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नगर निगम की बोर्ड बैठक से अधिकारी रहे नदारद, विकास कार्यों को लेकर पाषर्दों ने किया हंगामा

बैठक में खुर्द बुर्द हुई नगर निगम की जमीन का मुद्दा भी पार्षदों ने उठाया. उन्होंने नगर निगम के कार्यालय से लापता हुई फाइलों के मामले में भी अधिकारियों से जवाब तलब किया.

बोर्ड बैठक में हंगामा
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Published : Jul 29, 2019, 11:02 PM IST

ऋषिकेश: शहर में विकास कार्यों को लेकर आयोजित की गई नगर निगम की बोर्ड बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई. बैठक में कम अधिकारियों की मौजूदगी और पूर्व में पास किए गए विकास कार्यों के नहीं होने पर पार्षदों ने हंगामा किया. पार्षदों ने नारेबाजी कर नदारद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि, काफी गहमागहमी के बाद बैठक शुरू हुई. जिसमें 74 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए.

बैठक में सबसे पहले उस समय हंगामा हो गया जब पूर्व सभासद हरीश तिवारी बैठक में शामिल होने पहुंचे. जिस पर महापौर, नगर आयुक्त और पार्षदों ने एतराज जताया. हंगामा बढ़ता देख पूर्व सभासद को बैठक से बाहर कर दिया गया. पूर्व सभासद के जाने के बाद जैसे ही बोर्ड बैठक शुरू हुई तो सभासदों ने पूर्व में पास हुए विकास कार्यों के नहीं होने पर नाराजगी जताई.

बोर्ड बैठक में हंगामा

पढ़ें- इंदिरा हृदयेश ने हिमालयन कॉन्क्लेव को बताया निराशाजनक, कहा- नहीं दिखाई गई गंभीरता

अधिकारियों से विकास कार्यों में देरी होने की जानकारी लेनी चाही तो अधिकारी बैठक से नदारद दिखाई दिए. जिस पर पार्षद फिर भड़क गए. पार्षदों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी कर बोर्ड बैठक का बहिष्कार करने की बात तक कह डाली.

भारत सरकार द्वारा 14वें वित्त आयोग से शहर के विकास के लिए आए 8 करोड़ की जानकारी नहीं मिलने पर पार्षदों ने फिर हंगामा किया. आरोप लगाया कि अकाउंटेंट की लापरवाही से इतनी बड़ी रकम लैप्स होने की कगार पर है. अब जाकर इसका खुलासा हुआ है. जिसके बाद अब इस रकम को रोके जाने की कार्रवाई निगम द्वारा की जा रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्षदों ने अकाउंटेंट पर भी कार्रवाई करने की मांग की.

बैठक में त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती को गंगा सभा संस्था से वापस लेने का मुद्दा भी उठा. पार्षदों ने आरोप लगाया कि गंगा सभा अव्यवस्थाओं के बीच गंगा आरती करने में लगी है, जबकि नगर निगम के कुछ नियमों को भी तोड़ा जा रहा है. इस मामले में महापौर ने एक समिति गठित करने की बात कही है, जो अव्यवस्थाओं को लेकर गंगा सभा के पदाधिकारियों से वार्ता करेगी. समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. काफी गहमागहमी के बीच चली करीब 6 घंटे की बैठक में 75 प्रस्ताव सदन में रखे गए.

पढ़ें- चमत्कार या अंधविश्वास: भगवान शिव के वाहन नंदी पी रहे दूध, देर रात तक मंदिर में लगी रही भीड़

बैठक में खुर्द बुर्द हुई नगर निगम की जमीन का मुद्दा भी पार्षदों ने उठाया. उन्होंने नगर निगम के कार्यालय से लापता हुई फाइलों के मामले में भी अधिकारियों से जवाब तलब किया. पार्षदों ने मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की. इस मामले में पार्षदों ने सुप्रीम कोर्ट में वकील के मार्फत संबंधित दस्तावेजों के आधार पर केस करने की बात भी कही. जिन जमीनों का मामला सामने आया है. उसमें डंपिंग ग्राउंड की भूमि, पुराना रोडवेज बस स्टैंड और नगर निगम के सामने की भूमि का मुद्दा मुख्य रूप से उठाया गया.

ऋषिकेश: शहर में विकास कार्यों को लेकर आयोजित की गई नगर निगम की बोर्ड बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई. बैठक में कम अधिकारियों की मौजूदगी और पूर्व में पास किए गए विकास कार्यों के नहीं होने पर पार्षदों ने हंगामा किया. पार्षदों ने नारेबाजी कर नदारद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि, काफी गहमागहमी के बाद बैठक शुरू हुई. जिसमें 74 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए.

बैठक में सबसे पहले उस समय हंगामा हो गया जब पूर्व सभासद हरीश तिवारी बैठक में शामिल होने पहुंचे. जिस पर महापौर, नगर आयुक्त और पार्षदों ने एतराज जताया. हंगामा बढ़ता देख पूर्व सभासद को बैठक से बाहर कर दिया गया. पूर्व सभासद के जाने के बाद जैसे ही बोर्ड बैठक शुरू हुई तो सभासदों ने पूर्व में पास हुए विकास कार्यों के नहीं होने पर नाराजगी जताई.

बोर्ड बैठक में हंगामा

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अधिकारियों से विकास कार्यों में देरी होने की जानकारी लेनी चाही तो अधिकारी बैठक से नदारद दिखाई दिए. जिस पर पार्षद फिर भड़क गए. पार्षदों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी कर बोर्ड बैठक का बहिष्कार करने की बात तक कह डाली.

भारत सरकार द्वारा 14वें वित्त आयोग से शहर के विकास के लिए आए 8 करोड़ की जानकारी नहीं मिलने पर पार्षदों ने फिर हंगामा किया. आरोप लगाया कि अकाउंटेंट की लापरवाही से इतनी बड़ी रकम लैप्स होने की कगार पर है. अब जाकर इसका खुलासा हुआ है. जिसके बाद अब इस रकम को रोके जाने की कार्रवाई निगम द्वारा की जा रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्षदों ने अकाउंटेंट पर भी कार्रवाई करने की मांग की.

बैठक में त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती को गंगा सभा संस्था से वापस लेने का मुद्दा भी उठा. पार्षदों ने आरोप लगाया कि गंगा सभा अव्यवस्थाओं के बीच गंगा आरती करने में लगी है, जबकि नगर निगम के कुछ नियमों को भी तोड़ा जा रहा है. इस मामले में महापौर ने एक समिति गठित करने की बात कही है, जो अव्यवस्थाओं को लेकर गंगा सभा के पदाधिकारियों से वार्ता करेगी. समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. काफी गहमागहमी के बीच चली करीब 6 घंटे की बैठक में 75 प्रस्ताव सदन में रखे गए.

पढ़ें- चमत्कार या अंधविश्वास: भगवान शिव के वाहन नंदी पी रहे दूध, देर रात तक मंदिर में लगी रही भीड़

बैठक में खुर्द बुर्द हुई नगर निगम की जमीन का मुद्दा भी पार्षदों ने उठाया. उन्होंने नगर निगम के कार्यालय से लापता हुई फाइलों के मामले में भी अधिकारियों से जवाब तलब किया. पार्षदों ने मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की. इस मामले में पार्षदों ने सुप्रीम कोर्ट में वकील के मार्फत संबंधित दस्तावेजों के आधार पर केस करने की बात भी कही. जिन जमीनों का मामला सामने आया है. उसमें डंपिंग ग्राउंड की भूमि, पुराना रोडवेज बस स्टैंड और नगर निगम के सामने की भूमि का मुद्दा मुख्य रूप से उठाया गया.

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Folder name--Nagar nigam baithak

ऋषिकेश--शहर में विकास के मुद्दे को लेकर आयोजित की गई नगर निगम की बोर्ड बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। बैठक में कम अधिकारियों की मौजूदगी और पूर्व में पास किए गए विकास कार्यों के नहीं होने पर पार्षदों ने हंगामा कर दिया। नारेबाजी कर नदारद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दौरान पार्षदों ने बोर्ड बैठक का बहिष्कार करने की बात तक कह दी। जिससे मौजूद अधिकारियों के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी। काफी गहमागहमी के बाद आखिरकार बैठक की शुरुआत हुई। जिसमें 74 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए।  





Body:वी/ओ--शहर में विकास के मुद्दे को लेकर आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक में सबसे पहले उस समय हंगामा हो गया जब पूर्व सभासद हरीश तिवारी बैठक में उपस्थित हो गए। इस पर महापौर, नगर आयुक्त और पार्षदों ने एतराज जताया। जमकर हंगामा होने के बाद पूर्व सभासद को बैठक से बाहर भेज दिया गया।पूर्व सभासद के जाने के बाद जैसे ही बोर्ड बैठक शुरू हुई सभासदों ने पूर्व में पास हुए विकास कार्यों के नहीं होने पर नाराजगी जताई। अधिकारियों से विकास कार्यो में देरी होने की जानकारी लेनी चाही तो अधिकारी बैठक में नदारद दिखाई दिये। जिस पर पार्षद फिर भड़क गए। पार्षदों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी कर बोर्ड बैठक का बहिष्कार करने की बात तक कह डाली।  


वी/ओ--भारत सरकार के द्वारा 14वें वित्त आयोग से शहर के विकास के लिए आए 8 करोड़ की जानकारी नहीं मिलने पर पार्षदों ने फिर हंगामा किया। आरोप लगाया कि अकाउंटेंट की लापरवाही से इतनी बड़ी रकम लैप्स होने की कगार पर पहुंची। अब जाकर इसका खुलासा हुआ है। जिसके बाद अब इस रकम को रोके जाने की कार्रवाई निगम के द्वारा की जा रही है। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्षदों ने अकाउंटेंट पर भी कार्रवाई करने की मांग की। 

बैठक के दौरान त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती को गंगा सभा संस्था से वापस लेने का मुद्दा भी उठा। पार्षदों ने आरोप लगाया कि गंगा सभा अव्यवस्थाओं के बीच गंगा आरती करने में लगी है। जबकि नगर निगम के कुछ नियमों को भी तोड़ा जा रहा है। इस मामले में महापौर ने एक समिति का गठन करने की बात कही है। जो अव्यवस्थाओं को लेकर गंगा सभा के पदाधिकारियों से वार्ता करेगा। समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। 

काफी गहमागहमी के बीच चली करीब 6 घंटे की बैठक में 75 प्रस्ताव सदन में रखे गए। जिसमें प्रस्ताव पारित किए गए। अब देखना यह है कि पूर्व की बैठक में पारित कार्य तो अभी तक परवान नहीं चढ़े है। इस बोर्ड की बैठक में पारित किए गए प्रस्तावों पर कब तक अमल किया जाएगा। 


बैठक में खुर्द बुर्द हुई नगर निगम की जमीन का मुद्दा भी पार्षदों ने उठाया। उन्होंने नगर निगम के कार्यालय से लापता हुई फाइलों के मामले में भी अधिकारियों से जवाब तलब किया। पार्षदों ने दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर मामले की जांच एसआईटी से कराने की कि है। इस मामले में पार्षदों ने सुप्रीम कोर्ट में वकील के मार्फत संबंधित दस्तावेजों के आधार पर केस करने की बात भी कही है। जिन जमीनों का मामला सामने आया है। उसमें डंपिंग ग्राउंड की भूमि, पुराना रोडवेज बस स्टैंड और नगर निगम के सामने की भूमि का मुद्दा मुख्य रूप से उठाया गया है।


Conclusion:वी/ओ--आज नगर निगम में दूसरे बोर्ड बैठक में नगर निगम के सभी 40 पार्षदों ने निगम के गैरजिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ बोर्ड में खड़े होकर एक साथ अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी कर खिलाफत किया,पार्षदों कहना था निगम में कुछ अधिकारियों की वजह क्षेत्र में विकास कार्य नही हो पा रहा है।

बाईट--अनीता ममगाई(महापौर,नगर निगम ऋषिकेश)
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