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Election 2022: उत्तराखंड में BJP दोबारा सत्ता में काबिज, टूट गया 20 साल का मिथक

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दोबारा बहुमत मिला है. ऐसे में सत्ता परिवर्तन को लेकर चला आ रहा मिथक आखिरकार इस चुनाव में टूट गया.

Uttarakhand Election 2022
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Published : Mar 10, 2022, 12:43 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 6:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में सत्ता परिवर्तन को लेकर एक मिथक रहा है. प्रदेश में चुनाव के इतिहास में किसी भी दल ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल नहीं की है. लेकिन उत्तराखंड के पांचवीं विधानसभा के चुनाव में यह मिथक बीजेपी ने तोड़ दिया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी दोबारा सरकार बना रही है.

ऐसे में सत्ता परिवर्तन को लेकर चला आ रहा मिथक आखिरकार इस चुनाव में टूट गया है. राज्य गठन के बाद पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ और कांग्रेस ने उत्तराखंड में सरकार बनाई. वहीं, साल 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनी और इसके बाद 2012 के चुनाव में कांग्रेस और 2017 में भाजपा सत्ता में आई. ऐसे में राज्य बनने के बाद 20 सालों के राजनीतिक सफर में कांग्रेस व भाजपा दो-दो बार सत्ता में रही. लिहाजा, इस दौरान किसी भी दल को दोबारा प्रदेश में राज करने का मौका नहीं मिला. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी यह मिथक भी तोड़ दिया है और दोबारा प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है.

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पढ़ें- मतगणना से पहले कई प्रत्याशी हुए नॉट रिचेबल, बीजेपी-कांग्रेस संपर्क साधने की कोशिश में लगी

साथ ही इस विधानसभा चुनाव में शिक्षा मंत्री को लेकर चला आ रहा मिथक भी टूट गया है. साल 2000 में बीजेपी सरकार में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री बने थे. लेकिन 2002 के चुनाव में विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2002 में प्रदेश में एनडी तिवारी की सरकार बनीं. तिवारी सरकार में नरेंद्र सिंह भंडारी शिक्षा मंत्री बने और वह 2007 में चुनाव हार गए थे.

वहीं, 2007 में बीजेपी फिर सत्ता में आई. उस समय गोविंद सिंह बिष्ट और खजान दास शिक्षा मंत्री बने थे. लेकिन दोनों ही 2012 में विधानसभा चुनाव हार गए. साल 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई और देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने मंत्री प्रसाद नैथानी को शिक्षा मंत्री बनाया गया था. लेकिन वर्ष 2017 के चुनाव में चुनाव हार गए. हालांकि, इस चुनाव में धामी सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने जीत हासिल करके पिछले चुनाव से चले आ रहे मिथक को तोड़ दिया है.

चुनाव सत्तासीन दल

2002 कांग्रेस

2007 भाजपा

2012 कांग्रेस

2017 भाजपा

2022 भाजपा

गंगोत्री सीट का मिथक बरकरार

उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री विधानसभा सीट को लेकर भी एक मिथक चला आ रहा है. इस सीट से जिस पार्टी का विधायक चुनाव जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. गंगोत्री सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विजयपाल सजवाण ने जीत हासिल की और सरकार कांग्रेस की बनी. 2007 में भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता और भाजपा सत्ता में आई.

वहीं, 2012 में फिर विजयपाल सजवाण ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीता. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी. 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता और भाजपा सत्ता में आई. वर्तमान विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया है. ऐसे में बीजेपी ने इस सीट से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा था. जिसके बाद सुरेश चौहान की जीत से साथ ही प्रदेश में बीजेपी सरकार बन रही है. लिहाजा, गंगोत्री सीट को लेकर चला आ रहा मिथक अब भी बरकरार है.

देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में सत्ता परिवर्तन को लेकर एक मिथक रहा है. प्रदेश में चुनाव के इतिहास में किसी भी दल ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल नहीं की है. लेकिन उत्तराखंड के पांचवीं विधानसभा के चुनाव में यह मिथक बीजेपी ने तोड़ दिया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी दोबारा सरकार बना रही है.

ऐसे में सत्ता परिवर्तन को लेकर चला आ रहा मिथक आखिरकार इस चुनाव में टूट गया है. राज्य गठन के बाद पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ और कांग्रेस ने उत्तराखंड में सरकार बनाई. वहीं, साल 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनी और इसके बाद 2012 के चुनाव में कांग्रेस और 2017 में भाजपा सत्ता में आई. ऐसे में राज्य बनने के बाद 20 सालों के राजनीतिक सफर में कांग्रेस व भाजपा दो-दो बार सत्ता में रही. लिहाजा, इस दौरान किसी भी दल को दोबारा प्रदेश में राज करने का मौका नहीं मिला. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी यह मिथक भी तोड़ दिया है और दोबारा प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है.

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पढ़ें- मतगणना से पहले कई प्रत्याशी हुए नॉट रिचेबल, बीजेपी-कांग्रेस संपर्क साधने की कोशिश में लगी

साथ ही इस विधानसभा चुनाव में शिक्षा मंत्री को लेकर चला आ रहा मिथक भी टूट गया है. साल 2000 में बीजेपी सरकार में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री बने थे. लेकिन 2002 के चुनाव में विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2002 में प्रदेश में एनडी तिवारी की सरकार बनीं. तिवारी सरकार में नरेंद्र सिंह भंडारी शिक्षा मंत्री बने और वह 2007 में चुनाव हार गए थे.

वहीं, 2007 में बीजेपी फिर सत्ता में आई. उस समय गोविंद सिंह बिष्ट और खजान दास शिक्षा मंत्री बने थे. लेकिन दोनों ही 2012 में विधानसभा चुनाव हार गए. साल 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई और देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने मंत्री प्रसाद नैथानी को शिक्षा मंत्री बनाया गया था. लेकिन वर्ष 2017 के चुनाव में चुनाव हार गए. हालांकि, इस चुनाव में धामी सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने जीत हासिल करके पिछले चुनाव से चले आ रहे मिथक को तोड़ दिया है.

चुनाव सत्तासीन दल

2002 कांग्रेस

2007 भाजपा

2012 कांग्रेस

2017 भाजपा

2022 भाजपा

गंगोत्री सीट का मिथक बरकरार

उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री विधानसभा सीट को लेकर भी एक मिथक चला आ रहा है. इस सीट से जिस पार्टी का विधायक चुनाव जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. गंगोत्री सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विजयपाल सजवाण ने जीत हासिल की और सरकार कांग्रेस की बनी. 2007 में भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता और भाजपा सत्ता में आई.

वहीं, 2012 में फिर विजयपाल सजवाण ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीता. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी. 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता और भाजपा सत्ता में आई. वर्तमान विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया है. ऐसे में बीजेपी ने इस सीट से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा था. जिसके बाद सुरेश चौहान की जीत से साथ ही प्रदेश में बीजेपी सरकार बन रही है. लिहाजा, गंगोत्री सीट को लेकर चला आ रहा मिथक अब भी बरकरार है.

Last Updated : Mar 11, 2022, 6:26 PM IST
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