसों की जानकारी निकाल कर उसे वापस लेकर आते है. स्थानीय लोगों की मानें तो हर गांव में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा लोग पनिहाई का शिकार हुए हैं. पनिहाई में भैंस की कीमत का 25 प्रतिशत या 50 प्रतिशत तक की राशि मालिक को चुकानी पड़ती है.

पुलिस ने किया साफ इनकार
वहीं मुरैना पुलिस भैंसों की चोरी की बात से साफ साफ इंकार कर रही है. पुलिस का कहना है कि पनिहाई जैसी कोई चीज ही नहीं होती है. हालांकि पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि यदि इस प्रकार की शिकायत यदि पुलिस के पास आती है तो वह संबधित आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी.

यह भी पढ़ें-देहरादूनः NH-72 पर बनेंगे दो अंडरपास, रक्षामंत्री ने दी मंजूरी

पनिहाई का मतलब ये है
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाके में लोग भैंसों की फिरौती देकर परेशान हैं. इसे वैसे स्थानीय भाषा में पनिहाई कहा जाता है. पनिहाई का मतलब, मध्यस्थों के जरिए एकमुश्त रकम लेकर चोरी की गई भैंस को उसके मालिक तक पहुंचाना. ग्रामीणों के मुताबिक चंबल पार राजस्थान से आने वाले बदमाश अधिकांश भैंसों की चोरी करते हैं और उनके बदले में पैसे की वसूली करते हैं.

मुरैना: आपने इंसानों के अपहरण की घटनाओं को लेकर तो बहुत से किस्से सुने होंगे, लेकिन जानवरों के अपहरण की बात थोड़ी अजीब लगती है, पर ये 100 फीसदी सच है. बागी-बीहड़ के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में आजकल एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो भैंसों का अपहरण करता है और बदले में उनके मालिकों से फिरौती मांगता है, जबकि पुलिस इस प्रकार के अपराध से साफ इनकार कर रही है.

यहां भैंसों का भी होता है अपहरण.

कहानी थोड़ी हैरान करती है
पनिहाई में गांव के ही लोग या बिचौलिए उन बदमाशों तक भैंसों की सूचना पहुंचाते हैं और फिर उनके ही जरिए या अपने रिश्तेदारों या परिचित के जरिए भैंसों की जानकारी निकाल कर उसे वापस लेकर आते है. स्थानीय लोगों की मानें तो हर गांव में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा लोग पनिहाई का शिकार हुए हैं. पनिहाई में भैंस की कीमत का 25 प्रतिशत या 50 प्रतिशत तक की राशि मालिक को चुकानी पड़ती है.

पुलिस ने किया साफ इनकार
वहीं मुरैना पुलिस भैंसों की चोरी की बात से साफ साफ इंकार कर रही है. पुलिस का कहना है कि पनिहाई जैसी कोई चीज ही नहीं होती है. हालांकि पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि यदि इस प्रकार की शिकायत यदि पुलिस के पास आती है तो वह संबधित आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी.

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पनिहाई का मतलब ये है
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाके में लोग भैंसों की फिरौती देकर परेशान हैं. इसे वैसे स्थानीय भाषा में पनिहाई कहा जाता है. पनिहाई का मतलब, मध्यस्थों के जरिए एकमुश्त रकम लेकर चोरी की गई भैंस को उसके मालिक तक पहुंचाना. ग्रामीणों के मुताबिक चंबल पार राजस्थान से आने वाले बदमाश अधिकांश भैंसों की चोरी करते हैं और उनके बदले में पैसे की वसूली करते हैं.

Intro:एंकर - इंसानों का अपहरण होना और उसके बाद उनकी फिरौती देकर उनको वापस लाने की घटनाएं तो आपने कई बार पहले भी देखी और सुनी होंगी। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश के एक इलाके में मवेशियों की फिरौती वसूली जाती है। जी हां चोंकिये नही हम बात कर रहे है चंबल की,चंबल इलाके में सालों से एक नए तरह का अपराध घटित होता आ रहा है जिसे स्थानीय लोग पनिहाई के नाम से जानते हैं। ये शब्द सुनने में नया है पर इससे वाकिफ सभी लोग हैं चंबल में भैंसों का अपहरण कर उसकी फिरौती वसूली जाने को कहा जाता है पनिहाई, जी हां भैंसों का अपरहण आप भी सुनकर चौंक गए होंगे पर ये हकीकत है। सालों से चंबल इलाके में चंबल किनारे बसे गांव में पनिहाई की जाती है।चंबल से लगे मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाके में लोग भैंसों की फिरौती देकर परेशान है। स्थानीय भाषा में इसे पनिहाई कहा जाता है। पनिहाई मतलब मध्यस्थों के जरिए एकमुश्त रकम लेकर चोरी गई भैंस को उसके मालिक तक पहुंचाना। कौन है पनिहाई करने वाले कैसे होती है पनिहाई और कौन-कौन शामिल होता है इसमें ये जानना चाहते हैं तो देखिए हमारी खास रिपोर्ट पनिहाई।





Body:वीओ1 - यूं तो चंबल तमाम तरह के अपराध के लिए चर्चा में बना रहता है लेकिन अब यहां अलग तरह के अपराध जन्म ले रहा है। चंबल इलाके में पनिहाई शब्द कोई नया नहीं है सालों से यहां पर भैंसों को चुराकर उनकी फिरौती वसूली जाती है। खासकर पनिहाई का चंबल किनारे बसे गांव में अधिक चलन रहा है दरअसल चंबल पार राजस्थान से आने वाले बदमाश अधिकांश भैंसों की चोरी करते हैं और उनके बदले में पैसे की वसूली करते हैं। पनिहाई में गांव के ही लोग या बिचौलिए उन बदमाशों तक भैंसों की सूचना पहुंचाते हैं और फिर उनके ही जरिए या अपने रिश्तेदारों या परिचित के जरिए भैंसों की जानकारी निकाल कर उसे वापस लेकर आते हैं।स्थानीय लोगों की मानें तो हर गांव में लगभग 50 फ़ीसदी से ज्यादा लोग पनिहाई का शिकार हुए हैं। पनिहाई में भैंस की कीमत का 25 प्रतिशत या 50 प्रतिशत तक की राशि मालिक को चुकानी पड़ती है।

बाइट1 - मुंशी सिंह - ग्रामीण।
बाइट2 - मान सिंह - ग्रामीण।


वीओ2 - चंबल इलाके में पनिहाई एक व्यापार के रूप में अपने पैर जमा चुकी है। कई स्थानीय लोग इसमें शामिल होते हैं यहां तक कि कई बार आपसी विवाद और चुनावों में वोट ना देने पर दुश्मनी निकालने के लिए भी पनिहाई कराई जाती है। जो लोग पैसों में सक्षम होते हैं वो भैंसों को पनिहाई कर वापस ले आते हैं। पर जिनके पास पैसे नहीं होते वो अपनी भैंसों को वापस नहीं ला पाते। स्थानीय लोगों की मदद से चंबल पार राजस्थान से बदमाश आकर हथियारों की दम पर भैंसों को चुराकर ले जाते हैं।

बाइट3 - दुर्गा मल्लाह - ग्रामीण।
बाइट4 - रामबीर मल्लाह - ग्रामीण।



वीओ3 - आपराधिक परंपराओं से जुड़ा समुदाय विशेष से जुड़ा अवैध कारोबार इन दिनों चंबल में ज्यादा फल फूल रहा है। इस इलाके में मवेशी चोर उनके दलालों और राजनैतिक संपर्क के मजबूत ढांचे के सामने पुलिस इतनी बेबस है। कि चोरों के नाम पते मालूम होने के बाद भी उनके गांव में घुस भी नहीं पाती। क्योंकि यह समुदाय के रूप में एकजुट होकर प्रतिरोध करते हैं कई बार गोलियां भी चल जाती हैं।चंबल पार होते ही पुलिस का खतरा भी नहीं रहता मध्य प्रदेश की सीमा पार करते ही यह बदमाश बेखौफ हो जाते हैं।बदमाशों के मुताबिक खासकर भैंसों की चोरी सर्दी के सीजन में अधिक होती है,बिचौलिओं को उनके हिस्से का पैसा दिया जाता है।पनिहाई के ज्यादातर केस पुलिस तक पहुंचते नहीं। क्योंकि पीड़ित पक्ष को इसमें अपमान महसूस होता है,पर बीते 2 साल में मवेशी चोरी बढ़ती वारदातों ने चंबल किनारे रहने वाले गांव में दहशत फैला रखी है।

बाइट5 - बदमाश - राजस्थान।




Conclusion:वीओ4 - मुरैना पुलिस से जब भैंसों की चोरी होने का व पनिहाई का सवाल किया गया तो पुलिस पनिहाई जैसी चीज के होने की बात से भी इंकार करती है। हालांकि इस तरह के किसी भी मामले की शिकायत आने पर उस पर कार्रवाई का दावा भी कर रही है।

बाइट6 - सुधीर सिंह कुशवाह - सीएसपी मुरैना।


वीओ5 - चंबल में पनिहाई नई बात नहीं है आज जहां एक लाख से कम की भैंस नहीं मिलती ऐसे मैं पनिहाई से लाखों का पैसा का लेन देन होता है। भैंस का कोई रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं होता जिससे उसको ट्रेस किया जा सके। पुलिस की इस तरह के मामलों में चलर कार्रवाई भी इस कारोबार को बढ़ावा देती है। हालांकि भैंस चोरी के कई बार मामले दर्ज भी हुए हैं और गिरफ्तारी भी पर उनकी संख्या भी बहुत कम है। ऐसे में चंबल में पनिहाई का दौर लगातार जारी है।

जिले में मवेशी चोरी के मामले.....

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