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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर बोले विस अध्यक्ष, कहा- बेटी है तो कल है - ऋषिकेश न्यूज

हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. भारत सरकार लगातार बेटियों को सशक्त बनाने के लिए योजनाए ला रही है. केंद्र द्वारा चलाया गया बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं आंदोलन एक ऐसा ही स्कीम है. भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल
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Published : Oct 11, 2019, 9:12 PM IST

ऋषिकेश: 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर प्रदेशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी ऋषिकेश में एक कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्होंने अपने विचार रखे. इस दौरान उन्होंने कहा कि समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है. बेटी है तो कल है. उत्तराखंड सरकार बेटियों के कई योजनाएं चला रही है.

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज भी कई राज्यों में लिंग अनुपात की स्थिति चिंता जनक है. हालांकि, पीएम मोदी के आवहान के बाद लोग काफी जागरुक हुए है. अब लोग बेटी और बेटों में फर्क नहीं समझते है. हरियाणा में पहले लिंग अनुपात चिंता का विषय था, लेकिन आज वहां भी लोग जागरुक हो गए है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस का अपना इतिहास है.
  • सबसे पहले इसे एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में लेकर आई है.
  • इस संगठन ने "क्योंकि में एक लड़की हूं" नाम से एक अभियान भी शुरू किया.
  • इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया.
  • फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा.
  • अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना.
  • इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था "बाल विवाह को समाप्त करना".
  • भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.

ऋषिकेश: 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर प्रदेशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी ऋषिकेश में एक कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्होंने अपने विचार रखे. इस दौरान उन्होंने कहा कि समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है. बेटी है तो कल है. उत्तराखंड सरकार बेटियों के कई योजनाएं चला रही है.

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज भी कई राज्यों में लिंग अनुपात की स्थिति चिंता जनक है. हालांकि, पीएम मोदी के आवहान के बाद लोग काफी जागरुक हुए है. अब लोग बेटी और बेटों में फर्क नहीं समझते है. हरियाणा में पहले लिंग अनुपात चिंता का विषय था, लेकिन आज वहां भी लोग जागरुक हो गए है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस का अपना इतिहास है.
  • सबसे पहले इसे एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में लेकर आई है.
  • इस संगठन ने "क्योंकि में एक लड़की हूं" नाम से एक अभियान भी शुरू किया.
  • इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया.
  • फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा.
  • अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना.
  • इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था "बाल विवाह को समाप्त करना".
  • भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.
Intro:ऋषिकेश-- 11 अक्टूबर को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है आज के दिन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है उन्होंने कहा कि बेटी है तो कल है विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बेटियों के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चलाए हुए हैं।


Body:वी/ओ-- उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने लिंग अनुपात को लेकर कहा कि कुछ राज्यों में आज भी लिंग अनुपात चिंता का विषय बना हुआ है हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन के बाद लोगों में जागरूकता थैली है और अब लोग बेटी और बेटों में फर्क ना समझते हुए बेटियों को संरक्षित कर रहे हैं हरियाणा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में लिंगानुपात बेहद चिंता का विषय था लेकिन अब वहां पर भी इस मामले में लोगों के भीतर काफी जागरूकता देखने को मिल रही है और लोग बेटी और बेटे में फर्क नहीं समझ रहे हैं।


Conclusion:वी/ओ-- आपको बता दें कि 11 अक्टूबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते हुए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित किया था जिसके बाद से लगातार इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बाईट--प्रेमचंद अग्रवाल(विधानसभा अध्यक्ष)
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