देहरादून: आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की तरह अब भोजन माताओं ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. भोजन माताओं ने सरकार के चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह आगामी नौ जनवरी को सचिवालय का घेराव करेंगी.
उत्तराखंड में लगभग 27,000 भोजन माताएं अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गई हैं. प्रगतिशील भोजनमाता संगठन नैनीताल की कोषाध्यक्ष नीता रानी ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 27 हजार भोजन माताएं विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत हैं, जो 2002-03 से भोजन बनाने का कार्य कर रही है. इसके अलावा भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी व सफाई कर्मचारी के बराबर कार्य करवाया जाता है, लेकिन फलस्वरूप उन्हें महीने में सिर्फ दो हजार रुपए ही मिलते हैं, जो उत्तराखंड में तय न्यूनतम मजदूरी का मात्र 25 प्रतिशत है.
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भोजन माताओं का कहना है कि कई स्कूलों में भोजन माताओं से खाना बनाने के अलावा सुबह स्कूल खोलना, शाम को बंद करना, स्कूल की साफ सफाई, घंटी बजाना और सब्जी खरीद कर लाने जैसे अन्य काम भी करवाए जाते हैं. यदि कोई भोजन माता इन कामों के लिए मना करती है तो उन्हें स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है.
भोजन माताओं की प्रमुख मांगें
- भोजन माताओं का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए.
- सभी भोजन माताओं को स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए.
- 25 बच्चों पर एक भोजन माता और 26 वें बच्चे पर दूसरी भोजन माता रखी जाए.
- प्रसूति अवकाश दिया जाये.
- भोजन माताओं का स्कूलों में होने वाला उत्पीड़न बंद किया जाए.
- भोजन माताओं को धुएं से मुक्त करने के लिए एलपीजी चूल्हा मुहैया कराया जाए.