विकासनगर: हर साल 13 अप्रैल से जौनसार बावर में बिस्सू मेलों का आयोजन (Bissu fairs organized) शुरू हो जाता है. यह बिस्सू मेले जौनसार बावर की पौराणिक संस्कृति (Legendary Culture of Jaunsar Bawar) व देवताओं के लिए समर्पित होते हैं. कोरोना काल में 2 साल तक यह मेला सरकार की गाइडलाइन अनुसार बंद था. इस बार मेले के आयोजनों से सभी ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
चकराता के थाना डांडा में बिस्सू मेले का आयोजन (Bissu fair organized in thana danda area) हुआ, जिसमें कई गांव के ग्रामीण ढोल बाजे के साथ डांडा मैदान में नाचते गाते पहुंचे. वहीं, चकराता पहुंचे पर्यटकों ने भी इस मेले में शिरकत की. गुडगांव से पहुंचे सौरभ ने बताया कि मैं पहली बार बिस्सू मेले में यहां पहुंचा हूं. यहां की संस्कृति बहुत अच्छी है. सभी लोग हंसमुख और सुंदर स्वभाव के हैं. यहां पारंपरिक वेशभूषा में महिला और पुरुषों ने नृत्य किया.
ग्रामीण महिला ने बताया कि यह हमारी सदियों से चली आ रही परंपराओं में शामिल है. यह हमारी जौनसार बावर की संस्कृति का रूप है. कोरोना काल में 2 सालों तक मेला स्थगित रहा. इस बार यह मेला आयोजित हुआ है. जिससे ग्रामीणों में काफी उत्साह है.
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आज इस मेले में काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे हैं. वहीं, मेला समिति के सदस्य सालक राम जोशी ने बताया कि यह मेले करीब 125 वर्षों से चला आ रहा है. कोरोना काल में मेला स्थगित रहा. इस बार फिर से पौराणिक पारंपरिक मेला शुरू है. हम अपनी संस्कृति को लेकर काफी सजग हैं. इस तरह के मेलों के आयोजन से लोक संस्कृति बनी रहती है.