विकासनगर: देवभूमि उत्तराखंड में कभी देवों की अलौकिक गाथा तो कभी परियों की कहानियां लोगों को रोमांचित करती हैं. जो अतीत से ही स्थानीय लोगों के किस्से कहानियों में सुनीं जा सकती हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसी ही कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिस पर यकीन करना आसान नहीं है. जी हां फिल्मों, कहानियों और टीवी सीरियलों में आपने भूतों की कहानियां तो खूब सुनीं और देखी होंगी, जिन्हें देखकर लोगों की रूह कांप जाती है.
लेकिन आज हम आपको डरा नहीं रहे, ऐसे भूत देवता मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र है. जहां स्थानीय ही नहीं दूर-दूर से लोग शीष नवाने आते हैं. जौनसार बाबर क्षेत्र के सिंगौर गांव मे भूत देवता का मंदिर है, जहां भूत देवता को एक शीला के रूप में पूजा जाता है. जहां साल भर पूजा होती रहती है. स्थानीय निवासी अर्जुन सिंह का कहना है कि बुजुर्गों द्वारा उन्हें बताया गया कि एक समय क्षेत्र में भारी बरसात होने से सिंगौर गांव के पास से गाड- गदेरे उफान पर थे.
पढ़ें-हॉस्पिटल के बाहर बिचौलियों का बढ़ता जाल प्रबंधन के लिए बना सिरदर्द, ऐसे होता है कमीशन का खेल
रात के समय अचानक ग्रामीणों को अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं. लोग डर से रात को ही घर खाली कर सुरक्षित स्थान पर चले गए. ग्रामीणों ने जब सुबह उस स्थान पर लौटकर देखा तो एक विशालकाय शिला ने उफनते गदेरे की जलधारा को गांव के दूसरी और मोड़ दिया था. ग्रामीणों का मानना है कि जो आवाज रात को आई थी वे भूत देवता की ही थी और गांव के भले के लिए जल धारा के रुख को पलट दिया. तब से लोगों ने उन्हें पूजना शुरू कर दिया.
लोगों का मानना है कि सच्चे मन से उपासना करने पर भूत देवता हर मुराद पूरी करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि तब से अब तक भूत देवता ही उनके गांव और लोगों की रक्षा करते हैं. वहीं 6 गांवों के भूत देवता अराध्य हैं. जिन्हें वे अतीत से पूजते आ रहे हैं. बतां दें कि ईटीवी भारत किसी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता, ये बातें गांव के लोगों द्वारा बताई गई हैं, जो उनकी आस्था से जुड़ी हुई हैं.