देहरादून: उत्तराखंड में नियुक्तियों में हुई गड़बड़ियों (malpractices in recruitment in uttarakhand) को लेकर धामी सरकार भारी दबाव में दिख रही है. सरकार के लिए चिंता की बात ये है कि तमाम भर्तियों पर जांच करवाने के बाद भी भाजपा को ही इसमें आम लोगों का निशाना बनना पड़ रहा है. खास तौर पर विधानसभा में नियुक्तियों (Backdoor recruitment in the assembly) में हुए भाई-भतीजावाद के चलते भाजपा संगठन और सरकार दोनों ही बैकफुट पर हैं. अब खबर है कि भाजपा केंद्रीय हाईकमान ने भी इसका संज्ञान लेते हुए राज्य से इसके मद्देनजर जानकारी मांगी है.
उत्तराखंड में नेताओं के रिश्तेदारों की नौकरी (Backdoor recruitment in the assembly) की चर्चाएं प्रदेश में ही नहीं बल्कि अब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही हैं. जाहिर है कि इसका नुकसान भाजपा सरकार को उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी झेलना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस पर भाई-भतीजावाद का बयान इस मामले में पार्टी को बैकफुट पर भी ला रहा है. चिंता इस बात की है कि विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्ती में भाजपा के किसी एक या दो नेताओं के नाम नहीं बल्कि तमाम मंत्रियों और आरएसएस के पदाधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं.
पार्टी के सभी रसूखदार लोगों ने विधानसभा में इन नौकरियों में अपने-अपनों को जगह दिलवाई, लेकिन अब मामला सार्वजनिक होने के बाद पार्टी के नेताओं के लिए इसका जवाब देना मुश्किल हो रहा है. भाजपा के नेता, रिश्तेदार भाई-भतीजावाद पर रटे-रटाए जवाब दे रहे हैं, तो कांग्रेस को भी इस मामले में बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है.
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बड़ी बात यह है कि प्रदेश में संघ के बड़े पदाधिकारियों का नाम भी इसमें उजागर हुए हैं. मुख्यमंत्री दरबार के लोगों के नामों का भी खुलासा किया गया है. ऐसी स्थिति में केंद्रीय हाईकमान ने भी प्रदेश में हुई इन नियुक्तियों को लेकर रिपोर्ट मांग ली है. हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने इस मामले में सभी कालखंड के मामलों की जांच करने के लिए अध्यक्ष को कहने की बात कही है. इसके जरिए उन्होंने कांग्रेस के समय में हुई नियुक्तियों को भी कटघरे में खड़ा किया है. उधर, कांग्रेस के नेताओं ने अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ही इस्तीफे की मांग कर ली है. पार्टी नेताओं की मानें तो अब सरकार में रहने का पुष्कर सिंह धामी को कोई अधिकार नहीं है.
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उत्तराखंड में नियुक्ति को लेकर जिस तरह से तमाम नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों के नाम आ रहे हैं. उसके बाद माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान भी जल्दी इस पर कोई बड़ा फैसला कर सकता है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में भाजपा हाईकमान भी इस मामले में डैमेज कंट्रोल को लेकर रणनीति बना रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि कुछ नेताओं पर कार्रवाई हो सकती है. दूसरी तरफ प्रेमचंद अग्रवाल के स्टाफ ने उन सभी खबरों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि प्रेमचंद अग्रवाल को पार्टी हाईकमान की तरफ से तलब किया गया है.
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वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के स्टाफ की मानें तो उन्हें दिल्ली से कोई बुलावा नहीं आया है, हालांकि प्रेमचंद्र अग्रवाल को 2 सितंबर को दिल्ली जाना है. लेकिन उसकी वजह मंत्री परिषद की वह बैठक है जिसे प्रधानमंत्री लेने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इस बैठक में शामिल होने जा रहे हैं.