ETV Bharat / state

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स, लोगों ने मजार पर चादर चढ़ाकर मांगी दुआ

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का मजार है. यहां हर साल उर्स मनाया जाता है. इस बार भी सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर लोगों ने मजार पर चादर चढ़ाकर दुआएं मांगी. मशहूर कव्वाल साजन घुंघरू वाले ने कव्वाली से समां बांधा.

Baba Bulle Shah Annual Urs
मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स
author img

By

Published : Oct 28, 2022, 9:42 AM IST

Updated : Oct 28, 2022, 10:03 AM IST

मसूरीः बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया. यहां सभी धर्मों के भक्तों ने बाबा की मजार पर चादर चढ़ाई और दुआएं मांगी. इस मौके पर मशहूर कव्वाल साजन घुंघरू वाले ने सर्वधर्म की कव्वाली सुना कर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया. वहीं, विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसे भक्तों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया.

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स उनकी मजार (Baba Bulle Shah Annually Urs) पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल बाबा बुल्ले शाह के उर्स पर लोगों का तांता लग गया था. इस मौके पर कमेटी की ओर से चादर चढ़ाई गई. उसके बाद श्रद्धालुओं ने चादरें और प्रसाद चढ़ाया. दिनभर यह क्रम जारी रहा. इस मौके पर ख्याति प्राप्त कव्वाल साजन बाबू घुंघरू वाले की टीम ने अपनी मनमोहक आवाज में बाबा बुल्ले शाह की शान में कव्वालियां प्रस्तुत की तो श्रोता झूम उठे.

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में मजार पर सियासत! कांग्रेस ने कार्रवाई को बताया चिंताजनक, बीजेपी ने किया घेराव

वहीं, बाबा बुल्ले शाह मजार कमेटी के सदस्य रजत अग्रवाल ने बताया कि कोरोनाकाल के दो साल के बाद सालाना उर्स धूमधाम के साथ मनाया गया. बाबा बुल्ले शाह की मजार की खासियत यह है कि यहां हर मजहब के श्रद्धालु आते हैं. जिनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धार्मिक एकता का परिचय देकर मन्नतें मांगते हैं. लोगों की मन्नतें भी पूरी होती हैं.

मजार कमेटी के अन्य सदस्य सुनील गोयल और इसरार अहमद ने कहा कि 37 साल पहले बाबा बुल्ले शाह ने मसूरी में निवास कर रहे एक व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए थे. उसके बाद इस स्थान पर बाबा की मजार (Mussoorie Mazar Bulle Shah) को स्थापित किया गया. जिसके बाद यहां पर बाबा के भक्तों का तांता लगातार बढ़ता चला गया. बाबा की मजार में सभी वर्गों के लोग आते हैं और एकता का संदेश देते हैं.
ये भी पढ़ेंः जहां इंसान नहीं जा सकता, वहां कैसे बन गईं कथित मजारें? जानें सब कुछ

मसूरीः बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया. यहां सभी धर्मों के भक्तों ने बाबा की मजार पर चादर चढ़ाई और दुआएं मांगी. इस मौके पर मशहूर कव्वाल साजन घुंघरू वाले ने सर्वधर्म की कव्वाली सुना कर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया. वहीं, विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसे भक्तों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया.

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स उनकी मजार (Baba Bulle Shah Annually Urs) पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल बाबा बुल्ले शाह के उर्स पर लोगों का तांता लग गया था. इस मौके पर कमेटी की ओर से चादर चढ़ाई गई. उसके बाद श्रद्धालुओं ने चादरें और प्रसाद चढ़ाया. दिनभर यह क्रम जारी रहा. इस मौके पर ख्याति प्राप्त कव्वाल साजन बाबू घुंघरू वाले की टीम ने अपनी मनमोहक आवाज में बाबा बुल्ले शाह की शान में कव्वालियां प्रस्तुत की तो श्रोता झूम उठे.

मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में मजार पर सियासत! कांग्रेस ने कार्रवाई को बताया चिंताजनक, बीजेपी ने किया घेराव

वहीं, बाबा बुल्ले शाह मजार कमेटी के सदस्य रजत अग्रवाल ने बताया कि कोरोनाकाल के दो साल के बाद सालाना उर्स धूमधाम के साथ मनाया गया. बाबा बुल्ले शाह की मजार की खासियत यह है कि यहां हर मजहब के श्रद्धालु आते हैं. जिनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धार्मिक एकता का परिचय देकर मन्नतें मांगते हैं. लोगों की मन्नतें भी पूरी होती हैं.

मजार कमेटी के अन्य सदस्य सुनील गोयल और इसरार अहमद ने कहा कि 37 साल पहले बाबा बुल्ले शाह ने मसूरी में निवास कर रहे एक व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए थे. उसके बाद इस स्थान पर बाबा की मजार (Mussoorie Mazar Bulle Shah) को स्थापित किया गया. जिसके बाद यहां पर बाबा के भक्तों का तांता लगातार बढ़ता चला गया. बाबा की मजार में सभी वर्गों के लोग आते हैं और एकता का संदेश देते हैं.
ये भी पढ़ेंः जहां इंसान नहीं जा सकता, वहां कैसे बन गईं कथित मजारें? जानें सब कुछ

Last Updated : Oct 28, 2022, 10:03 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.