देहरादून: सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) से संबद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन से जुड़ी भोजन माताओं ने परेड ग्राउंड स्थित नगर शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव करते हुए प्रदर्शन किया. इस दौरान भोजन माताओं ने बढ़े हुए मानदेय का शासनादेश शीघ्र जारी करने के लिए नगर शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा.
उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन की जिला महामंत्री मोनिका का कहना है कि भोजन माताओं का मानदेय ₹2000 से ₹5000 किए जाने का सभी भोजन माताएं स्वागत करती हैं. लेकिन इस घोषणा का शासनादेश शीघ्र निकाला जाए. इसके अलावा भोजन माताओं को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए.
उन्होंने कहा कि मध्यान्ह भोजन योजना का निजीकरण या एनजीओ के माध्यम से ना किया जाए. उन्होंने कहा कि भोजन माताओं को सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी व पेंशन का लाभ दिया जाए, ताकि वो अपने वृद्धावस्था का जीवन सम्मानजनक तरीके से जी पाएं. इसके अलावा उनको राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा से भोजन माताओं को जोड़ा जाए.
सीटू के जिला महामंत्री लेखराज का कहना है कि सरकार द्वारा ₹5000 की घोषणा का स्वागत समाज विग्रह जारी किया जाना चाहिए और भोजन माताओं को कामगार का दर्जा दिया जाना चाहिए. क्योंकि इन्हें विद्यालयों में पूर्व कार्य कराया जाता है, उन्होंने ऐसे विद्यालयों की शिकायत नगर शिक्षा अधिकारी से की जो भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य करवाते हैं. उन्होंने कहा कि भोजन माताओं का शोषण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पढ़ें- Fake covid test: हाईकोर्ट ने निरस्त किया उत्तराखंड सरकार का प्रार्थना पत्र
इसके साथ ही भोजन माताओं का कहना है कि शासन उनसे अतिरिक्त कार्य ना लें. साथ ही भोजन माताओं के हितों को देखते हुए 45वें और 46वें श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाए.