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बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवंबर को होंगे बंद, आज होगी गणेश जी की पूजा

भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे. जिसके लिए बदरी-केदार मंदिर समिति ने सारी तैयारियां कर ली हैं.

बदरीनाथ मंदिर.
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Published : Nov 13, 2019, 8:17 AM IST

देहरादून: भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे. जिसके लिए बदरी-केदार मंदिर समिति ने सारी तैयारियां कर ली हैं. वहीं कपाट बंद होने के बाद छ: महीने बाद ही मंदिर के कपाट खुलेंगे.

badrinath dham
बदरीनाथ धाम.

गौर हो कि बुधवार को गणेश पूजा के साथ शाम को गणेश जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. 16 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन के बाद 17 नवंबर को बदरी नाथ को घृतकंबल ओढ़ाया जाएगा. जिसके बाद सायं 5.13 मिनट पर भगवान बदरीविशाल के कपाट विधिवत पूजा के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. बदरीनाथ मंदिर को बदरीनारायण मंदिर भी कहा जाता है, जो अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है.

पढ़ें-बदरीनाथ धाम में गुरु पूर्णिमा के पर्व पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है. जिसे चारधामों में से एक माना जाता है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु कपाट खुलने के साथ ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

देहरादून: भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे. जिसके लिए बदरी-केदार मंदिर समिति ने सारी तैयारियां कर ली हैं. वहीं कपाट बंद होने के बाद छ: महीने बाद ही मंदिर के कपाट खुलेंगे.

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बदरीनाथ धाम.

गौर हो कि बुधवार को गणेश पूजा के साथ शाम को गणेश जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. 16 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन के बाद 17 नवंबर को बदरी नाथ को घृतकंबल ओढ़ाया जाएगा. जिसके बाद सायं 5.13 मिनट पर भगवान बदरीविशाल के कपाट विधिवत पूजा के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. बदरीनाथ मंदिर को बदरीनारायण मंदिर भी कहा जाता है, जो अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है.

पढ़ें-बदरीनाथ धाम में गुरु पूर्णिमा के पर्व पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है. जिसे चारधामों में से एक माना जाता है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु कपाट खुलने के साथ ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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देहरादून: भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी. जिसके लिए बदरी-केदार मंदिर समिति ने सारी तैयारियां कर ली है. वहीं कपाट बंद होने के बाद छ: महीने बाद ही मंदिर के कपाट खुलेंगे. 



गौर हो कि बुधवार को गणेश पूजा के साथ शाम को गणेश जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. बता दें कि 16 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन के बाद 17 नवंबर को बदरी नाथ को घृतकंबल ओढ़ाया जाएगा. जिसके बाद सायं 5.13 मिनट पर भगवान बदरीविशाल के कपाट विधिवत पूजा के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.



वहीं बदरीनाथ मंदिर को बदरीनारायण मंदिर भी कहा जाता है. जो अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है.  मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है. जिसे चारधामों में से एक माना जाता है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु कपाट खुलने के साथ ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं.


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