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2022 का ब्लूप्रिंट: BJP 'घर-घर' तो कांग्रेस ने 'गांव-गांव' जाने का बनाया खाका, इस तरह करेंगे फतह

उत्तराखंड 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने जीत का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. कांग्रेस 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान के जरिए वोट बैंक हथियाने की कोशिश कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने 'घर-घर भाजपा हर घर भाजपा' अभियान के जरिए वोटों की फसल काटने की रणनीति तैयार की है.

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देहरादून
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Published : Nov 12, 2021, 9:47 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 12:59 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जीत का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. पार्टी ने अपने कार्यक्रमों को पंचायत स्तर पर अमलीजामा पहनाने की रूपरेखा तैयार कर ली है. यही नहीं कांग्रेस कुछ खास एजेंडों और वर्ग को फोकस करने का भी प्लान कर चुके हैं. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश स्तर पर अपने प्रोग्राम चला रही है, लेकिन कांग्रेस का प्रयास सरकार विरोधी लहर का फायदा लेना और पार्टी स्तर पर मुद्दों को जनता के बीच ले जाना है. कांग्रेस का जीत को लेकर ये है ब्लूप्रिंट.

उत्तराखंड में बारी-बारी सत्ता का स्वाद चखने वाले दोनों ही राष्ट्रीय दलों का फोकस यूं तो सभी 70 विधानसभाओं पर रहता है. लेकिन इस बार आंकड़ों और विरोधियों की तैयारियों के लिहाज से यह पार्टियां अपनी जीत का ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. भाजपा पिछले लंबे समय से अपने अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए जनता के बीच मौजूदगी दर्ज करा रही है. उधर, कांग्रेस इस मामले में काफी देरी से सक्रिय हुई है, लेकिन कई बातें हैं जो कांग्रेस के पक्ष में उनकी इस देरी के बावजूद जीत का माहौल तैयार कर रही है. कांग्रेस परिवर्तन रैली और सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाकर चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगी है. कांग्रेस ने करीब 10 लाख लोगों को जोड़ने का भी लक्ष्य रखा है. साथ ही हर बूथ पर 50 सदस्य बनाने का भी टारगेट रखा गया है, जिस पर पहले ही काम शुरू हो चुका है.

राजनीतिक दलों का ब्लू प्रिंट

ये भी पढ़ेंः 'भाजपाई ढोल की हम खोल रहे पोल, ये महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ सीधा जनाक्रोश'

कांग्रेस ने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल पर समांतर पकड़ बनाने के लिए पार्टी नेताओं को अलग-अलग जगहों की जिम्मेदारियां दी है. इस कड़ी में भाजपा के 'घर-घर भाजपा हर घर भाजपा' के नारे को फेल करने के लिए कांग्रेस ने भी गांव-गांव कांग्रेस अभियान को आगे बढ़ाया है, जिसकी शुरुआत भी 12 नवंबर से हो चुकी है. हालांकि, इस अभियान को भाजपा ने खुद की कॉपी के रूप में बताया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल का कहना है कि भाजपा काफी पहले से तैयारियों में जुटी हुई है. जबकि, कांग्रेस अब जो भी अभियान चला रही है, वह भाजपा के योजना के आधार पर बनाए गए हैं.

BJP चुनाव प्रभारी ने ली बैठकः शुक्रवार को उत्तराखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक ली. बैठक में चुनाव प्रबंधन समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के लिहाज से जनता के बीच किस तरह से काम करना है, इस का पाठ पढ़ाया गया. बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि पार्टी की ओर से गठित चुनाव प्रबंधन समिति के 33 अलग-अलग विभागों के पदाधिकारियों को आज कुछ टास्क दिए गए हैं. आगामी 24, 25 और 26 नवंबर को चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों से फीडबैक लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः BJP चुनाव समिति बैठक: पदाधिकारी करते रहे इंतजार, नहीं पहुंचे कार्यकर्ता, छोटे से कमरे में सिमटी मीटिंग

कांग्रेस का सरकार विरोधी माहौल को भुनाने का प्रयासः उत्तराखंड में सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए कांग्रेस ने सरकार विरोधी माहौल को भुनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस जानती है कि प्रदेश की जनता का मूड अब तक परिवर्तन पर ज्यादा रहा है. जनता का हर 5 साल में सरकार से नाराजगी का पैमाना काफी ज्यादा हाई रहता है और इसीलिए जनता भी हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन करने में संकोच नहीं करती. उत्तराखंड में जनता के इसी राजनीतिक इतिहास को देखते हुए कांग्रेस का ध्यान सरकार विरोधी माहौल को अपने पक्ष में करने का है.

महंगाई, बेरोजगारी पर जनता का ध्यान आकर्षित करनाः प्रदेश में कांग्रेस अपनी जीत के ब्लूप्रिंट में केंद्रीय मुद्दों को भी सहायक बनाना चाहती है. ऐसे में महंगाई का मुद्दा भी शामिल है जो हर घर और परिवार से ताल्लुक रखता है. कांग्रेस जानती है कि यह मुद्दा किसी को भी सत्ता से गिरा कर दूसरे दल को सत्ता पर पहुंचा सकता है. यही वजह है कि पिछले लंबे समय से महंगाई पर मौन रहने वाली कांग्रेस ने इसी हफ्ते प्रदेशव्यापी आंदोलन करते हुए महंगाई को जनता के ध्यान में लाने और इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है. यही नहीं, बेरोजगारी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है, ताकि इस गंभीर मुद्दे को भी चुनाव के दौरान भुनाया जा सके.

ये भी पढ़ेंः ये क्या! खंडूड़ी को भूले बहुगुणा, बोले- BJP में रिपीट की परंपरा नहीं, क्या धामी नहीं बनेगे अगले CM?

युवा, कर्मचारी और किसानों पर भी कांग्रेस का फोकसः राज्य में कांग्रेस ने गांव-गांव कांग्रेस अभियान की शुरुआत करते हुए 3 दिनों तक गांवों में और पंचायत स्तर पर पार्टी नेताओं के रात्रि विश्राम का कार्यक्रम बनाया है. इसमें पार्टी के नेता पंचायतों में बैठकें करेंगे. यही नहीं युवाओं को सम्मानित करने से लेकर किसानों को भी एकजुट करने की कोशिश की जाएगी. उधर सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारी वर्गों को भी समर्थन के जरिए कांग्रेस के पक्ष में लाया जाएगा. चुनावी रणनीति के तहत यह भी कांग्रेस का एक अहम कदम रहेगा.

प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता गांव में रात्रि विश्राम करेंगे और इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तक का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है. इसके साथ ही पार्टी विभिन्न सीटों पर मजबूत निर्दलीय प्रत्याशियों और नेताओं को भी पार्टी से जोड़ रही है, जबकि उन सीटों पर भी बेहद ज्यादा फोकस है जहां पर 2017 में हार का अंतर 1000 या उससे कम रहा था. पार्टी ने करीब 45 सीट जीतने के लिए क्षेत्रों को चिन्हित भी किया है. उधर पूर्व विधायक और पार्टी पदाधिकारियों को भी इसके लिए अलग से जिम्मेदारियां दी जा रही है.

ये भी पढ़ेंः ...तब ₹10 करोड़ और मंत्री पद से नहीं डिगा तो अब क्यों छोड़ूंगा कांग्रेस

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी का कहना है कि विधानसभा स्तर पर 'मेरा बूथ मेरा गौरव' नाम से कार्यक्रम चलाया जा रहा है. साथ ही 'गांव-गांव कांग्रेस' का भी नारा दिया गया है. यह वह अभियान है जिसके जरिए उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में वापसी की राह तय करने वाली है.

देहरादूनः उत्तराखंड कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जीत का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. पार्टी ने अपने कार्यक्रमों को पंचायत स्तर पर अमलीजामा पहनाने की रूपरेखा तैयार कर ली है. यही नहीं कांग्रेस कुछ खास एजेंडों और वर्ग को फोकस करने का भी प्लान कर चुके हैं. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश स्तर पर अपने प्रोग्राम चला रही है, लेकिन कांग्रेस का प्रयास सरकार विरोधी लहर का फायदा लेना और पार्टी स्तर पर मुद्दों को जनता के बीच ले जाना है. कांग्रेस का जीत को लेकर ये है ब्लूप्रिंट.

उत्तराखंड में बारी-बारी सत्ता का स्वाद चखने वाले दोनों ही राष्ट्रीय दलों का फोकस यूं तो सभी 70 विधानसभाओं पर रहता है. लेकिन इस बार आंकड़ों और विरोधियों की तैयारियों के लिहाज से यह पार्टियां अपनी जीत का ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. भाजपा पिछले लंबे समय से अपने अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए जनता के बीच मौजूदगी दर्ज करा रही है. उधर, कांग्रेस इस मामले में काफी देरी से सक्रिय हुई है, लेकिन कई बातें हैं जो कांग्रेस के पक्ष में उनकी इस देरी के बावजूद जीत का माहौल तैयार कर रही है. कांग्रेस परिवर्तन रैली और सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाकर चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगी है. कांग्रेस ने करीब 10 लाख लोगों को जोड़ने का भी लक्ष्य रखा है. साथ ही हर बूथ पर 50 सदस्य बनाने का भी टारगेट रखा गया है, जिस पर पहले ही काम शुरू हो चुका है.

राजनीतिक दलों का ब्लू प्रिंट

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कांग्रेस ने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल पर समांतर पकड़ बनाने के लिए पार्टी नेताओं को अलग-अलग जगहों की जिम्मेदारियां दी है. इस कड़ी में भाजपा के 'घर-घर भाजपा हर घर भाजपा' के नारे को फेल करने के लिए कांग्रेस ने भी गांव-गांव कांग्रेस अभियान को आगे बढ़ाया है, जिसकी शुरुआत भी 12 नवंबर से हो चुकी है. हालांकि, इस अभियान को भाजपा ने खुद की कॉपी के रूप में बताया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल का कहना है कि भाजपा काफी पहले से तैयारियों में जुटी हुई है. जबकि, कांग्रेस अब जो भी अभियान चला रही है, वह भाजपा के योजना के आधार पर बनाए गए हैं.

BJP चुनाव प्रभारी ने ली बैठकः शुक्रवार को उत्तराखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक ली. बैठक में चुनाव प्रबंधन समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के लिहाज से जनता के बीच किस तरह से काम करना है, इस का पाठ पढ़ाया गया. बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि पार्टी की ओर से गठित चुनाव प्रबंधन समिति के 33 अलग-अलग विभागों के पदाधिकारियों को आज कुछ टास्क दिए गए हैं. आगामी 24, 25 और 26 नवंबर को चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों से फीडबैक लिया जाएगा.

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महंगाई, बेरोजगारी पर जनता का ध्यान आकर्षित करनाः प्रदेश में कांग्रेस अपनी जीत के ब्लूप्रिंट में केंद्रीय मुद्दों को भी सहायक बनाना चाहती है. ऐसे में महंगाई का मुद्दा भी शामिल है जो हर घर और परिवार से ताल्लुक रखता है. कांग्रेस जानती है कि यह मुद्दा किसी को भी सत्ता से गिरा कर दूसरे दल को सत्ता पर पहुंचा सकता है. यही वजह है कि पिछले लंबे समय से महंगाई पर मौन रहने वाली कांग्रेस ने इसी हफ्ते प्रदेशव्यापी आंदोलन करते हुए महंगाई को जनता के ध्यान में लाने और इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है. यही नहीं, बेरोजगारी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है, ताकि इस गंभीर मुद्दे को भी चुनाव के दौरान भुनाया जा सके.

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युवा, कर्मचारी और किसानों पर भी कांग्रेस का फोकसः राज्य में कांग्रेस ने गांव-गांव कांग्रेस अभियान की शुरुआत करते हुए 3 दिनों तक गांवों में और पंचायत स्तर पर पार्टी नेताओं के रात्रि विश्राम का कार्यक्रम बनाया है. इसमें पार्टी के नेता पंचायतों में बैठकें करेंगे. यही नहीं युवाओं को सम्मानित करने से लेकर किसानों को भी एकजुट करने की कोशिश की जाएगी. उधर सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारी वर्गों को भी समर्थन के जरिए कांग्रेस के पक्ष में लाया जाएगा. चुनावी रणनीति के तहत यह भी कांग्रेस का एक अहम कदम रहेगा.

प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता गांव में रात्रि विश्राम करेंगे और इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तक का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है. इसके साथ ही पार्टी विभिन्न सीटों पर मजबूत निर्दलीय प्रत्याशियों और नेताओं को भी पार्टी से जोड़ रही है, जबकि उन सीटों पर भी बेहद ज्यादा फोकस है जहां पर 2017 में हार का अंतर 1000 या उससे कम रहा था. पार्टी ने करीब 45 सीट जीतने के लिए क्षेत्रों को चिन्हित भी किया है. उधर पूर्व विधायक और पार्टी पदाधिकारियों को भी इसके लिए अलग से जिम्मेदारियां दी जा रही है.

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उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी का कहना है कि विधानसभा स्तर पर 'मेरा बूथ मेरा गौरव' नाम से कार्यक्रम चलाया जा रहा है. साथ ही 'गांव-गांव कांग्रेस' का भी नारा दिया गया है. यह वह अभियान है जिसके जरिए उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में वापसी की राह तय करने वाली है.

Last Updated : Nov 13, 2021, 12:59 PM IST
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