देहरादून: धामी मंत्रिमंडल में 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ तो ले ली, लेकिन मंत्रिमंडल में अभी भी तीन मंत्री के पद खाली है. हालांकि, इस बार धामी सरकार के शपथ ग्रहण में सबकी नजर उत्तराखंज भाजपा के दिग्गज एबीसी यानी की अरविंद पांडे, बंशीधर भगत और चुफाल को तलाशती रही, लेकिन धामी मंत्रिमंडल में इन्हें तवज्जो नहीं दिया गया. जिसके बाद से पार्टी से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में चर्चा है कि इनका सियासी भविष्य अब संकट में है.
धामी सरकार के गठन के साथ ही पार्टी में क्षेत्रीय असंतुलन की बातें उठने लगी है. राज्य में 7 जिलों से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने पर भी राजनीतिक रूप से चर्चा हो रही है. वहीं, बिशन सिंह चुफाल मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
हालांकि, भाजपा संगठन ने बिगड़ती स्थिति को काबू करते हुए नेताओं को समझाने का प्रयास किया है, जिसके बाद किसी भी तरफ से अब नाराजगी के सुर नहीं सुनाई दे रहे हैं. इस सब के बावजूद क्षेत्रीय असंतुलन के मामले पर एक बार फिर बिशन सिंह चुफाल ने ऐसा बयान दिया है, जिसने भाजपा हाईकमान के निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
चुफाल ने जताई नाराजगी: दरअसल, चुफाल ने कहा कि हो सकता है कि उन्हें क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण के चलते मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया हो, लेकिन यदि सरकार 3 खाली पदों पर भी मंत्री बढ़ा देती तो शायद क्षेत्रीय असंतुलन को दूर किया जा सकता है. उधर, मदन कौशिक पहले ही यह कह चुके हैं कि जल्द ही हरिद्वार से भी किसी व्यक्ति को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.
सुर्खियों में बीजेपी के 4 नेता: उत्तराखंड में भाजपा के 4 नेता इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं और इन्हीं को लेकर पार्टी में भी सबसे ज्यादा गॉसिप हो रही है, दरअसल मंत्रिमंडल से बाहर होने वाले इन चारों विधायकों के राजनीतिक भविष्य पर तरह-तरह की बातें की जा रही है. उधर, मौजूदा स्थितियों को देखकर ऐसा कम ही लगता है कि इन नेताओं को भविष्य में जल्द कोई नई और बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही है.
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इन नेताओं को नहीं मिली कैबिनेट में जगह: उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत और अरविंद पांडे इन दिनों भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की जुबान पर हैं. ऐसा इसलिए कि इन चारों वरिष्ठ विधायकों को इस बार भाजपा ने मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है. शायद यही कारण है कि इन सभी नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर भी चर्चाएं हो रही हैं.
बात सबसे पहले मदन कौशिक की करें तो मदन कौशिक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लिहाजा उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा में मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर जिम्मेदारी किसी और को देने की खबरें आ रही है. पार्टी के ही कुछ जानकार बताते हैं कि आने वाले कुछ महीनों में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी पहाड़ी जिले से गढ़वाल के किसी ब्राह्मण नेता को दी जा सकती है. लिहाजा ऐसे में जब उन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं दी गई है तो उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा.
मदन कौशिक पर पार्टी विरोध गतिविधि का आरोप: वैसे आपको बता दें कि मदन कौशिक से जुड़े पार्टी कार्यकर्ता लगातार पिछले कुछ दिनों से पार्टी के निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए दिखाई दे रहे हैं. यही नहीं खुद मदन कौशिक पर भी अपनी ही पार्टी के विधायकों को हराने के आरोप लगे हैं. लिहाजा फिलहाल उन्हें केवल विधायक पद से ही संतुष्ट होना पड़ सकता है. संभावनाओं के अनुसार उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाता है तो उनको भविष्य में जल्दी कोई नई जिम्मेदारी मिलने की संभावना कम है. हालांकि, अभी सरकार में तीन मंत्री पद खाली है. जिसमें हरिद्वार जिले को भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
बंशीधर को कैबिनेट में नहीं मिली जगह: बंशीधर भगत को उनकी उम्र के कारण मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की बात सामने आ रही है. लिहाजा अब भाजपा में उनको जिस तरह मंत्रिमंडल से दूर रखा गया है, उसके बाद माना जा रहा है कि पार्टी द्वारा सरकार में उन्हें किसी बड़ी जिम्मेदारी देने की संभावना कम है. यही नहीं पार्टी में तो कुछ लोग तो उनके राजनीतिक सन्यास की तरफ जाने के रूप में भी देख रहे रहे हैं.
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चुफाल को जिम्मेदारी देने की संभावना कम: बिशन सिंह चुफाल को भी अधिक उम्र के कारण मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है. ऐसे में उन्हें भी अब संगठन या सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल पाएगी, इसकी संभावना कम दिखती है. जाहिर है कि चुफाल के लिए भी अब राजनीतिक रूप से भाजपा में सन्यास का समय नजदीक दिखाई दे रहा है.
अरविंद को कैबिनेट से बाहर रखा गया: अरविंद पांडे को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया. हालांकि, वह उम्र के लिहाज से पूरी तरह पार्टी की कैटेगरी में फिट बैठते हैं. बावजूद इसके उनको मंत्रिमंडल में शामिल न करने के पीछे कुछ खास कारण बताए जाते हैं. माना जा रहा है कि मदन कौशिक की तरह उन पर भी पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप है.
इसीलिए उन्हें मंत्रिमंडल से दूर रखा गया है. वैसे तो तीन मंत्री के पद खाली है, लेकिन फिलहाल इनके जल्द भरे जाने की संभावनाएं कम है. लिहाजा अरविंद पांडे को लेकर भी यह कहा जा सकता है कि उन्हें फिलहाल विधायक बन कर ही अपने क्षेत्र के लिए काम करना होगा. हालांकि, उनके पास समय है लिहाजा भविष्य में उनको मंत्रिमंडल विस्तार के समय तवज्जो दी जा सकती है.