देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना को यूं तो युवा विधायक के रूप में पहचाना जाता था, लेकिन विधानसभा के अंदर उनके सवाल पूछने का तरीका और विधाई कार्यों का ज्ञान बड़े-बड़े मंत्रियों की बोलती बंद करवा देता था. उनकी जैसी सक्रियता विधानसभा के अंदर गिने-चुने विधायकों में ही देखी गई.
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सुरेंद्र सिंह जीना यूं तो एक युवा विधायक थे, लेकिन लगातार तीन बार से चुनाव जीतकर वो विधानसभा पहुंचे रहे थे. खास बात यह है कि इतनी कम उम्र में विधायक बनने के साथ ही विधानसभा के अंदर विधाई कार्यों का ज्ञान उनके जैसे गिने-चुने ही युवा विधायकों को था. सुरेंद्र सिंह जीना के विधायी कार्यों की जानकारी को इस बात से ही समझा जा सकता है कि जब वे विधानसभा में सवाल पूछते थे तो प्रकाश पंत जैसे विधाई कार्यों के जानकार और जवाब देने में माहिर महारथी की भी बोलती बंद हो जाती थी.
विधानसभा के अंदर ऐसे कई मौके आए हैं जब उन्होंने अपनी ही सरकार के मंत्रियों से ऐसे सवाल पूछे कि मंत्री उसका जवाब नहीं दे सके. कई बार तो विधानसभा अध्यक्ष को भी इसका संज्ञान लेते हुए सरकार को निर्देशित तक करना पड़ा. सुरेंद्र सिंह जीना ने कांग्रेस सरकार में भी इंदिरा हृदयेश और तमाम दूसरे बड़े नेताओं से भी विधानसभा के अंदर ऐसे तर्क के साथ सवाल पूछे थे कि जिसका जवाब कोई नहीं दे पाता था.
सुरेंद्र सिंह जीना जैसे पढ़े-लिखे जानकार और विधाई कार्यों को समझने वाले उत्तराखंड में कम ही युवा विधायक रहे. सुरेंद्र सिंह के निधन से न केवल भाजपा को एक बड़ी क्षति हुई है, बल्कि यह क्षति प्रदेश के एक शानदार जनप्रतिनिधि को खोने की भी है. जीना अपने क्षेत्र में भी खासे लोकप्रिय थे. शायद यही कारण रहा कि वह 3 बार कम उम्र में विधानसभा में चुनकर आए थे.