मसूरीः वर्ष 2013 में राज्य में आई प्राकृतिक आपदा की सहायता राशि में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. स्थानीय अधिवक्ता रमेश कुमार जायसवाल ने केंद्र सरकार से उत्तराखंड सरकार को जारी हुई राहत राशि में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा है कि आरटीआई द्वारा मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए राहत राशि के आंकड़े और उत्तराखंड सरकार द्वारा प्राप्त हुई राशि में करीब 1,509 करोड़ रुपए का अंतर है. जिससे साफ है कि केंद्र और राज्य सरकार के बड़े राजनीतिज्ञ और ब्यूरोक्रेट्स द्वारा राहत राशि में बड़ा घोटाला किया गया है.
उन्होंने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 की आपदा प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार से 9,171 करोड़ रुपए राज्य सरकार को दिए गए थे, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि उन्हें मात्र 5,727 करोड़ ही प्राप्त हुए हैं. केंद्र ने 1,934 करोड़ रुपये विभिन्न संस्थानों को दिए थे. शिकायतकर्ता का कहना है नियमानुसार केंद्र बिना राज्य सरकार के किसी भी संस्थान को सीधे धनराशि नहीं दे सकता.
जायसवाल ने कहा कि उनके द्वारा पूरे मामले को लेकर पूर्व में उच्चतम न्यायालय में पीआईएल दाखिल की गई थी, लेकिन न्यायालय द्वारा पीआईएल को खारिज करते हुए उनको पहले उच्च न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दी गई, जिसके बाद उनके द्वारा पूरे मामले को हाल में गठित केंद्रीय लोकपाल को शिकायत कर मामले में कार्रवाई की मांग की गई है.
उन्होंने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि आपदा राहत राशि में करीब 5 से 6 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. वहीं उत्तराखंड सरकार द्वारा 2013 की आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को नियमानुसार दिए जाने वाले डेढ़ लाख रुपए की राशि भी नहीं दी गई है.
जायसवाल ने बताया कि इससे पूर्व उनके द्वारा आपदा राहत राशि में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को भी शिकायत की गई थी, जिसके बाद शिकायत को गृह मंत्रालय को उचित कार्रवाई के लिए पीएमओ ऑफिस द्वारा भेजा गया था.
मामले की सीबीआई जांच के लिए गृह मंत्रालय द्वारा केंद्रीय कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के पास राय लेने के लिए भेजा गया था, परंतु इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केंद्रीय लोकपाल को शिकायत कर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के साथ घोटाले में संलिप्त राजनीतिक और ब्यूरोक्रेट्स से घोटाले की रकम को रिकवर किए जाने के साथ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.