देहरादून: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद आज योगी सरकार 2.0 का शपथ ग्रहण समारोह हो रहा है. योगी सरकार में इस बार बेबी रानी मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल व आगरा ग्रामीण सीट से विधायक बेबी रानी मौर्य (Baby Rani Maurya) को भी योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. बेबी रानी मौर्य को पहले डिप्टी सीएम बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे थे.
एक साधारण भाजपा कार्यकर्ता फिर मेयर के पद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड की राज्यपाल (Governor) तक की अहम भूमिका निभाई है. इस बार विधानसभा चुनाव में बेबी रानी मौर्य ने आगरा ग्रामीण सीट से बड़ी जीत दर्ज की है.
तीन वर्षों तक रहीं उत्तराखंड की राज्यपाल: बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड के सातवें राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवा दी. वो इस प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 26 अगस्त 2018 से सितंबर 2021 तक रहीं. कार्यकाल समाप्त होने से दो साल पहले ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्हें सितंबर 2021 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. इस बार उन्हें भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की.
पढ़ें- पांचवीं उत्तराखंड विधानसभा का पहला सत्र 29 मार्च से 31 तक चलेगा, रचा जाएगा एक नया इतिहास
भाजपा का दलित चेहरा बेबी रानी मौर्य: यूपी में भाजपा का बड़ा दलित चेहरा मानी जाती हैं. उनकी तुलना कई बार बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती से होती रही है. हालांकि, वो अपना अलग वजूद बताती रही हैं. 65 वर्षीय बेबी रानी मौर्य का जन्म दलित परिवार में हुआ था. वो अनुसूचित जाति श्रेणी से आती हैं. उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से वर्ष 1990 में की थी. इसके बाद वो वर्ष 1995 में आगरा की मेयर बनी थीं. उन्हें आगरा की पहली महिला मेयर होने का भी गौरव हासिल है. भाजपा ने 1997 में अनुसूचित जाति विंग का ऑफिस बीयरर नियुक्त किया गया था. उस समय एससी मोर्चा के अध्यक्ष वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे. वर्ष 2013 से 2015 तक राज्य स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी दी गई थी.
जाटव समाज से आती हैं: बेबी रानी मौर्य जाटव समाज से आती हैं. जाटव अनुसूचित जाति वर्ग में ही आते हैं. बेबी रानी की ससुराल में जाटव लोग मौर्य लिखते हैं लेकिन, पूर्वी यूपी में मौर्य लोग पिछड़ा वर्ग में आते हैं. जाटव समाज से आने के कारण उन्हें मायावती के सामने भाजपा खड़ा करने की कोशिश करती रही है. भाजपा की ओर से बेबी रानी मौर्य को आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से दलित चेहरे के तौर पर 2022 के चुनाव में लॉन्च किया गया था. दिग्गज नेता बेबी रानी मौर्य ने 76,608 से ज्यादा वोटों से बसपा प्रत्याशी किरण प्रभा केशरी को हराया है. भाजपा विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाह से लोग खासे नाराज थे, ऐसे में भाजपा ने चुनावी मैदान में बेबी रानी मौर्य को उतारा था. बेबी रानी मौर्य को 52.63 फीसदी वोट मिले थे. इससे पहले साल 2007 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था. तब बसपा प्रत्याशी नारायण सिंह सुमन से कड़े मुकाबले में उनको हार का सामना करना पड़ा था.
राज्यपाल बनने के बाद मंत्री बने कई नेता: उत्तराखंड में राज्यपाल रही बेबी रानी मौर्य ने राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने उन्हें चुनाव लड़वाया. आगरा की सीट से चुनाव लड़ने के बाद आज उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. भारतीय राजनीति में कई ऐसे राज्यपाल हैं जो बाद में राजनीति में आए हैं. उनमें यूपी की राजनीति ने दिग्गज रहे कल्याण सिंह, राम नाईक, कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह, कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, सुशील कुमार शिंदे, एसएम कृष्णा, कांग्रेस नेता शीला दीक्षित, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल महावीर प्रसाद और साउथ की राजनीति में भी कई ऐसे नाम हैं. वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि हो सकता है कि बेबी रानी मौर्य का उदाहरण इसलिए अलग हो क्योंकि राज्यपाल से इस्तीफा देने के बाद वह एक मंत्री बन रही हैं.