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क्या भगत दा ने शुरू कर दी राजनीति की पिच पर बैटिंग? कुमाऊं की नब्ज टटोलकर दिल्ली निकले

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Published : Apr 5, 2023, 7:38 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 8:33 PM IST

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जब से उत्तराखंड में कदम रखा है, तब से ही कई तरह के कयाबाजी जारी है. भले ही खुद भगत दा राजनीति से दूर रहने की बात करते हों, लेकिन जिस तरह से उनकी सक्रियता बढ़ी है. उससे अंदाजा लगाए जा रहा कि कहीं भगत दा उत्तराखंड की राजनीति में कदम तो नहीं रखने जा रहे हैं. बरहाल, भगत सिंह कोश्यारी कुमाऊं का भ्रमण कर दिल्ली की ओर बढ़ गए हैं.

Bhagat Singh Koshyari
भगत सिंह कोश्यारी
क्या भगत दा ने शुरू कर दी राजनीति की पिच पर बैटिंग

देहरादूनः जब महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर भगत सिंह कोश्यारी लौटे थे, तब उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात कही थी. हालांकि, उस वक्त ही साफ हो गया था कि भगत दा इतनी जल्दी शांत बैठने वाले नेता नहीं है. अपनी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा राजनीति को समर्पित करने वाले कोश्यारी भले ही इस वक्त किसी पद पर न हो, लेकिन चर्चाओं में वो अभी भी बने हुए हैं.

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देहरादून से कुमाऊं के भ्रमण पर निकले भगत सिंह कोश्यारी कुछ दिन नैनीताल, चंपावत, खटीमा, बनबसा और हल्द्वानी में बिताने के बाद एक बार फिर से दिल्ली की तरफ चले गए हैं. लिहाजा, भगत सिंह कोश्यारी की कुमाऊं में एंट्री हो या फिर उनके आसपास घूम रहे बीजेपी नेताओं की वीडियो बता रही है कि भगत दा के मन में अभी भी कई तरह की संभावनाएं कौंध रही है.

सक्रिय हुए भगत सिंह कोश्यारी? अगर भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक सफर पर गौर करें तो वे सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत कई छोटे-बड़े पदों पर रह चुके हैं. उनकी छवि उत्तराखंड में खांटी नेता की रही है. गढ़वाल और कुमाऊं में उनके जनसमर्थन को न पार्टी नजरअंदाज कर सकती है, न ही कांग्रेस. यही कारण है कि राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद से ही यह कयासबाजी लगाई जा रही थी कि कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में दोबारा से सक्रिय हो सकते हैं.

हालांकि, बीजेपी और खुद भगत सिंह कोश्यारी इस बात को खारिज करते रहे हैं, लेकिन जिस तरह से देहरादून में होली से पहले प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद वे सीधे कुमाऊं के भ्रमण पर निकले. उसके बाद लगातार उनके स्वागत कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ और कार्यकर्ताओं का उत्साह यह बता रहा है कि इस उम्र में भी भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर से राजनीतिक पारी खेल सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे से बीजेपी को होगी टेंशन? उत्तराखंड में बढ़ी सियासी गर्मी

उनके समर्थक भी तरह-तरह की वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर इस बात को भी जोर दे रहे हैं कि अभी भगत सिंह कोश्यारी का राजनीतिक सफर न तो खत्म हुआ है और न ही कम हुआ है. भगत सिंह कोश्यारी आज जिस तरह से दिल्ली में जाकर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की है, उसके बाद और भी उनकी सक्रियता पर चर्चा होनी लाजमी है.

दिल्ली में कोश्यारीः भगत सिंह कोश्यारी दिल्ली में किन-किन नेताओं से मिलेंगे? यह बात तो अभी तक साफ नहीं हो पाई है, लेकिन पहले दिन उन्होंने जरूर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह से मुलाकात की. जिसकी तस्वीरें खुद को कोश्यारी ने शेयर किया है. उनकी विभिन्न विकास कार्यों को लेकर केंद्रीय मंत्री से न केवल बातचीत हुई है. बल्कि, टिहरी डैम निर्माण के अनुभवों को भी भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्रीय मंत्री के साथ साझा किया है.

भगत सिंह कोश्यारी इस मुलाकात के बाद हो सकता है, सवालों पर यह जवाब दें कि वो बीजेपी के पुराने नेता रहे हैं और सभी केंद्रीय मंत्रियों से पार्टी के नेताओं से मुलाकात करना कोई गलत भी नहीं है. इतना जरूर है कि राजनीति से दूर रहने, अध्ययन और चिंतन की बात करने वाले भगत सिंह कोश्यारी आखिरकार दिल्ली में नेताओं से किस मकसद से मिल रहे हैं? इस तरह के सवाल उत्तराखंड की राजनीति में जरूर उठने शुरू हो गए हैं.

वहीं, बताया जा रहा है कि भगत सिंह कोश्यारी राजकुमार सिंह के बाद कई दूसरे बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी जल्द हो सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि न तो बीजेपी ने की है और न ही खुद भगत सिंह कोश्यारी कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Bhagat Singh Koshyari ने हरदा पर ली चुटकी, बोले- उनकी तरह एक घंटे का मौन व्रत कभी नहीं रखेंगे

उत्तराखंड के नेताओं को मिलेगा फायदाः भगत सिंह कोश्यारी का दिल्ली में नेताओं से मिलना, काफिले में सैकड़ों गाड़ियों का शामिल होना, भले ही साफ संदेश दे रहा हो, लेकिन इस पर बीजेपी के नेता बेहद नपे तुले जवाब दे रहे हैं. बीजेपी नेता अभिमन्यु कुमार का कहना है कि भगत सिंह कोश्यारी वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी केंद्र हो या राज्य उनको किसी तरह से भी काम में लगा सकती है.

ऐसे में वे दिल्ली रहें या देहरादून या फिर अपने गांव में, वे पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. क्योंकि, आज भी उम्र के इस पड़ाव में उनकी एनर्जी उत्तराखंड के लिए दिखाई दे रही है. उनका राजनीतिक अनुभव राज्य के नेताओं को हमेशा से मिलता रहा है और आगे भी मिलता रहेगा. इसलिए बेवजह की कयासबाजी लगाना कहीं से कहीं तक सही नहीं है.

कांग्रेस बोली, आगे-आगे देखिए क्या होता हैः वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि यह तो बात कांग्रेस पहले से ही कह रही थी कि भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड में आकर पार्टी के लिए काम करेंगे. यही कारण है कि उन्होंने खुद या फिर पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र से उत्तराखंड भेजा है. गरिमा दसौनी कहती हैं कि आने वाले समय में हो सकता है कि बीजेपी में 2 धारा और 2 केंद्र बिंदु दिखाई देने लगे. क्योंकि, बीजेपी में सत्ता और कुर्सी के लिए किस तरह से मारामारी होती है, यह बात किसी से छिपी नहीं है.

भगत दा के दिल में क्या वही जानते हैंः भगत सिंह कोश्यारी दिल्ली रहें या देहरादून. इतना तो तय है कि वे फिलहाल राजनीति से दूर जाने की बातें सिर्फ लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं. अगर ऐसा नहीं है तो अपने गांव में जाकर समय बिताने की बात करने वाले भगत सिंह कोश्यारी देहरादून से जाने के बाद भी लगातार कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में प्रतिभाग क्यों कर रहे हैं. उनका दिल्ली जाना भी इसी बात का इशारा है कि अभी राजनीति में वे हथियार डालने वाले नहीं है.
ये भी पढ़ेंः कोश्यारी बोले- मुझे रण में नहीं उतरना, रिवर्स पलायन पर कही ये बात

क्या भगत दा ने शुरू कर दी राजनीति की पिच पर बैटिंग

देहरादूनः जब महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर भगत सिंह कोश्यारी लौटे थे, तब उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात कही थी. हालांकि, उस वक्त ही साफ हो गया था कि भगत दा इतनी जल्दी शांत बैठने वाले नेता नहीं है. अपनी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा राजनीति को समर्पित करने वाले कोश्यारी भले ही इस वक्त किसी पद पर न हो, लेकिन चर्चाओं में वो अभी भी बने हुए हैं.

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देहरादून से कुमाऊं के भ्रमण पर निकले भगत सिंह कोश्यारी कुछ दिन नैनीताल, चंपावत, खटीमा, बनबसा और हल्द्वानी में बिताने के बाद एक बार फिर से दिल्ली की तरफ चले गए हैं. लिहाजा, भगत सिंह कोश्यारी की कुमाऊं में एंट्री हो या फिर उनके आसपास घूम रहे बीजेपी नेताओं की वीडियो बता रही है कि भगत दा के मन में अभी भी कई तरह की संभावनाएं कौंध रही है.

सक्रिय हुए भगत सिंह कोश्यारी? अगर भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक सफर पर गौर करें तो वे सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत कई छोटे-बड़े पदों पर रह चुके हैं. उनकी छवि उत्तराखंड में खांटी नेता की रही है. गढ़वाल और कुमाऊं में उनके जनसमर्थन को न पार्टी नजरअंदाज कर सकती है, न ही कांग्रेस. यही कारण है कि राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद से ही यह कयासबाजी लगाई जा रही थी कि कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में दोबारा से सक्रिय हो सकते हैं.

हालांकि, बीजेपी और खुद भगत सिंह कोश्यारी इस बात को खारिज करते रहे हैं, लेकिन जिस तरह से देहरादून में होली से पहले प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद वे सीधे कुमाऊं के भ्रमण पर निकले. उसके बाद लगातार उनके स्वागत कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ और कार्यकर्ताओं का उत्साह यह बता रहा है कि इस उम्र में भी भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर से राजनीतिक पारी खेल सकते हैं.
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उनके समर्थक भी तरह-तरह की वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर इस बात को भी जोर दे रहे हैं कि अभी भगत सिंह कोश्यारी का राजनीतिक सफर न तो खत्म हुआ है और न ही कम हुआ है. भगत सिंह कोश्यारी आज जिस तरह से दिल्ली में जाकर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की है, उसके बाद और भी उनकी सक्रियता पर चर्चा होनी लाजमी है.

दिल्ली में कोश्यारीः भगत सिंह कोश्यारी दिल्ली में किन-किन नेताओं से मिलेंगे? यह बात तो अभी तक साफ नहीं हो पाई है, लेकिन पहले दिन उन्होंने जरूर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह से मुलाकात की. जिसकी तस्वीरें खुद को कोश्यारी ने शेयर किया है. उनकी विभिन्न विकास कार्यों को लेकर केंद्रीय मंत्री से न केवल बातचीत हुई है. बल्कि, टिहरी डैम निर्माण के अनुभवों को भी भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्रीय मंत्री के साथ साझा किया है.

भगत सिंह कोश्यारी इस मुलाकात के बाद हो सकता है, सवालों पर यह जवाब दें कि वो बीजेपी के पुराने नेता रहे हैं और सभी केंद्रीय मंत्रियों से पार्टी के नेताओं से मुलाकात करना कोई गलत भी नहीं है. इतना जरूर है कि राजनीति से दूर रहने, अध्ययन और चिंतन की बात करने वाले भगत सिंह कोश्यारी आखिरकार दिल्ली में नेताओं से किस मकसद से मिल रहे हैं? इस तरह के सवाल उत्तराखंड की राजनीति में जरूर उठने शुरू हो गए हैं.

वहीं, बताया जा रहा है कि भगत सिंह कोश्यारी राजकुमार सिंह के बाद कई दूसरे बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी जल्द हो सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि न तो बीजेपी ने की है और न ही खुद भगत सिंह कोश्यारी कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Bhagat Singh Koshyari ने हरदा पर ली चुटकी, बोले- उनकी तरह एक घंटे का मौन व्रत कभी नहीं रखेंगे

उत्तराखंड के नेताओं को मिलेगा फायदाः भगत सिंह कोश्यारी का दिल्ली में नेताओं से मिलना, काफिले में सैकड़ों गाड़ियों का शामिल होना, भले ही साफ संदेश दे रहा हो, लेकिन इस पर बीजेपी के नेता बेहद नपे तुले जवाब दे रहे हैं. बीजेपी नेता अभिमन्यु कुमार का कहना है कि भगत सिंह कोश्यारी वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी केंद्र हो या राज्य उनको किसी तरह से भी काम में लगा सकती है.

ऐसे में वे दिल्ली रहें या देहरादून या फिर अपने गांव में, वे पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. क्योंकि, आज भी उम्र के इस पड़ाव में उनकी एनर्जी उत्तराखंड के लिए दिखाई दे रही है. उनका राजनीतिक अनुभव राज्य के नेताओं को हमेशा से मिलता रहा है और आगे भी मिलता रहेगा. इसलिए बेवजह की कयासबाजी लगाना कहीं से कहीं तक सही नहीं है.

कांग्रेस बोली, आगे-आगे देखिए क्या होता हैः वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि यह तो बात कांग्रेस पहले से ही कह रही थी कि भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड में आकर पार्टी के लिए काम करेंगे. यही कारण है कि उन्होंने खुद या फिर पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र से उत्तराखंड भेजा है. गरिमा दसौनी कहती हैं कि आने वाले समय में हो सकता है कि बीजेपी में 2 धारा और 2 केंद्र बिंदु दिखाई देने लगे. क्योंकि, बीजेपी में सत्ता और कुर्सी के लिए किस तरह से मारामारी होती है, यह बात किसी से छिपी नहीं है.

भगत दा के दिल में क्या वही जानते हैंः भगत सिंह कोश्यारी दिल्ली रहें या देहरादून. इतना तो तय है कि वे फिलहाल राजनीति से दूर जाने की बातें सिर्फ लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं. अगर ऐसा नहीं है तो अपने गांव में जाकर समय बिताने की बात करने वाले भगत सिंह कोश्यारी देहरादून से जाने के बाद भी लगातार कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में प्रतिभाग क्यों कर रहे हैं. उनका दिल्ली जाना भी इसी बात का इशारा है कि अभी राजनीति में वे हथियार डालने वाले नहीं है.
ये भी पढ़ेंः कोश्यारी बोले- मुझे रण में नहीं उतरना, रिवर्स पलायन पर कही ये बात

Last Updated : Apr 5, 2023, 8:33 PM IST
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