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अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतरेगी भोजन माताएं, सचिवालय घेराव का किया ऐलान

उत्तराखंड में लगभग 27000 भोजन माताएं अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गई हैं. उन्होंने इस बार अपनी मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है.

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Published : Jan 2, 2020, 7:01 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 7:34 PM IST

देहरादून: आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की तरह अब भोजन माताओं ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. भोजन माताओं ने सरकार के चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह आगामी नौ जनवरी को सचिवालय का घेराव करेंगी.

सड़कों पर उतरेगी भोजन माताएं

उत्तराखंड में लगभग 27,000 भोजन माताएं अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गई हैं. प्रगतिशील भोजनमाता संगठन नैनीताल की कोषाध्यक्ष नीता रानी ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 27 हजार भोजन माताएं विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत हैं, जो 2002-03 से भोजन बनाने का कार्य कर रही है. इसके अलावा भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी व सफाई कर्मचारी के बराबर कार्य करवाया जाता है, लेकिन फलस्वरूप उन्हें महीने में सिर्फ दो हजार रुपए ही मिलते हैं, जो उत्तराखंड में तय न्यूनतम मजदूरी का मात्र 25 प्रतिशत है.

पढ़ें- MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

भोजन माताओं का कहना है कि कई स्कूलों में भोजन माताओं से खाना बनाने के अलावा सुबह स्कूल खोलना, शाम को बंद करना, स्कूल की साफ सफाई, घंटी बजाना और सब्जी खरीद कर लाने जैसे अन्य काम भी करवाए जाते हैं. यदि कोई भोजन माता इन कामों के लिए मना करती है तो उन्हें स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है.

भोजन माताओं की प्रमुख मांगें

  • भोजन माताओं का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए.
  • सभी भोजन माताओं को स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए.
  • 25 बच्चों पर एक भोजन माता और 26 वें बच्चे पर दूसरी भोजन माता रखी जाए.
  • प्रसूति अवकाश दिया जाये.
  • भोजन माताओं का स्कूलों में होने वाला उत्पीड़न बंद किया जाए.
  • भोजन माताओं को धुएं से मुक्त करने के लिए एलपीजी चूल्हा मुहैया कराया जाए.

देहरादून: आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की तरह अब भोजन माताओं ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. भोजन माताओं ने सरकार के चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह आगामी नौ जनवरी को सचिवालय का घेराव करेंगी.

सड़कों पर उतरेगी भोजन माताएं

उत्तराखंड में लगभग 27,000 भोजन माताएं अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गई हैं. प्रगतिशील भोजनमाता संगठन नैनीताल की कोषाध्यक्ष नीता रानी ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 27 हजार भोजन माताएं विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत हैं, जो 2002-03 से भोजन बनाने का कार्य कर रही है. इसके अलावा भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी व सफाई कर्मचारी के बराबर कार्य करवाया जाता है, लेकिन फलस्वरूप उन्हें महीने में सिर्फ दो हजार रुपए ही मिलते हैं, जो उत्तराखंड में तय न्यूनतम मजदूरी का मात्र 25 प्रतिशत है.

पढ़ें- MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

भोजन माताओं का कहना है कि कई स्कूलों में भोजन माताओं से खाना बनाने के अलावा सुबह स्कूल खोलना, शाम को बंद करना, स्कूल की साफ सफाई, घंटी बजाना और सब्जी खरीद कर लाने जैसे अन्य काम भी करवाए जाते हैं. यदि कोई भोजन माता इन कामों के लिए मना करती है तो उन्हें स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है.

भोजन माताओं की प्रमुख मांगें

  • भोजन माताओं का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए.
  • सभी भोजन माताओं को स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए.
  • 25 बच्चों पर एक भोजन माता और 26 वें बच्चे पर दूसरी भोजन माता रखी जाए.
  • प्रसूति अवकाश दिया जाये.
  • भोजन माताओं का स्कूलों में होने वाला उत्पीड़न बंद किया जाए.
  • भोजन माताओं को धुएं से मुक्त करने के लिए एलपीजी चूल्हा मुहैया कराया जाए.
Intro:आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की तर्ज पर अब भोजन माताओं ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है। उनका कहना है कि न्यूनतम मजदूरी देने के बाद भी उनसे अन्य काम करवाए जाते हैं। यदि मांगे नहीं मानी गई तो आगामी 9 जनवरी को देहरादून में सचिवालय घेराव किया जाएगा।
summary- उत्तराखंड में लगभग 27000 भोजन माताएं अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गई है। नाराज भोजन माताओं ने शोषण का आरोप लगाते हुए आगामी 9 जनवरी को सचिवालय घेराव की चेतावनी दी है।


Body: प्रगतिशील भोजन माता संगठन नैनीताल की कोषाध्यक्ष नीता रानी ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 27 हजार भोजन माताएं विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत हैं। भोजन माता माताएं विभिन्न स्कूलों में 2002-03 से भोजन बनाने का कार्य करती आ रही हैं। इसके अलावा भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी व सफाई कर्मचारी के बराबर कार्य करवाया जाता है। जिसकी तुलना में आज के समय में उनको मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार दिए जाते हैं जो कि उत्तराखंड में तय न्यूनतम मजदूरी का मात्र 25 प्रतिशत है। इस प्रकार सरकारी संस्थानों में कार्यरत होने के बावजूद भी सरकार उनको न्यूनतम मजदूरी नहीं दे रही है। भोजन माताओं का कहना है कि कई स्कूलों में भोजन माताओं से खाना बनाने के अलावा सुबह स्कूल खोलना, शाम को बंद करना ,स्कूल की साफ सफाई, घंटी बजाना, सब्जी खरीद कर लाना जैसे अन्य कार्य भी करवाए जाते हैं। यदि कोई भोजन माता इन कामों के लिए मना करती है तो उन्हें स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है।
बाईट-नीता रानी,कोषाध्यक्ष, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन


Conclusion: भोजन माताओं ने शोषण उत्पीड़न के खिलाफ आगामी 9 जनवरी को देहरादून सचिवालय पर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखने की तैयारी कर ली है।

भोजनमाताओं की प्रमुख मांगें-
1- भोजन माताओं का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए
2- सभी भोजन माताओं को स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए।
3- 25 बच्चों पर एक भोजन माता और 26 वें बच्चे पर दूसरी भोजन माता रखी जाए।
4-प्रसूति अवकाश दिया जाये
5-भोजनमाताओं का स्कूलों में होने वाला उत्पीड़न बंद किया जाए।
6- भोजन माताओं को धुएं से मुक्त किया जाए।
Last Updated : Jan 2, 2020, 7:34 PM IST
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