देहरादून: बीते कई दिनों से भाजपा में ऑल इज वेल नहीं है. कांग्रेस से आए बागी नेताओं की अनदेखी और नाराजगी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव होने में महज कुछ महीनों का वक्त है, लेकिन विधायक उमेश शर्मा काऊ और मंत्री हरक सिंह रावत ने मोर्चा खोल रखा है. जिसके सामने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी खामोश नजर आ रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को आगामी चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है.
उत्तराखंड में चुनावी माहौल लगातार गरमाता जा रहा है. प्रदेश में कभी कांग्रेस का 'हाथ' छोड़ बीजेपी के लिए 'कमल' खिलाने वाले बागी नेता अपनी अनदेखी से इन दिनों नाराज चल रहे हैं. कांग्रेस बागी गुट के विधायक और मंत्रियों ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. जिससे भाजपा असहस नजर आ रही है. यहां तक की बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.
आगामी विधानसभा चुनाव में नेताओं की गुटबाजी बीजेपी की मुसीबत बढ़ा सकती है. बीजेपी को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस से आए 9 विधायकों के गुट से है, जिन्होंने 2016 में हरीश रावत सरकार का तख्ता पलट कर दिया था. अब भाजपा में इस बागी नेताओं के गुट को मंत्री नेता हरक सिंह रावत लीड कर रहे हैं. गौरतलब है कि विधायक उमेश शर्मा काऊ और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई अनबन के बीच हरक सिंह रावत ने साफ कह दिया था कि भाजपा में कांग्रेस से आए लोगों का अपमान हो रहा है, ऐसे में हमें सोचना पड़ेगा. जिसके बाद से ही भाजपा बैकफुट पर है.
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ऐसे में अगर बागी विधायकों का गुट कुछ गड़बड़ करता है तो इसका सीधा नुकसान भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में उठाना होगा. सतपाल महाराज ने भी उमेश शर्मा काऊ की पैरवी की है. वहीं, उमेश शर्मा काऊ भी मीडिया के सामने खुले तौर पर कहा कि वह अकेले नहीं हैं, उनका पूरा ग्रुप है. बागी विधायकों को पता है कि उनकी ताकत तब तक है, जब तक वह सब साथ में है.
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से पत्रकारों ने बागी गुटों की नाराजगी को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली और इसे मीडिया की ही उपज बता दिया. उन्होंने कहा कि यह बयान मीडिया ने जबरदस्ती बागी विधायकों से उगलवाये हैं.
बहरहाल, भाजपा भले ही पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक दिखाना चाह रही है, लेकिन इन बागी गुटों के हर नेताओं पर संगठन द्वारा नजर रखी जा रही है. चर्चा है कि आने वाले चुनाव में अगर बागी विधायक बगावत करते हैं तो उस स्थिति में पार्टी किस तरह से मैनेजमेंट करेगी. यह मदन कौशिक के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी फिलहाल अभी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है.