देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी आगामी योजना को सार्वजनिक कर दिया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तरांचल प्रांत की कोशिश होगी कि शत प्रतिशत क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बनाए. जिनमें अल्पसंख्यक बहुल इलाके भी शामिल हैं. देश में सम्मान और सद्भाव कायम हो. हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियां, निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं. हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा.
उत्तराखंड प्रान्त कार्यवाह दिनेश सेमवाल ने बताया अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, समालखा 12-14 मार्च तक हरियाणा में आहूत की गई थी. जिसमें देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. वहीं इसके अलावा आरएसएस की उत्तराखंड शाखा ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में 'स्व' आधारित राष्ट्र के उत्थान के संकल्प का प्रस्ताव पारित किया है. जिसके बारे में जानकारी दी गई.
साथ ही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती के असवर पर 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के वक्तव्य के बारे में भी जानकारी दी. इस मौके पर उत्तरांचल प्रांत में वर्तमान संघ कार्य की स्थिति की जानकारी भी दी गई. जिसमें बताया गया कि वर्तमान में 8 सांगठनिक विभाग, 26 सांगठनिक जिले, 865 जगहों पर शाखा स्थान तो वहीं 1389 शाखाएं, 214 मिलन, 70 मंडली संचालित की जा रही हैं. वहीं 2025 में संघ अपने शताब्दी वर्ष को मनाएगा. ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि हम उत्तरांचल प्रांत में शत प्रतिशत क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बनाए. जिनमें अल्पसंख्यक बहुल इलाके भी शामिल हैं.
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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा. राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे. इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस बात को रेखांकित करना चाहती है कि देश में सम्मान और सद्भाव कायम हो. हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियों निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं. हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा.
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यह अमृतकाल हमें भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रबुद्ध वर्ग सहित सम्पूर्ण समाज का आह्वान करती है कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में कालसुसंगत रचनाएं विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने, जिससे भारत विश्व मंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्व कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके.