देहरादून: कोरोना महामारी का कहर लोगों के मन में कुछ इस कदर है कि अब लोग सार्वजनिक वाहनों के बजाय अपने निजी वाहनों से अपनी मंजिल तक जाना पसंद कर रहे हैं. ईटीवी भारत आपको आपको कुछ ऐसे लोगों से रूबरू कराएगा जो कोरोना संकट से पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से निजी वाहन का प्रयोग कर रहे हैं, जिसका सीधा असर उनके बजट पर पड़ रहा है.
निजी वाहनों के इस्तेमाल ने मासिक बजट बिगाड़ा
कोरोना काल और आम जनता के मासिक बजट पर पड़ रहे असर के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के डर की वजह से वो सार्वजनिक वाहनों जैसे ऑटो रिक्शा, विक्रम और सिटी बसों में यात्रा करने से बच रहे हैं और निजी वाहन का प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के आसमान छूते दामों के चलते निजी वाहन के इस्तेमाल से उनका मासिक बजट पर बिगड़ रहा है. लोगों के मुताबिक निजी वाहन के इस्तेमाल से मासिक बजट पर 3 से 4 हजार रुपये तक का भार पड़ रहा है.
कोरोना काल में शहर में यातायात का दबाव कम
वहीं, निजी वाहनों की बढ़ती आवाजाही के चलते राजधानी की यातायात व्यवस्था पर पड़ रहे असर को लेकर देहरादून सिटी पेट्रोल यूनिट के इंचार्ज प्रदीप कुमार बताते हैं कि जब से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से ये साफ देखा जा सकता है कि लोग सार्वजनिक वाहनों की तुलना में अपने निजी वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, शहर में ट्रैफिक का भार अभी भी ज्यादा नहीं बढ़ा है, जिसके कई प्रमुख कारण हैं. इसमें बाहरी राज्यों से टूरिस्टों का न आना, स्कूलों का बंद होना और सवारी न मिलने की वजह से सार्वजनिक वाहनों का सड़क पर कम दौड़ना.
डीजल-पेट्रोल की खपत घटी
एक तरफ करोना ने आम जनता का मासिक बजट बिगाड़ दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल पंप स्वामियों को भी खासा नुकसान हो रहा है. राजधानी के पेट्रोल पंप संचालक बलबीर सिंह पंवार की मानें तो सार्वजनिक वाहनों का संचालन कम होने का सीधा असर पेट्रोल और डीजल की खपत पर पड़ रहा है. जहां सामान्य दिनों में प्रतिदिन 10 से 12 हजार लीटर तेल बिकता था वहीं, अब पेट्रोल और डीजल की डिमांड लुढ़क कर प्रति दिन 7 से 8 हजार लीटर ही रह गई है. वहीं, दूसरी तरफ कोरोना के डर से लोग भी घरों से कम बाहर निकल रहे हैं.
कुल मिलाकर देखा जाए तो कोरोना ने जनता को हर तरह से बुरी तरह प्रभावित किया है. जहां कोरोना काल में कई लोगों को व्यवस्थाएं में लाखों करोड़ों का नुकसान हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी का असर जनका के मासिक बजट पर भी पड़ रहा है.