देहरादून: 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. जिसे देखते हुए डिमरी धार्मिक डिम्मर उमट्टा पंचायत की बैठक की गई. बैठक में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की व्यवस्थाओं पर चर्चा किया गई. यही नहीं, बैठक में कोविड गाइडलाइन के तहत 29 अप्रैल से बदरीनाथ धाम के तेल कलश यात्रा को भव्य तरीके से दो चरणों में बदरीनाथ धाम पहुंचाने की योजना पर भी विचार विमर्श किया गया. इसके साथ ही देवस्थानम बोर्ड को भंग करने पर पुनर्विचार व देवस्थानम बोर्ड से 51 मंदिरों को मुक्त करने का भी स्वागत किया गया.
डिमरी पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के देवस्थानम बोर्ड से 51 मंदिरों को मुक्त करने और देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया. बैठक को संबोधित करते हुए डिमरी ने कहा कि सूबे के सीएम ने पुजारियों, पंडा पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पौराणिक व्यवस्था व पारंपरिक रीति-रिवाज पर विश्वास प्रकट किया है. इससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत धार्मिक मामलों में पौराणिक व्यवस्था मान्यता व पारंपरिक रीति रिवाज को सही ढंग से जानते हैं.
पढ़ें- मसूरी में खाई में गिरी कार, तीन युवक गंभीर रूप से घायल
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बदरीनाथ मंदिर का प्रबंधन प्राचीन काल में हक हकूक धारियों के अनुरूप फिर से उन्हें सौंपा जाना चाहिए. यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि ब्रिटिश सरकार के समय 1939 से पहले बदरीनाथ मंदिर का प्रबंधन पुजारी समुदाय डिमरियों समेत अन्य मंदिर से जुड़े हक-हकूक धारियों के पास था. जिसके तहत वजीर व लेखवार जैसे महत्वपूर्ण पद डिमरी समुदाय के पास प्राचीन काल में बदरीनाथ मंदिर में थे.
पढ़ें- गेहूं की खरीद ने पकड़ी रफ्तार, 30 करोड़ का बजट जारी
पंचायत अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने कहा कि लंबे समय तक वजीर, लेखवार व रावल के रसोया जैसे पद पर लंबे समय तक डिमरी समुदाय के लोगों ने सफलता पूर्वक कार्य का संचालन किया, मगर मंदिर पर सरकारी नियंत्रण व हस्तक्षेप के चलते प्राचीन परंपराओं को दरकिनार करते हुए यह पद छीने गए.