देहरादून: योग गुरु बाबा रामदेव एलोपैथी पर दिए गए बयान और आचार्य बालकृष्ण, बाबा रामदेव के बयान का समर्थन कर इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. लेकिन एक समय था, जब आयुर्वेद के हिमायती बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को एलोपैथी की शरण में आना पड़ा था.
दरअसल, 4 जून 2011 को विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिये अनशन कर रहे योग गुरु बाबा रामदेव की हालत 7 जून को चिंताजनक हो गई थी. बाबा रामदेव ने चार जून को दिल्ली में अपना अनशन शुरू किया था. लेकिन रात को दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई कर उन्हें वहां से हटा दिया था, जिसके बाद उन्होंने हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में अपना आमरण अनशन जारी रखा था.
हिमालयन अस्पताल में किया गया था इलाज
7 जून 2011 को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें शुक्रवार को एंबुलेंस के जरिए देहरादून लाया गया था और अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. वहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था और डॉक्टरों ने अपनी निगरानी में ग्लूकोज चढ़ाया था.
डॉक्टरों ने हेल्थ बुलेटिन जारी करते हुए कहा था कि रामदेव का ब्लड प्रेशर लगातार गिर रहा है. अगर उनके स्वास्थ्य में इसी तरह की गिरावट जारी रही तो उनके कोमा में जाने का खतरा है. इसके बाद आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और दूसरे संतों ने उनको आमरण अनशन खत्म करने के लिए मनाने की कोशिशें शुरू की थीं. जिसके बाद 12 जून को बाबा रामदेव ने अनशन खत्म करने की घोषणा की. एलोपैथी डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों ही देहरादून स्थित हिमालया अस्पताल और एम्स अस्पताल से स्वस्थ होकर वापस पतंजलि योगपीठ लौटे थे.
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एलोपैथी की मदद से ठीक हुए थे रामदेव
हिमालयन अस्पताल में बाबा रामदेव को स्पेशल वॉर्ड में रखा गया था. जिस वक्त बाबा रामदेव को अस्पताल में भर्ती किया गया था, उस समय रामदेव की हालत बेहद चिंताजनक थी. डॉक्टर भी उनकी हालत को देखते हुए परेशान थे. बाबा रामदेव की पल्स रेट 58, ब्लड प्रेशर 104/70 और वजन भी लगभग 5 किलो से अधिक घट गया था. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उस वक्त बाबा रामदेव का इलाज कर रहे और हेल्थ बुलेटिन जारी करने वाले डॉक्टर जेठानी कहते हैं कि बाबा रामदेव की तबीयत पर 5 डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी बनाए हुए थी.
इन बीमारियों से घिरे थे बाबा रामदेव
ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ. जेठानी कहते हैं कि उस वक्त हमारी टीम बेहद परेशान थी, क्योंकि हम बाबा रामदेव को देश की संपत्ति मान रहे थे. जेठानी कहते हैं कि बाबा के यूरिन में एल्बुमिन और कीटोन की मात्रा लगातार बढ़ रही थी. जिसके बाद अस्पताल से जुड़े डॉक्टरों ने बाबा की हालत को बेहद चिंताजनक बताया था. बाबा की तबीयत उस वक्त इतनी खराब हो गई थी कि उनके ब्लड प्रेशर में गिरावट और शरीर में पानी की कमी भी हो गई थी. लगातार बाबा रामदेव को उस वक्त ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था. लगभग 8 दिन से अधिक बाबा रामदेव इसी अस्पताल में भर्ती रहे और तब जाकर स्वस्थ होकर पतंजलि योगपीठ वापस लौटे.
ज्ञानी बाबा क्यों आए थे एलोपैथी की शरण में?
बाबा रामदेव की एलोपैथी पर की गई विवादित टिप्पणी पर उनका इलाज करने वाले डॉ. जेठानी कहते हैं कि 'यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि जिन डॉक्टरों ने बाबा रामदेव की जान बचाई थी, उन्हीं डॉक्टरों को बाबा रामदेव बुरा-भला कह रहे हैं. जेठानी कड़े शब्दों में कहते हैं कि बाबा रामदेव अगर इतने ही ज्ञानी थे तो उस वक्त क्यों एलोपैथी की शरण में आना पड़ा था? उनका कहना है कि बाबा रामदेव पर इस वक्त ज्यादा कुछ कहना उनको बढ़ावा देना है. लिहाजा ऐसे बयानों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देने की जगह एलोपैथी के डॉक्टर बाबा रामदेव के बयान से आहत होने के बाद भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और हजारों-लाखों लोगों की जिंदगियां बचा रहे हैं.
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आचार्य बालकृष्ण भी गए थे एलोपैथी की शरण में
ऐसा नहीं कि सिर्फ बाबा रामदेव अपने प्राण बचाने के लिए एलोपैथी की शरण में गए थे. उनके सहयोगी और पतंजिल योगपीठ में नंबर दो के ओहदे पर मौजूद आचार्य बालकृष्ण भी अपनी जान बचाने के लिए एलोपैथी की शरण में गए थे. 23 अगस्त 2019 को पतंजलि योगपीठ के महामंत्री और पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण की तबीयत बिगड़ गई थी. जिसके बाद उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था.
एम्स के डॉक्टरों ने किया था बालकृष्ण का इलाज
उस वक्त डॉक्टरों और ऋषिकेश एम्स के तत्कालीन प्रवक्ता विमल कुमार ने बताया था कि आचार्य बालकृष्ण को फूड प्वाइजनिंग की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था. जिसके बाद पूरे देश में बालकृष्ण की आईसीयू में ऑक्सीजन मास्क वाली तस्वीरें वायरल हुईं थीं. आचार्य बालकृष्ण की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलते ही उत्तराखंड सरकार में भी हड़कंप मच गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई मंत्री एम्स पहुंच गए थे और डॉक्टरों से लगातार उनके स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए बेहतर इलाज के लिए निर्देशित करते रहे. उस वक्त डॉक्टरों ने यह नहीं देखा कि आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद के पक्षधर हैं न कि एलोपैथ के.
हर किसी को याद है कि आचार्य बालकृष्ण की तबीयत खराब होने के बाद एम्स के लगभग एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टर उनकी देखरेख में लगे हुए थे. बाहर बदहवास और मायूस से खड़े बाबा रामदेव को भी यह मालूम नहीं था कि अचानक बालकृष्ण को हुआ क्या है? लेकिन डॉक्टरों की सूझबूझ और उनके इलाज के कारण ही आचार्य बालकृष्ण दोबारा स्वस्थ होकर पतंजलि वापस लौटे थे.