देहरादून: राजधानी के सब रजिस्ट्रार ऑफिस में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है. आशंका है कि इस तरह की गड़बड़ी कार्यालय में करीब 12 साल से चलती रही है. लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन अब जब मामला सामने आया है तो परत दर परत खुलासे हो रहे हैं. हालांकि जिलाधिकारी ने देहरादून, विकासनगर और ऋषिकेश के रिकॉर्ड रूम की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अतिरिक्त कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की गई है. साथ ही कहा है कि पूरे मामले की फॉरेंसिक जांच होगी और फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी.
जमीनों का किया फर्जीवाड़ा: जिलाधिकारी द्वारा लगाए गए जनता दरबार के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था. जिले में बहुत सी ऐसी जमीनें हैं, जिनके मालिकों ने सालों से उनकी तरफ नहीं देखा. इसी का फायदा उठाकर भूमाफियाओं ने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया है. यह मामला सामने आने के बाद चार पुराने बैनामों की जांच कराई गई तो सब हैरान रह गए. किसी ने किसी का मुख्तारनामा बता कर दूसरे को बैनामा कर दिया तो कई बैनामे ऐसे पाए गए कि मालिक विदेश से नहीं आए और इस दौरान भू माफिया ने जमीन बेच दी थी. जिनके बैनामों में छेड़छाड़ की गई है या फिर किए जाने की आशंका है वह सभी साल 1978 से 1990 के बीच किए गए हैं.
किस तरह की मिली गड़बड़ियां:
दस्तावेज स्कैन नहीं किए गए, जिल्द की बोर्डिंग खुली है
लाल की जगह नीली स्याही का प्रयोग किया गया है
स्याही नई और चमकदार है, जबकि पहले की स्याही इससे अलग है
स्टांप ड्यूटी साल 1980 से 1985 के बीच निर्धारित नहीं है
दस्तावेज के पहले, दूसरे और छठे पेज पर गोलमोल लगाई गई है, जबकि अन्य किसी दस्तावेज पर कोई मोहर नहीं है
हर लेख पत्र के पहले पेज पर मोहर सूची एक और दो बनाई गई है, जबकि अन्य दस्तावेज पर मोहर वर्तनी आकार और स्याही अलग है
डीएम दरबार में आई थी भूमि घोटाले की शिकायत: जिलाधिकारी द्वारा हर सोमवार को जनता दरबार लगाया जाता है. उसी जनता दरबार में जमीनों से संबंधित शिकायतें आई थी. जिसके बाद जिलाधिकारी द्वारा सभी मामलों में एडीएम फाइनेंस को जांच करने के आदेश दिए गए थे. जांच करने के बाद जानकारी मिली थी कि पूर्व आईएएस प्रेमलाल को ग्राम रेनापुर में चंद्र बहादुर ने साल 1972 में दान पत्र के आधार पर 7 बीघा भूमि की रजिस्ट्री की थी. लेकिन यह जमीन मक्खन सिंह निवासी नागरिया पूरनपुर पीलीभीत ने किसी और को 1984 में बेच दी. जब मामले की जांच की गई तो पता चला कि इसके लिए सारी कार्रवाई रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में की गई है.
ये हैं देहरादून के जमीन घोटाले के मामले: राजकुमारी पद्मावती की संपत्ति 1.65 एकड़ राजपुर रोड पर स्थित है. इस पर हाउस एलिस माउंट बना हुआ है. लेकिन यह संपत्ति इंद्रावती निवासी असम वर्तमान निवासी खुड़बुड़ा के नाम पर दर्शाई गई है. जब इस मामले की जांच हुई तो इसमें भी फर्जीवाड़ा पाया गया. तीसरा मामला कुंवर चंद्र बहादुर निवासी मसूरी की जमीन से संबंधित है. इस जमीन को मोती लाल निवासी असम को बेचा जाना दर्शाया गया है. जब इसकी जांच हुई तो फर्जीवाड़ा सामने आया. इसमें भी अंदर के पेज पर नीली स्याही से लिखा गया है, जबकि बाकी पेज लाल रंग से लिखे गए हैं.
शुरुआती जांच में ही पकड़ा गया फर्जीवाड़ा: सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेज से छेड़छाड़ जांच के शुरुआत में ही पकड़ में आ गए थे. जिल्दों में पुराने दस्तावेज फाड़ कर नहीं लिखे गए तो नीली स्याही का इस्तेमाल किया गया. जबकि इससे पहले और बाद के सभी दस्तावेज पर लाल स्याही से डिटेल लिखी गई है. कहीं जिल्द की बाइंडिंग खुली छोड़ी गई थी तो कई जिल्दों में मोहर भी सही नहीं थी.
पुलिस को सौंपी गई 4 मामलों की जांच रिपोर्ट: पूर्व आईएएस प्रेमलाल की जमीन का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कई और मामले सामने आए. कुल 4 मामलों की जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंपी गई है. जानकारी के अनुसार जालसाज यहां फर्जीवाड़ा सालों से कर रहे थे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. हालांकि इन जलसाजों ने जो गलतियां की हैं, उन्हें पकड़ने में जांच अधिकारी को देर नहीं लगी. शुरुआती जांच में ही इस काले कारनामे की परतें खुलती चली गईं.
सब रजिस्ट्रार कार्यालय सुरक्षित नहीं: सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में दस्तावेज से छेड़छाड़ और चोरी के मामले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसेगा. 20 सालों से यहां तैनात रहे सब रजिस्ट्रार और क्लर्कों के नामों की सूची पुलिस को सौंपी गई है. इनमें 10 पूर्व रजिस्ट्रार और 31 क्लर्क शामिल हैं. साथ ही कुछ बड़े लोगों ने मिलकर सारा खेल रचा है ऐसे भी कयास हैं. रजिस्ट्रार निबंधन की तहरीर के आधार पर शहर कोतवाली में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत हुआ है.
जमीन घोटाले की जांच के लिए सीएम ने गठित की है एसआईटी: वहीं सब रजिस्ट्रार कार्यालय में जमीनों के दस्तावेज में छेड़छाड़ कर हुई धोखाधड़ी की जांच के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसआईटी गठित करने के आदेश दे दिए हैं. तीन सदस्यीय एसआईटी में प्रशासनिक सेवा, पुलिस विभाग और निबंधन विभाग से एक-एक अधिकारी शामिल किए जाएंगे. ताकि इस मामले की गंभीरता से जांच कर आरोपियों को जेल भेजा जा सके. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शनिवार को दोनों सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस दौरान वहां कई अनियमितताएं पाई गई थीं. इस दौरान कार्यालय में सुरक्षा और रखरखाव के मानक भी उचित नहीं थे. अभिलेख कक्ष में प्रवेश की नकल प्राप्त करने की प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही मिली थी. बता दें कि सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में जालसाजों के गिरोह ने 12 साल साल 1978 से 1990 की अवधि में बैनामा और गिफ्ट डीड में छेड़छाड़ की है. साथ ही इस दौरान कई पेपर फाड़ कर उनके स्थान पर फर्जी दस्तावेज चिपका दिए गए हैं.
विकासनगर का रिकॉर्ड रूम सील: सब रजिस्ट्रार ऑफिस के रिकॉर्ड रूम से नामों की मूल फाइल गायब करने और कई फाइलों में दस्तावेज बदलने के मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तो वहीं मुख्यमंत्री ने भी मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए दिए. वहीं जिलाधिकारी ने विकासनगर के रिकॉर्ड रूम को सील करते हुए निर्देश दिए हैं कि कोई भी कर्मचारी बगैर एडीएम की अनुमति के कोई भी दस्तावेज नहीं छेड़ेगा. रिकॉर्ड रूम को सील करके प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. साथ ही कहा है कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
विपक्ष ने की सीबीआई जांच की मांग: वहीं जिस तरह से रजिस्ट्रार कार्यालय से बेनामों के साथ छेड़छाड़ हुई है तो विपक्ष भी सरकार पर आरोप लगा रहा है. विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा जिस तरह से एसआईटी के जांच के आदेश दिए गए हैं, उससे फाइलों को कहीं ना कहीं दबाने का काम किया जाएगा. विपक्ष की मांग है कि इस मामले की जांच सीबीआई के द्वारा की जाए, या फिर हाईकोर्ट के जज के द्वारा की जाए. तभी मामले की असली परत खुल पाएगी.
अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज: रजिस्ट्रार ऑफिस में कई फाइलों के गायब होने और बड़े घोटाले की शिकायत के बाद सीएम धामी ने रजिस्ट्रार ऑफिस का निरीक्षण किया और जांच के आदेश दिए तो वहीं अब पूर्व आईएएस प्रेमलाल के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में रजिस्ट्रार निबंधन की तहरीर के आधार पर मुकदमा भी कोतवाली नगर में दर्ज कराया गया है. मामले की जानकारी देते हुए एसपी सिटी ने बताया कि राजस्व अभिलेखागार ऑफिस से फाइलें गायब होने की शिकायत देवेंद्र सुंदरियाल प्रभारी अधिकारी राजस्व अभिलेखागार ने दर्ज कराई है. प्रभारी राजस्व अधिकारी की शिकायत के बाद अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसकी जांच की जा रही है.
फॉरेंसिक जांच के आदेश: सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बैनामों के साथ छेड़छाड़ और बदलने के मामले में जहां सीएम ने एसआईटी का गठन करने के निर्देश दिए हैं, वहीं जिलाधिकारी ने भी फॉरेंसिक जांच के आदेश दे दिए हैं. सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय का निरीक्षण करते हुए बैनामों के साथ ही रिकॉर्ड रूम में तैनात कर्मचारियों की जानकारी प्राप्त करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
सचिव वित्त ने सीसीटीवी मॉनिटरिंग के आदेश दिए: सचिव वित्त ने आईजी स्टांप को निर्देशित किया कि रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार कार्यालयों और रिकॉर्ड रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे की मुख्यालय स्तर पर मॉनिटरिंग की जाए. रिकॉर्ड रूम में अधिकारी की अनुमति के बगैर किसी को प्रवेश न दिया जाए. साथ ही अन्य सभी रजिस्ट्रार कार्यालयों से इंडैक्स रजिस्टर की सूचना प्राप्त कर ली जाए. रिकॉर्ड रूम और रजिस्ट्रार ऑफिस में सुरक्षा में तैनात स्टाफ को ड्यूटी चार्ट देते हुए जिम्मेदारी के संबंध में समझाया जाए. निर्देशित किया कि सेल लेटर की मूल प्रति संबंधित को देने से पहले ऑफिस में भी बैनामों की फोटोकॉपी रखी जाए. साथ ही रिकॉर्ड रूम में प्रत्येक एंगल पर कैमरे लगाने के निर्देश दिए. जिससे रिकॉर्ड रूम के बाहर और भीतर की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा सके. साथ ही मुख्यालय से इसकी मॉनिटरिंग के लिए स्टाफ की तैनाती करने के निर्देश दिए.
सबका रिकॉर्ड रखने को कहा: वित्त सचिव दिलीप जवालकर ने बताया है कि आईजी स्टांप को निर्देशित किया कि सभी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड आदि सभी व्यवस्थाएं करने और एआईजी स्टांप को अपने क्षेत्र के अंतर्गत सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का निरीक्षण कर व्यवस्था करेंगे. साथ ही रिकॉर्ड रूम के बाहर विजिटर रजिस्टर रखा जाए, जिसमें प्रत्येक कर्मचारी और आने-जाने वालों की सभी डिटेल, समय, पूरा पता और मोबाइल नंबर सहित लिखा जायेगा.
जांच में क्या निकलेगा: जिस तरह से सब रजिस्ट्रार कार्यालय पर भूमाफिया द्वारा बैनामों के साथ 12 साल तक छेड़छाड़ की गई है. बैनामे मनमर्जी से अपने नाम कराए गए हैं, ऐसे में शहर के भूमाफिया बिना अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ये काम नहीं कर सकते हैं. लेकिन अब मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी की टीम बनाने के लिए कहा गया है. जिलाधिकारी भी अपने स्तर से मामले की जांच करा रही हैं. अज्ञात के खिलाफ मुकदमे भी पंजीकृत हुए हैं. देखने वाली बात यह रहेगी कि इस पूरे मामले में शहर के किन भू माफियाओं के नाम सामने आते हैं और इस पूरे मामले में किन अधिकारियों कर्मचारी की साजिश पता चलती है.