ऋषिकेश: 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर प्रदेशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी ऋषिकेश में एक कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्होंने अपने विचार रखे. इस दौरान उन्होंने कहा कि समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है. बेटी है तो कल है. उत्तराखंड सरकार बेटियों के कई योजनाएं चला रही है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज भी कई राज्यों में लिंग अनुपात की स्थिति चिंता जनक है. हालांकि, पीएम मोदी के आवहान के बाद लोग काफी जागरुक हुए है. अब लोग बेटी और बेटों में फर्क नहीं समझते है. हरियाणा में पहले लिंग अनुपात चिंता का विषय था, लेकिन आज वहां भी लोग जागरुक हो गए है.
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस का अपना इतिहास है.
- सबसे पहले इसे एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में लेकर आई है.
- इस संगठन ने "क्योंकि में एक लड़की हूं" नाम से एक अभियान भी शुरू किया.
- इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया.
- फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा.
- अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना.
- इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था "बाल विवाह को समाप्त करना".
- भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.