ऋषिकेश: शहर में विकास कार्यों को लेकर आयोजित की गई नगर निगम की बोर्ड बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई. बैठक में कम अधिकारियों की मौजूदगी और पूर्व में पास किए गए विकास कार्यों के नहीं होने पर पार्षदों ने हंगामा किया. पार्षदों ने नारेबाजी कर नदारद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि, काफी गहमागहमी के बाद बैठक शुरू हुई. जिसमें 74 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए.
बैठक में सबसे पहले उस समय हंगामा हो गया जब पूर्व सभासद हरीश तिवारी बैठक में शामिल होने पहुंचे. जिस पर महापौर, नगर आयुक्त और पार्षदों ने एतराज जताया. हंगामा बढ़ता देख पूर्व सभासद को बैठक से बाहर कर दिया गया. पूर्व सभासद के जाने के बाद जैसे ही बोर्ड बैठक शुरू हुई तो सभासदों ने पूर्व में पास हुए विकास कार्यों के नहीं होने पर नाराजगी जताई.
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अधिकारियों से विकास कार्यों में देरी होने की जानकारी लेनी चाही तो अधिकारी बैठक से नदारद दिखाई दिए. जिस पर पार्षद फिर भड़क गए. पार्षदों ने अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी कर बोर्ड बैठक का बहिष्कार करने की बात तक कह डाली.
भारत सरकार द्वारा 14वें वित्त आयोग से शहर के विकास के लिए आए 8 करोड़ की जानकारी नहीं मिलने पर पार्षदों ने फिर हंगामा किया. आरोप लगाया कि अकाउंटेंट की लापरवाही से इतनी बड़ी रकम लैप्स होने की कगार पर है. अब जाकर इसका खुलासा हुआ है. जिसके बाद अब इस रकम को रोके जाने की कार्रवाई निगम द्वारा की जा रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्षदों ने अकाउंटेंट पर भी कार्रवाई करने की मांग की.
बैठक में त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती को गंगा सभा संस्था से वापस लेने का मुद्दा भी उठा. पार्षदों ने आरोप लगाया कि गंगा सभा अव्यवस्थाओं के बीच गंगा आरती करने में लगी है, जबकि नगर निगम के कुछ नियमों को भी तोड़ा जा रहा है. इस मामले में महापौर ने एक समिति गठित करने की बात कही है, जो अव्यवस्थाओं को लेकर गंगा सभा के पदाधिकारियों से वार्ता करेगी. समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. काफी गहमागहमी के बीच चली करीब 6 घंटे की बैठक में 75 प्रस्ताव सदन में रखे गए.
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बैठक में खुर्द बुर्द हुई नगर निगम की जमीन का मुद्दा भी पार्षदों ने उठाया. उन्होंने नगर निगम के कार्यालय से लापता हुई फाइलों के मामले में भी अधिकारियों से जवाब तलब किया. पार्षदों ने मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की. इस मामले में पार्षदों ने सुप्रीम कोर्ट में वकील के मार्फत संबंधित दस्तावेजों के आधार पर केस करने की बात भी कही. जिन जमीनों का मामला सामने आया है. उसमें डंपिंग ग्राउंड की भूमि, पुराना रोडवेज बस स्टैंड और नगर निगम के सामने की भूमि का मुद्दा मुख्य रूप से उठाया गया.