देहरादून: उत्तराखंड में पटवारियों के कामकाज को बेहतर करने के लिए सैकड़ों टू व्हीलर्स तो लाए गए, लेकिन सिस्टम की अनियोजित प्लानिंग और लापरवाही के चलते यह गाड़ियां राजस्व परिषद के कार्यालय में धूल खा रही हैं. हालांकि राजस्व परिषद के अधिकारियों का दावा है कि तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने के साथ यह गाड़ियां पटवारियों को दी जा रही हैं और इसके लिए पटवारियों को भी निर्देशित किया जा रहा है.
गाड़ियां राजस्व परिषद कार्यालय में खड़ी: देहरादून के राजस्व परिषद में खड़ी गाड़ियां सरकारी सिस्टम की लापरवाही को बयां करती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले करीब 1 महीने पहले इन गाड़ियों को राजस्व परिषद लाया गया था, लेकिन तब से अब तक जिस मकसद के साथ इन्हें दिया गया वह मकसद पूरा नहीं हो पाया है. एक निजी कंपनी की तरफ से सीएसआर फंड के तहत करीब 320 गाड़ियां राजस्व विभाग को दी गई थी जिसका मकसद पटवारियों की फील्ड ड्यूटी को सुविधाजनक बनाना था. बता दें कि इन गाड़ियों को प्रदेश भर के पटवारियों के लिए दिया गया था, खास बात यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका शुभारंभ किया था. लेकिन तभी से यह गाड़ियां राजस्व परिषद के कार्यालय में मौजूद हैं.
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एक महीने से वाहन कार्यालय में खड़े: सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें कई गाड़ियां स्टार्ट भी नहीं हो पा रही है और अब जब पटवारी इन्हें लेने पहुंच रहे हैं तो नई गाड़ियों में मैकेनिक कड़ी मशक्कत के साथ इन को ठीक करने में जुटे हुए हैं. वैसे तो राजस्व परिषद में सहायक राजस्व अधिकारी के तौर पर काम करने वाले केके डिमरी कहते हैं कि करीब 94 गाड़ियां परिषद के कैंपस में खड़ी हैं और बाकी 200 से ज्यादा गाड़ियां पटवारियों को दी जा चुकी हैं. लेकिन जब मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने गिनती की तो यह गाड़ियां 100 से भी ज्यादा संख्या में यहां दिखाई दी. खास बात यह भी है कि पिछले करीब 1 महीने से गाड़ियां खड़ी हैं.
गाड़ियां नहीं हो रही स्टार्ट: लेकिन अब तक पटवारी इन गाड़ियों को नहीं ले गए, इसके कारण इन गाड़ियों में धूल जम गई है और अब जो पटवारी इन गाड़ियों को ले जा रहे हैं उन्हें इन गाड़ियों को स्टार्ट करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.इस मामले में मौके पर गाड़ी ले जाने के लिए पहुंचे पटवारी ने बताया कि वह चकराता से आया है और गाड़ियों को ले जाने के लिए उन्हें कहा गया था. लेकिन जब वह कार्यालय पहुंचे तो यहां पर गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही हैं. यही नहीं और भी कई पटवारी इन गाड़ियों की इस हालत को देखकर परेशान नजर आए. जाहिर है कि पिछले लंबे समय से खड़ी यह गाड़ियां अब दिक्कत पैदा कर रही हैं. इसके बावजूद कि यह अभी बिल्कुल नई गाड़ियां हैं और शोरूम से इन्हें लाकर परिषद में रखा गया है.
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अन्य जनपदों के लिए चुनौतियां कम नहीं: इस स्थिति को लेकर केके डिमरी कहते हैं कि जितना भी समय लगा है वह गाड़ियों को लेकर तमाम औपचारिकताओं के कारण लगा है. गाड़ियों के कुछ अतिरिक्त पाट्स भी परिषद में लाकर ही लगाए गए हैं. इसके अलावा आरटीओ से इसके रजिस्ट्रेशन तक की प्रक्रिया में भी समय लग रहा है. इस स्थिति को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि प्रदेशभर के पटवारी अपनी बाइक लेने के लिए देहरादून आ रहे हैं. यानी दूरस्थ पिथौरागढ़ या सैकड़ों किलोमीटर दूर चंपावत के दूरस्थ क्षेत्रों से अपनी गाड़ी लेने के लिए पटवारी को देहरादून आना पड़ रहा है जबकि यदि यह गाड़ियां उन्हीं के क्षेत्रों या जिला मुख्यालय पर होती तो पटवारियों को इन्हें ले जाने में आसानी होती.
सभी जिलों के लिए शेड्यूल तय: इस मामले पर केके डिमरी कहते हैं कि सभी जिलों के लिए एक शेड्यूल तय किया गया है और क्षेत्र और जिले के स्तर पर पटवारियों को देहरादून बुलाकर गाड़ी में जाने के लिए कहा गया है. समझना आसान है कि दूर-दूर से आने वाले पटवारियों को देहरादून से गाड़ी ले जाने में कितनी दिक्कत आएगी. अब इसे मैनेजमेंट की कमी ही कहेंगे कि प्रदेशभर की गाड़ियों को देहरादून में ही उतार लिया गया और राज्य के दूर-दूर के क्षेत्रों से भी पटवारियों को मजबूरन देहरादून पहुंचना पड़ रहा है.