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90 के दशक में BJP के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हुआ राम मंदिर आंदोलन, कुनबे के साथ बढ़ा कारवां

राम मंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी को न सिर्फ केंद्र बल्कि पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी बड़ा विस्तार मिला. जिसका नतीजा है कि 90 के दशक की बीजेपी आज तेजी के साथ भारतीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है.

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BJP के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हुआ राम मंदिर आंदोलन
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Published : Aug 5, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Aug 6, 2020, 5:43 PM IST

देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने के साथ ही देश का माहौल भक्तिमय हो गया है. देशभर के राम भक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. सैकड़ों सालों बाद भगवान राम के मंदिर स्थापना के सपने को आकार मिला है. राजनीतिक पटल पर बाबरी विध्वंस से लेकर राम मंदिर निर्माण तक बीजेपी के लिए हमेशा ही संजीवनी साबित हुआ है. पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी इसके दम पर ही बीजेपी ने अपने पैर पसारे हैं. मंदिर आंदोलन से पहले देश और प्रदेश में बीजेपी का जनाधार इतना मजबूत नहीं था. 90 के दशक की बीजेपी की हकीकत और मौजूदा बीजेपी में जमीन आसमान का फर्क है. आज बीजेपी हर बीतते दिन के साथ फर्श से अर्श की ओर बढ़ती जा रही है.

दरअसल, राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी के जनाधार में इस कदर जान फूंकी कि हाशिये पर खड़ी बीजेपी आज आसमान तक पहुंच गई है. देश की तर्ज पर ही देवभूमि उत्तराखंड में भी बीजेपी की मजबूत पकड़ में राम मंदिर आंदोलन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही. साल 1991 में मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी का जनाधार पहाड़ी क्षेत्र में नाममात्र ही था.

BJP के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हुआ राम मंदिर आंदोलन

सियासी पंडितों का साफ मानना है कि 90 के दशक में कांग्रेस और क्षेत्रीय दल के रूप में पहचान रखने वाले उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) को बीजेपी की तुलना में काफी आगे माना जाता था लेकिन 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथयात्रा ने सारे समीकरण बदल दिये. इस रथयात्रा को विभिन्न राज्यों से होते हुए अयोध्या पहुंचना था, जिस-जिस राज्य और क्षेत्र से ये यात्रा गुजरी वहां के लोगों के साथ बीजेपी का जुड़ाव होता चला गया और धीरे-धीरे बीजेपी का अस्तित्व न सिर्फ मजबूत हुआ बल्कि वो दिनों-दिन आगे बढ़ती चली गई.

पढ़ें: राम मंदिर भूमिपूजन पर हरकी पैड़ी पर 'दिवाली', ब्रह्मकुंड पर भव्य दीपोत्सव

ये रथयात्रा का ही नतीजा था कि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने पहली बार 100 का आंकड़ा पर किया. इस समय बीजेपी को 120 सीटें मिली. यही नहीं, राम मंदिर निर्माण के आंदोलन के बाद 1991 के लोकसभा आम चुनाव में बीजेपी को पहाड़ी क्षेत्र की चारों सीटों पर जीत मिली. उस दौर में यह पहला मौका था जब पहाड़ी क्षेत्र में चारों तरफ कमल खिला हुआ नजर आया जबकि इससे पहले 1989 तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं बल्कि सीधे उत्तराखंड क्रांति दल यानी यूकेडी से हुआ करता था. मगर अब बीजेपी यहां नये प्रतिद्वंदी के रूप में उभर रही थी.

यही नहीं, अल्मोड़ा और टिहरी लोकसभा सीट से चुनाव में बीजेपी, तीसरे नंबर की पार्टी हुआ करती थी. उस वक्त बीजेपी की स्थिति इतनी नाजुक थी कि न तो कोई बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ना चाहता था और न ही कोई बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए इच्छुक हुआ करता था. 90 के दशक में बीजेपी का दिनों-दिन बढ़ता जनाधार आज भी बदस्तूर जारी है. परिणाम यह रहा कि आज बीजेपी न सिर्फ उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की सरकार चला रही है बल्कि केंद्र में भी बीजेपी का जनाधार सबसे मजबूत बना हुआ है.

वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन बताते हैं कि भगवान राम के जन्म स्थल पर श्रीराम मंदिर का निर्माण हो इसके लिए विश्व हिंदू परिषद संतों और राम भक्तों ने जो आंदोलन शुरू किया, उसमें बीजेपी की भी भूमिका रही. उन्होंने कहा राम मंदिर के लिए देश-विदेश में जो भी कार्यक्रम हुए उन सभी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने कहा बीजेपी राम का साथ लेते हुए हमेशा ही जनता के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ी, जिसकी नतीजा है कि देश और राज्य में बीजेपी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार है. वहीं. शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक बीजेपी के बढ़ते जनाधार को राम की कृपा मानते हैं.

बीजपी के बढ़ते जनाधार और राम मंदिर के मामले पर बोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का भी मानना है कि राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना बताते हैं कि राम सभी जगह हैं और भगवान राम वहां प्रकट होते है जहां प्रेम होता है. जहां नफरत, लोगों को लड़ने की बात की जाये, वहां भगवान राम की कृपा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जिस तरह रावण ने भगवान राम का नाम लेकर सीता का हरण किया था. उसी तरह सीता रूपी जनता को बीजेपी ठगने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ठग नहीं पाई.

देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने के साथ ही देश का माहौल भक्तिमय हो गया है. देशभर के राम भक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. सैकड़ों सालों बाद भगवान राम के मंदिर स्थापना के सपने को आकार मिला है. राजनीतिक पटल पर बाबरी विध्वंस से लेकर राम मंदिर निर्माण तक बीजेपी के लिए हमेशा ही संजीवनी साबित हुआ है. पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी इसके दम पर ही बीजेपी ने अपने पैर पसारे हैं. मंदिर आंदोलन से पहले देश और प्रदेश में बीजेपी का जनाधार इतना मजबूत नहीं था. 90 के दशक की बीजेपी की हकीकत और मौजूदा बीजेपी में जमीन आसमान का फर्क है. आज बीजेपी हर बीतते दिन के साथ फर्श से अर्श की ओर बढ़ती जा रही है.

दरअसल, राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी के जनाधार में इस कदर जान फूंकी कि हाशिये पर खड़ी बीजेपी आज आसमान तक पहुंच गई है. देश की तर्ज पर ही देवभूमि उत्तराखंड में भी बीजेपी की मजबूत पकड़ में राम मंदिर आंदोलन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही. साल 1991 में मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी का जनाधार पहाड़ी क्षेत्र में नाममात्र ही था.

BJP के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हुआ राम मंदिर आंदोलन

सियासी पंडितों का साफ मानना है कि 90 के दशक में कांग्रेस और क्षेत्रीय दल के रूप में पहचान रखने वाले उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) को बीजेपी की तुलना में काफी आगे माना जाता था लेकिन 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथयात्रा ने सारे समीकरण बदल दिये. इस रथयात्रा को विभिन्न राज्यों से होते हुए अयोध्या पहुंचना था, जिस-जिस राज्य और क्षेत्र से ये यात्रा गुजरी वहां के लोगों के साथ बीजेपी का जुड़ाव होता चला गया और धीरे-धीरे बीजेपी का अस्तित्व न सिर्फ मजबूत हुआ बल्कि वो दिनों-दिन आगे बढ़ती चली गई.

पढ़ें: राम मंदिर भूमिपूजन पर हरकी पैड़ी पर 'दिवाली', ब्रह्मकुंड पर भव्य दीपोत्सव

ये रथयात्रा का ही नतीजा था कि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने पहली बार 100 का आंकड़ा पर किया. इस समय बीजेपी को 120 सीटें मिली. यही नहीं, राम मंदिर निर्माण के आंदोलन के बाद 1991 के लोकसभा आम चुनाव में बीजेपी को पहाड़ी क्षेत्र की चारों सीटों पर जीत मिली. उस दौर में यह पहला मौका था जब पहाड़ी क्षेत्र में चारों तरफ कमल खिला हुआ नजर आया जबकि इससे पहले 1989 तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं बल्कि सीधे उत्तराखंड क्रांति दल यानी यूकेडी से हुआ करता था. मगर अब बीजेपी यहां नये प्रतिद्वंदी के रूप में उभर रही थी.

यही नहीं, अल्मोड़ा और टिहरी लोकसभा सीट से चुनाव में बीजेपी, तीसरे नंबर की पार्टी हुआ करती थी. उस वक्त बीजेपी की स्थिति इतनी नाजुक थी कि न तो कोई बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ना चाहता था और न ही कोई बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए इच्छुक हुआ करता था. 90 के दशक में बीजेपी का दिनों-दिन बढ़ता जनाधार आज भी बदस्तूर जारी है. परिणाम यह रहा कि आज बीजेपी न सिर्फ उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की सरकार चला रही है बल्कि केंद्र में भी बीजेपी का जनाधार सबसे मजबूत बना हुआ है.

वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन बताते हैं कि भगवान राम के जन्म स्थल पर श्रीराम मंदिर का निर्माण हो इसके लिए विश्व हिंदू परिषद संतों और राम भक्तों ने जो आंदोलन शुरू किया, उसमें बीजेपी की भी भूमिका रही. उन्होंने कहा राम मंदिर के लिए देश-विदेश में जो भी कार्यक्रम हुए उन सभी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने कहा बीजेपी राम का साथ लेते हुए हमेशा ही जनता के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ी, जिसकी नतीजा है कि देश और राज्य में बीजेपी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार है. वहीं. शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक बीजेपी के बढ़ते जनाधार को राम की कृपा मानते हैं.

बीजपी के बढ़ते जनाधार और राम मंदिर के मामले पर बोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का भी मानना है कि राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना बताते हैं कि राम सभी जगह हैं और भगवान राम वहां प्रकट होते है जहां प्रेम होता है. जहां नफरत, लोगों को लड़ने की बात की जाये, वहां भगवान राम की कृपा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जिस तरह रावण ने भगवान राम का नाम लेकर सीता का हरण किया था. उसी तरह सीता रूपी जनता को बीजेपी ठगने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ठग नहीं पाई.

Last Updated : Aug 6, 2020, 5:43 PM IST
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