देहरादून/बलिया: मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक उज्जवला योजना भी है. इस योजना के तहत महिलाओं को चूल्हे की धुएं से दूर कर गैस स्टोव और सिलेंडर पर खाना बनाने की शुरुआत की गई. वहीं बलिया में यह योजना बढ़ती महंगाई के कारण वापस कागजों-फाइलों में दबती नजर आ रही है.
1 मई 2016 से शुरू हुई थी उज्ज्वला योजना
1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत बलिया से की थी. प्रधानमंत्री ने चूल्हे के धुएं से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया. तीन साल के अंदर ही यह योजना बढ़ती महंगाई के चलते बदहाल है. रुपये के अभाव के कारण योजना के लाभार्थियों ने गैस सिलेंडरों का रिफिलिंग कराना छोड़ दिया है.
5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ किया गया लक्ष्य
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महिलाओं को गैस कनेक्शन देकर उनकी जिंदगी संवारने के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई. मार्च 2019 तक पांच करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन महिलाओं को बांटने का लक्ष्य रखा गया. बाद में इस लक्ष्य को बढ़ाकर आठ करोड़ किया गया. इसकी निर्धारित समय सीमा मार्च 2020 में रखी गई, लेकिन योजना में लाभार्थियों की संख्या और इस योजना को धरातल पर लाने के लिए सरकारी महकमे के प्रयास के कारण यह लक्ष्य सात माह पहले ही प्राप्त कर लिया गया.
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सबसे ज्यादा यूपी में बांटे गए कनेक्शन
उत्तर प्रदेश में उज्ज्वला योजना के तहत 1 करोड़ 46 लाख मुफ्त गैस कनेक्शन बांटे गए हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है, जहां 88 लाख कनेक्शन बांटे गए. ठीक इसके बाद बिहार, जहां 85 लाख कनेक्शन महिलाओं को दिया गया. इसी तरह मध्य प्रदेश में 71 और राजस्थान में 63 लाख लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं. प्रधानमंत्री के इस महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना में पूरे देश से 40 फीसदी कनेक्शन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के महिलाओं को प्राप्त हुआ.
स्थानीय महिलाओं ने कही ये बातें
सविता देवी ने बताया कि गैस कनेक्शन तो मिला है, लेकिन पैसे नहीं हैं. इसलिए गैस सिलेंडर को नहीं भराया. दो महीने हो गए, गैस सिलेंडर नहीं भरवाया. जब पैसा होगा तब सिलेंडर भरवाया जाएगा. शनिचरी देवी ने बताया कि खाना बनाने के लिए लकड़ी ले जा रहे हैं. गैस खत्म होने पर इसी पर खाना बनाते हैं.
गैस रिफलिंग में आ रही कमी से गैस एजेंसी वाले भी परेशान हैं. विक्रम गैस एजेंसी के पास इंडियन ऑयल का गैस वितरण का लाइसेंस है. मैनेजर रत्नेश सिंह ने बताया कि इस योजना की शुरुआत बलिया से हुई थी, लेकिन योजना के शुरुआत के बाद से ही लोग सिलेंडर रिफिलिंग में रुचि नहीं ले रहे हैं. अब महज 20 से 25 फीसदी ही योजना के लाभार्थी गैस सिलेंडर की रिफिलिंग कराते हैं. इसकी मुख्य वजह है कि उनके पास पैसे का अभाव है.