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चाय बागान सीलिंग जमीन का मोह छोड़ेगी भाजपा, प्रदेश कार्यालय के लिए तलाशेगी नई जमीन

बीजेपी मुख्यालय जमीन मामले में भाजपा ने बड़ा फैसला लिया है. भाजपा अब प्रदेश कार्यालय के लिए नई भूमि की तलाश में जुट गई है.

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रायपुर की विवादित भूमि का मोह छोड़ेगी भाजपा
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Published : Jul 1, 2023, 6:09 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड भाजपा के नए प्रदेश कार्यालय की जमीन विवादों में है. जिसके बाद अब पार्टी ने नई जमीन की तलाश तेज कर दी है. साथ ही भाजपा ने पुरानी जमीन से मोह छोड़ने का भी ऐलान कर दिया है. दरअसल, साल 2020 में जिस जमीन पर भाजपा ने प्रदेश मुख्यालय के निर्माण की आधारशिला रखी गई है, वो जमीन चाय बागान सीलिंग एक्ट के अंनर्गत आती है. जिसके कारण ये जमीन विवादित है

दरअसल, चाय बागान की सीलिंग जमीन को भाजपा ने साल 2010 में खरीदा था, जिस पर पार्टी ने तीन मंजिला नए प्रदेश मुख्यालय के निर्माण आधारशिला भी रखी. एडीएम कोर्ट से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल को नोटिस मिलने के बाद पार्टी के भीतर इस बात को लेकर मंथन हुआ कि चाय बागान की इस जमीन पर क्या फैसला ले सकती है? इसके बाद पार्टी ने तय किया है कि पार्टी अब नए प्रदेश कार्यालय के लिए नई जमीन की तलाश करेगी.

पढ़ें- तो क्या अतिक्रमण की जद में आया BJP का प्रस्तावित मुख्यालय, हरीश रावत ने की CBI जांच की मांग


भाजपा ने 2010 में जब यह जमीन खरीदी थी तो तब कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत महत्वपूर्ण भूमिका में थे. अब जब मामला जमीन को लेकर विवाद से जुड़ा है, तो कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि 2010 में जिस व्यक्ति से जमीन खरीदी गई थी, उस समय वो भूमि उसी व्यक्ति के नाम पर थी. जिसके बाद जमीन की रजिस्ट्री हुई , लेकिन अब एडीएम ने नोटिस भेजा है. जिसका जवाब दिया गया है. ऐसे में अब देखा जायेगा कि उस व्यक्ति के नाम पर वो जमीन कैसे हो गई. साथ ही उन्होंने कहा पार्टी कार्यालय ही नहीं कई मकान भी इस क्षेत्र में बन चुके हैं.

पढ़ें- बीजेपी मुख्यालय जमीन मामले से विधायक चुफाल ने झाड़ा पल्ला, 'अपनों' पर लगाया षड्यंत्र रचने का आरोप


वहीं, चाय बागान की जमीन को लेकर चल रहे विवाद को कांग्रेस ने लैंड जिहाद का नाम दिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इस मामले को भाजपा का लैंड जिहाद का बड़ा मामला बताया है. साथ ही कहा कि भाजपा ने अपनी सत्ता का इस्तेमाल करते हुए चाय बागान की सीलिंग एक्ट के तहत प्रतिबंधित भूमि को खरीदा गया. ऐसे में अब उस भूमि पर भाजपा का कार्यालय नहीं बन सकता है. कुल मिलाकर देखें तो, इस जमीन की खरीद से लेकर पार्टी कार्यालय के निर्माण प्रक्रिया तक, भाजपा की खूब किरकिरी हुई है. चाय बागान की सीलिंग जमीन खरीद कर भाजपा बुरी तरह से फंस गई है. ऐसे में अब एडीएम से नोटिस मिलने के बाद पार्टी ने पार्टी कार्यालय के लिए नई जमीन खरीदने का ऐलान कर दिया है.

देहरादून: उत्तराखंड भाजपा के नए प्रदेश कार्यालय की जमीन विवादों में है. जिसके बाद अब पार्टी ने नई जमीन की तलाश तेज कर दी है. साथ ही भाजपा ने पुरानी जमीन से मोह छोड़ने का भी ऐलान कर दिया है. दरअसल, साल 2020 में जिस जमीन पर भाजपा ने प्रदेश मुख्यालय के निर्माण की आधारशिला रखी गई है, वो जमीन चाय बागान सीलिंग एक्ट के अंनर्गत आती है. जिसके कारण ये जमीन विवादित है

दरअसल, चाय बागान की सीलिंग जमीन को भाजपा ने साल 2010 में खरीदा था, जिस पर पार्टी ने तीन मंजिला नए प्रदेश मुख्यालय के निर्माण आधारशिला भी रखी. एडीएम कोर्ट से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल को नोटिस मिलने के बाद पार्टी के भीतर इस बात को लेकर मंथन हुआ कि चाय बागान की इस जमीन पर क्या फैसला ले सकती है? इसके बाद पार्टी ने तय किया है कि पार्टी अब नए प्रदेश कार्यालय के लिए नई जमीन की तलाश करेगी.

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भाजपा ने 2010 में जब यह जमीन खरीदी थी तो तब कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत महत्वपूर्ण भूमिका में थे. अब जब मामला जमीन को लेकर विवाद से जुड़ा है, तो कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि 2010 में जिस व्यक्ति से जमीन खरीदी गई थी, उस समय वो भूमि उसी व्यक्ति के नाम पर थी. जिसके बाद जमीन की रजिस्ट्री हुई , लेकिन अब एडीएम ने नोटिस भेजा है. जिसका जवाब दिया गया है. ऐसे में अब देखा जायेगा कि उस व्यक्ति के नाम पर वो जमीन कैसे हो गई. साथ ही उन्होंने कहा पार्टी कार्यालय ही नहीं कई मकान भी इस क्षेत्र में बन चुके हैं.

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वहीं, चाय बागान की जमीन को लेकर चल रहे विवाद को कांग्रेस ने लैंड जिहाद का नाम दिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इस मामले को भाजपा का लैंड जिहाद का बड़ा मामला बताया है. साथ ही कहा कि भाजपा ने अपनी सत्ता का इस्तेमाल करते हुए चाय बागान की सीलिंग एक्ट के तहत प्रतिबंधित भूमि को खरीदा गया. ऐसे में अब उस भूमि पर भाजपा का कार्यालय नहीं बन सकता है. कुल मिलाकर देखें तो, इस जमीन की खरीद से लेकर पार्टी कार्यालय के निर्माण प्रक्रिया तक, भाजपा की खूब किरकिरी हुई है. चाय बागान की सीलिंग जमीन खरीद कर भाजपा बुरी तरह से फंस गई है. ऐसे में अब एडीएम से नोटिस मिलने के बाद पार्टी ने पार्टी कार्यालय के लिए नई जमीन खरीदने का ऐलान कर दिया है.

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