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Uttarakhand Assembly Election: सत्ता ही नहीं, किंग मेकर की भूमिका से भी दूर ये राजनीतिक पार्टियां, जानिए वजह

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए डिजिटल प्रचार-प्रसार में BSP-UKD दल पिछड़ते नजर आ रहे हैं. 2002, 2007 और 2012 में निर्णायक भूमिका निभाने वाले ये दोनों दल 2022 के विधानसभा चुनाव में फिसड्डी साबित हो रहे हैं.

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देहरादून
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Published : Jan 16, 2022, 7:39 AM IST

Updated : Jan 16, 2022, 10:58 AM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में राजनीतिक दलों ने चुनावी नैया को पार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है, लेकिन कोरोना जैसी आपदा के हालातों में कुछ दल अब मुश्किल हालातों में दिख रहे हैं. उत्तराखंड के लिहाज से बीएसपी और यूकेडी रेस में काफी पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं. इसलिए मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह दोनों ही पार्टी सत्ता ही नहीं बल्कि किंग मेकर की भूमिका से भी दूर होती नजर आ रही है.

प्रदेश में बीएसपी और यूकेडी भले ही सत्ता से दूर रहे हो, लेकिन कई बार किंग मेकर की भूमिका में इन दोनों दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यही नहीं, 2017 विधानसभा चुनाव के अलावा अन्य विधानसभा चुनाव में इन दलों ने अपना खाता खोलने में कामयाबी हासिल की है. हालांकि, 2017 विस चुनाव में मोदी लहर में यह दोनों ही दल प्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाए और दोनों ही दलों का एक भी प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुंच सका.

किंग मेकर की भूमिका से भी दूर ये राजनीतिक पार्टियां.

कोरोना के कारण पिछड़ी BSP-UKD: 2022 में इन दोनों ही दलों को बेहद ज्यादा उम्मीदें हैं. लेकिन कोविड-19 जैसी आपदा ने इन दोनों ही दलों की मुसीबतों को बढ़ा दिया है. दरअसल, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तो आपदा को अवसर के रूप में तैयार करने के लिए काफी कुछ इंतजाम कर लिए हैं. लेकिन यूकेडी और बसपा जैसी पार्टियां आपदा की परेशानियों में पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है.

ये भी पढ़ेंः बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में शार्ट लिस्ट हुए प्रत्याशियों के नाम, कल दिल्ली में लगेगी फाइनल मुहर

सरकार बनाने में निभाई निर्णायक भूमिकाः 2002 के चुनाव में बसपा ने 7 सीट और यूकेडी ने 4 सीट जीतकर विपक्ष की भूमिका निभाई थी. हालांकि, तब कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही थी. इसके बाद 2007 में भाजपा 35 सीटों के साथ बहुमत से 1 सीट पीछे रही थी. इस दौरान बसपा 8 सीट जीतने में कामयाब रही और उत्तराखंड क्रांति दल ने 3 सीटें जीती. इस दौरान भाजपा ने निर्दलीय विधायकों का सहारा लिया और यूकेडी ने भाजपा को समर्थन भी दिया. साल 2012 में कांग्रेस 32 सीटों के साथ महज एक सीट ही भाजपा से ऊपर रही, जिसके बाद 1 सीट जीतने वाली यूकेडी ने कांग्रेस को समर्थन किया. बसपा भी कांग्रेस के समर्थन में आई और इस तरह इन दोनों दलों ने कांग्रेस को किंग बना दिया.

लेकिन, इस बार 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुटे तमाम राजनीतिक दलों के बीच इन दोनों जनों की डिजिटल रूप से स्थिति बहुत खराब दिख रही है. एक तरफ कांग्रेस, भाजपा और आप के नेता वर्चुअल संवाद कर रहे हैं तो इन दोनों दलों के पास डिजिटल रूप में बहुत ज्यादा संसाधन नहीं दिखाई देते हैं. दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपनी आईटी टीम को वर्चुअल तैयारी में झोंक दिया है.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस महिला प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य की चेतावनी, टिकट के लिए BJP में भी जाने को तैयार

राजनीतिक दलों का सोशल मीडियाः उत्तराखंड में डिजिटल रूप से स्थिति को देखें तो भाजपा ट्विटर पर 1,19,000 फॉलोअर्स और फेसबुक पर 2,74,146 फॉलोअर्स पाए हुए है. कांग्रेस पार्टी फेसबुक पर 87,319 और ट्विटर पर 68,500 फॉलोअर्स पा चुकी है. वहीं, आप के फेसबुक पेज पर 2,29,861 जबकि ट्विटर पर 30,800 फॉलोअर्स मौजूद है. उधर यूकेड के फेसबुक पर 48,517 और ट्विटर पर महज 562 फॉलोअर्स मौजूद है. बीएसपी की स्थिति और भी खराब है. इसके फेसबुक पर 10,690 और ट्विटर पर केवल 6 फॉलोअर है.

इससे साफ है कि बसपा और यूकेडी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है और आने वाले चुनाव में डिजिटल रूप से प्रचार-प्रसार करना उनके लिए मुश्किल होगा. हालांकि डोर-टू-डोर प्रचार पर इन दोनों ही दलों का फोकस बरकरार है.

देहरादूनः उत्तराखंड में राजनीतिक दलों ने चुनावी नैया को पार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है, लेकिन कोरोना जैसी आपदा के हालातों में कुछ दल अब मुश्किल हालातों में दिख रहे हैं. उत्तराखंड के लिहाज से बीएसपी और यूकेडी रेस में काफी पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं. इसलिए मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह दोनों ही पार्टी सत्ता ही नहीं बल्कि किंग मेकर की भूमिका से भी दूर होती नजर आ रही है.

प्रदेश में बीएसपी और यूकेडी भले ही सत्ता से दूर रहे हो, लेकिन कई बार किंग मेकर की भूमिका में इन दोनों दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यही नहीं, 2017 विधानसभा चुनाव के अलावा अन्य विधानसभा चुनाव में इन दलों ने अपना खाता खोलने में कामयाबी हासिल की है. हालांकि, 2017 विस चुनाव में मोदी लहर में यह दोनों ही दल प्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाए और दोनों ही दलों का एक भी प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुंच सका.

किंग मेकर की भूमिका से भी दूर ये राजनीतिक पार्टियां.

कोरोना के कारण पिछड़ी BSP-UKD: 2022 में इन दोनों ही दलों को बेहद ज्यादा उम्मीदें हैं. लेकिन कोविड-19 जैसी आपदा ने इन दोनों ही दलों की मुसीबतों को बढ़ा दिया है. दरअसल, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तो आपदा को अवसर के रूप में तैयार करने के लिए काफी कुछ इंतजाम कर लिए हैं. लेकिन यूकेडी और बसपा जैसी पार्टियां आपदा की परेशानियों में पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है.

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सरकार बनाने में निभाई निर्णायक भूमिकाः 2002 के चुनाव में बसपा ने 7 सीट और यूकेडी ने 4 सीट जीतकर विपक्ष की भूमिका निभाई थी. हालांकि, तब कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही थी. इसके बाद 2007 में भाजपा 35 सीटों के साथ बहुमत से 1 सीट पीछे रही थी. इस दौरान बसपा 8 सीट जीतने में कामयाब रही और उत्तराखंड क्रांति दल ने 3 सीटें जीती. इस दौरान भाजपा ने निर्दलीय विधायकों का सहारा लिया और यूकेडी ने भाजपा को समर्थन भी दिया. साल 2012 में कांग्रेस 32 सीटों के साथ महज एक सीट ही भाजपा से ऊपर रही, जिसके बाद 1 सीट जीतने वाली यूकेडी ने कांग्रेस को समर्थन किया. बसपा भी कांग्रेस के समर्थन में आई और इस तरह इन दोनों दलों ने कांग्रेस को किंग बना दिया.

लेकिन, इस बार 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुटे तमाम राजनीतिक दलों के बीच इन दोनों जनों की डिजिटल रूप से स्थिति बहुत खराब दिख रही है. एक तरफ कांग्रेस, भाजपा और आप के नेता वर्चुअल संवाद कर रहे हैं तो इन दोनों दलों के पास डिजिटल रूप में बहुत ज्यादा संसाधन नहीं दिखाई देते हैं. दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपनी आईटी टीम को वर्चुअल तैयारी में झोंक दिया है.

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राजनीतिक दलों का सोशल मीडियाः उत्तराखंड में डिजिटल रूप से स्थिति को देखें तो भाजपा ट्विटर पर 1,19,000 फॉलोअर्स और फेसबुक पर 2,74,146 फॉलोअर्स पाए हुए है. कांग्रेस पार्टी फेसबुक पर 87,319 और ट्विटर पर 68,500 फॉलोअर्स पा चुकी है. वहीं, आप के फेसबुक पेज पर 2,29,861 जबकि ट्विटर पर 30,800 फॉलोअर्स मौजूद है. उधर यूकेड के फेसबुक पर 48,517 और ट्विटर पर महज 562 फॉलोअर्स मौजूद है. बीएसपी की स्थिति और भी खराब है. इसके फेसबुक पर 10,690 और ट्विटर पर केवल 6 फॉलोअर है.

इससे साफ है कि बसपा और यूकेडी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है और आने वाले चुनाव में डिजिटल रूप से प्रचार-प्रसार करना उनके लिए मुश्किल होगा. हालांकि डोर-टू-डोर प्रचार पर इन दोनों ही दलों का फोकस बरकरार है.

Last Updated : Jan 16, 2022, 10:58 AM IST
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