देहरादून: राजधानी देहरादून की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़कों का हाल इन दिनों बहुत बुरा है. यूं तो देहरादून का नाम स्मार्ट सिटी में शामिल हो गया है, लेकिन यहां की सड़कें ऐसी की हैं कि गड्ढों के कारण आए दिन लोग हादसे का शिकार होते रहते हैं. लोगों को समझ नहीं आता कि यहां सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम राजधानी की सड़कों की हालत जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंची और हकीकत को जाना.
ईटीवी भारत की टीम ने देखा कि शहर की तमाम सड़कें इन दिनों जगह-जगह गड्ढों के कारण बदहाली के कगार पर हैं. मॉनसून के सीजन में स्मार्ट सिटी का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. ऐसे में जगह-जगह खुदाई होने के चलते बड़े-बड़े गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा भी बना हुआ है. आलम यह यह है कि दून का दिल रहे जाने वाले घंटाघर में भी सड़कों की हालत खस्ता है. देहरादून से जुड़ने वाले ज्यादातर नेशनल हाईवे से लेकर शहर की अधिकतर सड़कें जहां-तहां टूटने और गड्ढों की वजह से जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने देहरादून के घंटाघर से लेकर राजपुर रोड, सचिवालय मार्ग, हरिद्वार मार्ग, सुभाष रोड, इसी रोड, चकराता रोड, सहारनपुर रोड जैसे तमाम मार्गों में पाया कि सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हैं. देहरादून प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद भी सरकार की नजर यहां की सड़कों पर नहीं पड़ रही है. आलम यह है कि स्मार्ट सिटी के तहत सड़कों में जो खोदे गये हैं, उनमें पानी भरा होने के कारण राहगीर समझ नहीं पाते हैं कि यहां सड़क है या गड्ढा और हादसे का शिकार हो जाते हैं.
टूटी सड़कें और गड्ढे दे रहे हादसों को निमंत्रण
देहरादून की सबसे व्यस्त रहने वाली ईसी रोड और सुभाष रोड का आलम यह है कि यहां लोगों का चलना दुश्वार हो गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी निर्माण के तहत अधिकांश जगहों पर नालियां और गड्ढे खोदे गए हैं लेकिन उनके रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं है, जिसके चलते मॉनसून के सीजन में जानलेवा दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं.
घंटाघर से लेकर सचिवालय के आसपास भी सड़कों का बुरा हाल
देहरादून की राजपुर और मसूरी जाने वाले मार्ग का भी यही हाल है. यह मार्ग भी खस्ताहाल है. देहरादून के दिल कहे जाने वाले घंटाघर के आसपास की सड़कें भी पूरी तरह से बदहाली की कहानी बयां कर रही है. सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे होने की वजह से लोगों को आवाजाही में खासी परेशानी हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने दून में सड़कों का इतना बुरा हाल पहले कभी नहीं देखा. लोगों का मानना है कि जब राजधानी की मुख्य सड़कों का हाल ऐसा है तो प्रदेश के अन्य स्थानों पर हाल कैसा होगा ?
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सड़कों के गड्ढे दे रहे कमर दर्द: सीनियर सिटीजन
सीनियर सिटीजन का कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर गड्ढे खोदकर उन्हें खुला छोड़ देना कोई समझदारी नहीं है. यह भी नहीं का जा सकता है कि आखिर स्मार्ट सिटी का कार्य कब तक पूरा होगा. लेकिन शहर में सड़कों की हो रही बेतरतीब खुदाई लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है. उनका कहना है कि सड़कों में इतने गड्ढे हो चुके हैं कि अब वाहनों में चलाने से कमर से लेकर रीढ़ की हड्डी भी दर्द होने लगी है. ऐसे में जो लोग इस समस्या को लेकर अस्पताल में जा रहे हैं, वहां कोरोना का खतरा पहले से बना हुआ है. ऐसे में सरकार को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए ध्यान न देना चिंता का विषय है.
मॉनसून के बाद होगी सड़कों की मरम्मत: डीएम
वहीं, देहरादून जनपद की खस्ताहाल सड़कों को लेकर जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने भी माना है कि मॉनसून से पहले जो सड़कें दुरुस्त की जानी थी, वह समय पर नहीं हो पाईं. जिसके चलते इस बार बारिश के मौसम में शहर की सड़कें बदहाल हो गई हैं. उन्होंने कहा कि रुक-रुककर बारिश होने की वजह से सड़कों के गड्ढों बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मॉनसून समाप्त होते ही संबंधित विभाग को तत्काल सभी सड़कों को मरम्मत और निर्माण करने के आदेश दिए गए हैं. उम्मीद है कि सड़कें जल्दी दुरुस्त होंगी.
बहरहाल, जिलाधिकारी दून की सड़कों की हालत के लिए मॉनसून को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि राज्य में सड़कों का मरम्मत और निर्माण कार्य करने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास है और लोक निर्माण विभाग का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाल रहे हैं. ऐसे में राजधानी देहरादून की तमाम सड़कों का हाल बद से बदतर होना वाकई चिंता का विषय है.