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लोकसभा चुनाव में इन नेताओं को फ्रंटफुट पर लाना जरूरी, बीजेपी के बड़े चेहरे प्रदेश स्तरीय कार्यक्रमों से दूर क्यों? - उत्तराखंड में चुनाव की तैयारी

big leaders of BJP Not attending big events in Uttarakhand वैसे तो बीजेपी अपने पूरे तामझाम के साथ आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट गई है, लेकिन इन कार्यक्रमों में बीजेपी के कई बड़े नेता नदारद दिख रहे हैं, जो कभी उत्तराखंड में बीजेपी की शान हुआ करते थे. इसे बीजेपी के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 16, 2023, 10:14 AM IST

Updated : Nov 16, 2023, 2:45 PM IST

लोकसभा चुनाव में इन नेताओं को फ्रंटफुट पर लाना जरूरी

देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा संगठन आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिसात बिछाने में जुटा है, तो वहीं पार्टी के कई बडे़ नेता प्रदेश स्तरीय बड़े कार्यक्रमों से भी दूर दिखाई दिए हैं. खास बात यह है कि कभी राज्य में भाजपा संगठन और सरकार के लिए इन नेताओं की भूमिका सबसे अहम थी, लेकिन अब इनकी सक्रियता संगठनात्मक रूप से प्रदेश स्तर पर कम ही दिखाई देती है.

भारतीय जनता पार्टी वैसे तो साल भर चुनावी मोड में रहती है, लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही संगठन की सक्रियता बूथ स्तर तक बढ़ गई है. संगठन अपने स्तर पर तमाम चुनावी कार्यक्रम में जुटा हुआ है. लेकिन पार्टी के कुछ नेता हैं, जिन्हें प्रदेश स्तरीय नेता के रूप में तो पहचाना जाता है, लेकिन तमाम बड़े कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी नहीं दिखाई दे रही है. लिहाजा अब भारतीय जनता पार्टी के लिए ऐसे नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले पूरी तरह सक्रिय करना और उन्हें राज्य स्तर पर चुनावी मोड में लाना बड़ी चुनौती होगा.
पढ़ें- Uttarkashi Tunnel Rescue 5th day: नई जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन का इंस्टालेशन पूरा, पांचवें दिन जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

भाजपा में ऐसे नेताओं की एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त है, जो फिलहाल या तो दूसरे राज्यों में हो रहे चुनाव में व्यस्त दिखाई देते हैं, या फिर अपने जिले या विधानसभा सीट तक ही सीमित रहते हैं. उत्तराखंड कांग्रेस भी ऐसे नेताओं को लेकर भाजपा पर चुटकी लेती हुई नजर आती है.

कांग्रेस ने कसा तंज: उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कहते हैं कि अब भारतीय जनता पार्टी पुरानी वाली भाजपा नहीं रह गयी है. पार्टी के नेताओं पर किसी का भी कंट्रोल नहीं है. भाजपा के नेता आपसी लड़ाई में व्यस्त रहते हैं और लोकसभा चुनाव से पहले ही तमाम नेता टिकट के लिए ही आपसी द्वंद में जुटे हुए हैं.

राज्य स्तर के कार्यक्रमों में सक्रिय नहीं बड़े नेता: उत्तराखंड बीजेपी में कई सीनियर लीडर्स ऐसे हैं, जो मुख्य भूमिका में अब नहीं दिखाई देते. ना तो सरकार में कोई जगह मिल पाई है और ना ही संगठन में उनके पास कोई पद मौजूद है. अब जानिए वह नेता जो पार्टी में बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन फिलहाल उनकी सक्रियता प्रदेश स्तरीय नहीं दिखाई देती...

  • मदन कौशिक ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जो कभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में मंत्री रहे, लेकिन अब कौशिक के पास कोई जिम्मेदारी नहीं.
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वह प्रदेश स्तरीय तमाम कार्यक्रमों में तो दिखाई देते हैं, लेकिन इनमें अधिकतर कार्यक्रम उनके निजी होते हैं.
  • विजय बहुगुणा भी भाजपा के सीनियर लीडर हैं और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद से ही प्रदेश में उनकी सक्रियता कहीं नहीं दिखाई देती.
  • बिशन सिंह चुफाल भाजपा के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर सरकार में सीनियर मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके इस नेता की भी प्रदेश स्तरीय सक्रियता नहीं है.
  • अरविंद पांडे त्रिवेंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के साथ कैबिनेट मंत्री रहे और राज्य स्तरीय अपनी लोकप्रियता के बावजूद उनकी सक्रियता फिलहाल नहीं दिखाई देती.
  • बंशीधर भगत हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे, लेकिन उनके भी राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं दिखाई देते.
  • किशोर उपाध्याय जो कि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष रहे और बड़ा चेहरा भी माने जाते हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद वह भी अपनी विधानसभा सीट तक ही सीमित हो गए.

बीजेपी का बयान: उत्तराखंड भाजपा में अपनी विधानसभा सीट तक ही सीमित रहने वाले नेताओं की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा है, लेकिन यह वह नेता हैं, जिन्होंने राज्य स्तर पर काम किया है और अब वह प्रदेश स्तरीय बड़े कार्यक्रमों से गायब दिखाई देते हैं. हालांकि इस मामले पर भाजपा भी अपने नेताओं का बचाव करती हुई नजर आती है.
पढ़ें- देहरादून रिलायंस ज्वैलरी शो रूम डकैती में बिहार से दो गिरफ्तार, ओएलएक्स से खरीदते थे गाड़ियां, सिग्नल करते थे जाम, हाइड हाउस का खुलासा

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला का कहना है कि राज्य में जिस भी नेता को जो जिम्मेदारी दी जाती है, वह उसका निर्वहन करता है. पार्टी पूरी तरह से तैयार है और तीसरी बार भाजपा प्रदेश में सभी पांचों लोकसभा सीटें जीतेगी.

लोकसभा चुनाव में इन नेताओं को फ्रंटफुट पर लाना जरूरी

देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा संगठन आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिसात बिछाने में जुटा है, तो वहीं पार्टी के कई बडे़ नेता प्रदेश स्तरीय बड़े कार्यक्रमों से भी दूर दिखाई दिए हैं. खास बात यह है कि कभी राज्य में भाजपा संगठन और सरकार के लिए इन नेताओं की भूमिका सबसे अहम थी, लेकिन अब इनकी सक्रियता संगठनात्मक रूप से प्रदेश स्तर पर कम ही दिखाई देती है.

भारतीय जनता पार्टी वैसे तो साल भर चुनावी मोड में रहती है, लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही संगठन की सक्रियता बूथ स्तर तक बढ़ गई है. संगठन अपने स्तर पर तमाम चुनावी कार्यक्रम में जुटा हुआ है. लेकिन पार्टी के कुछ नेता हैं, जिन्हें प्रदेश स्तरीय नेता के रूप में तो पहचाना जाता है, लेकिन तमाम बड़े कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी नहीं दिखाई दे रही है. लिहाजा अब भारतीय जनता पार्टी के लिए ऐसे नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले पूरी तरह सक्रिय करना और उन्हें राज्य स्तर पर चुनावी मोड में लाना बड़ी चुनौती होगा.
पढ़ें- Uttarkashi Tunnel Rescue 5th day: नई जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन का इंस्टालेशन पूरा, पांचवें दिन जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

भाजपा में ऐसे नेताओं की एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त है, जो फिलहाल या तो दूसरे राज्यों में हो रहे चुनाव में व्यस्त दिखाई देते हैं, या फिर अपने जिले या विधानसभा सीट तक ही सीमित रहते हैं. उत्तराखंड कांग्रेस भी ऐसे नेताओं को लेकर भाजपा पर चुटकी लेती हुई नजर आती है.

कांग्रेस ने कसा तंज: उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कहते हैं कि अब भारतीय जनता पार्टी पुरानी वाली भाजपा नहीं रह गयी है. पार्टी के नेताओं पर किसी का भी कंट्रोल नहीं है. भाजपा के नेता आपसी लड़ाई में व्यस्त रहते हैं और लोकसभा चुनाव से पहले ही तमाम नेता टिकट के लिए ही आपसी द्वंद में जुटे हुए हैं.

राज्य स्तर के कार्यक्रमों में सक्रिय नहीं बड़े नेता: उत्तराखंड बीजेपी में कई सीनियर लीडर्स ऐसे हैं, जो मुख्य भूमिका में अब नहीं दिखाई देते. ना तो सरकार में कोई जगह मिल पाई है और ना ही संगठन में उनके पास कोई पद मौजूद है. अब जानिए वह नेता जो पार्टी में बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन फिलहाल उनकी सक्रियता प्रदेश स्तरीय नहीं दिखाई देती...

  • मदन कौशिक ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जो कभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में मंत्री रहे, लेकिन अब कौशिक के पास कोई जिम्मेदारी नहीं.
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वह प्रदेश स्तरीय तमाम कार्यक्रमों में तो दिखाई देते हैं, लेकिन इनमें अधिकतर कार्यक्रम उनके निजी होते हैं.
  • विजय बहुगुणा भी भाजपा के सीनियर लीडर हैं और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद से ही प्रदेश में उनकी सक्रियता कहीं नहीं दिखाई देती.
  • बिशन सिंह चुफाल भाजपा के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर सरकार में सीनियर मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके इस नेता की भी प्रदेश स्तरीय सक्रियता नहीं है.
  • अरविंद पांडे त्रिवेंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के साथ कैबिनेट मंत्री रहे और राज्य स्तरीय अपनी लोकप्रियता के बावजूद उनकी सक्रियता फिलहाल नहीं दिखाई देती.
  • बंशीधर भगत हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे, लेकिन उनके भी राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं दिखाई देते.
  • किशोर उपाध्याय जो कि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष रहे और बड़ा चेहरा भी माने जाते हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद वह भी अपनी विधानसभा सीट तक ही सीमित हो गए.

बीजेपी का बयान: उत्तराखंड भाजपा में अपनी विधानसभा सीट तक ही सीमित रहने वाले नेताओं की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा है, लेकिन यह वह नेता हैं, जिन्होंने राज्य स्तर पर काम किया है और अब वह प्रदेश स्तरीय बड़े कार्यक्रमों से गायब दिखाई देते हैं. हालांकि इस मामले पर भाजपा भी अपने नेताओं का बचाव करती हुई नजर आती है.
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पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला का कहना है कि राज्य में जिस भी नेता को जो जिम्मेदारी दी जाती है, वह उसका निर्वहन करता है. पार्टी पूरी तरह से तैयार है और तीसरी बार भाजपा प्रदेश में सभी पांचों लोकसभा सीटें जीतेगी.

Last Updated : Nov 16, 2023, 2:45 PM IST
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