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देहरादून: 98 साल पुराना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय नोएडा होगा शिफ्ट

98 साल पुराना भारतीय पुरातत्व विभाग का देहरादून कार्यालय 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट किया जाएगा. इसे लेकर कार्यालय के कर्मचारी हताश हैं.

98 साल पुराना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून कार्यालय होगा शिफ्ट
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Published : Nov 6, 2019, 8:29 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 11:46 PM IST

देहरादून: हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 98 साल पुरानी विज्ञान शाखा को आगामी 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट कर दिया जाएगा. ये आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय की ओर से जारी किया गया है.


सितंबर माह में जब से ये आदेश जारी हुआ है तब से ही संस्थान के कर्मचारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत की टीम जब हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यालय पहुंची तो यहां के कई कर्मचारी मुख्यालय के इस फैसले से खासे हताश नजर आए. हालांकि, किसी ने भी कैमरे के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रखी. लेकिन ऑफ-द रिकॉर्ड कर्मचारियों का कहना था कि वह मुख्यालय के इस आदेश से खासे हताश हैं. वे नहीं चाहते कि देहरादून की पहचान बन चुके इस ऐतिहासिक कार्यालय को यहां से शिफ्ट किया जाए.

98 साल पुराना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून कार्यालय होगा शिफ्ट

पढ़ेंः जल्द बहुरेंगे दूनवासियों के दिन, शुरू होगा स्मार्ट सिटी पर काम

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय को देहरादून से ग्रेटर नोएडा शिफ्ट के जाने को लेकर विभाग से सेवानिवृत्त डिप्टी सुपरिटेंडेंट भगवती प्रसाद नौनी का कहना था कि कार्यालय को यहां से पूरी तरह ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करना मुख्यालय का आदेश है. लेकिन, उन्हें लगता है कि प्रदेश की 44 ऐतिहासिक धरोहरों और अन्य हिमालयी राज्यो में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखने के लिए देहरादून में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक जोनल कार्यालय जरूर होना चाहिए.

गौरतलब है कि हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा लगभग 10 बीघा क्षेत्रफल में स्थापित है. साल 2013 की आपदा के बाद जब केदारनाथ मंदिर की स्थिति खराब हो चुकी थी, तब इस शाखा ने मंदिर का केमिकल ट्रीटमेंट और सूरत संवारने का कार्य किया था. यही नहीं साल 1921 से देश-विदेश के तमाम धार्मिक स्थलों के केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी यहीं से किया जाता रहा है.

पढ़ेंः खुशखबरीः हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को मिले 8 नए डॉक्टर, काफी हद तक दूर हुई कमी

यहां ये बताना जरूरी है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून स्थित इसी विज्ञान शाखा में साल 2003-04 में राम जन्मभूमि में मिले अवशेषों पर रिपोर्ट तैयार की गई थी. ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी पेश की जा चुकी है.

देहरादून: हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 98 साल पुरानी विज्ञान शाखा को आगामी 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट कर दिया जाएगा. ये आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय की ओर से जारी किया गया है.


सितंबर माह में जब से ये आदेश जारी हुआ है तब से ही संस्थान के कर्मचारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत की टीम जब हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यालय पहुंची तो यहां के कई कर्मचारी मुख्यालय के इस फैसले से खासे हताश नजर आए. हालांकि, किसी ने भी कैमरे के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रखी. लेकिन ऑफ-द रिकॉर्ड कर्मचारियों का कहना था कि वह मुख्यालय के इस आदेश से खासे हताश हैं. वे नहीं चाहते कि देहरादून की पहचान बन चुके इस ऐतिहासिक कार्यालय को यहां से शिफ्ट किया जाए.

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय को देहरादून से ग्रेटर नोएडा शिफ्ट के जाने को लेकर विभाग से सेवानिवृत्त डिप्टी सुपरिटेंडेंट भगवती प्रसाद नौनी का कहना था कि कार्यालय को यहां से पूरी तरह ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करना मुख्यालय का आदेश है. लेकिन, उन्हें लगता है कि प्रदेश की 44 ऐतिहासिक धरोहरों और अन्य हिमालयी राज्यो में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखने के लिए देहरादून में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक जोनल कार्यालय जरूर होना चाहिए.

गौरतलब है कि हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा लगभग 10 बीघा क्षेत्रफल में स्थापित है. साल 2013 की आपदा के बाद जब केदारनाथ मंदिर की स्थिति खराब हो चुकी थी, तब इस शाखा ने मंदिर का केमिकल ट्रीटमेंट और सूरत संवारने का कार्य किया था. यही नहीं साल 1921 से देश-विदेश के तमाम धार्मिक स्थलों के केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी यहीं से किया जाता रहा है.

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यहां ये बताना जरूरी है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून स्थित इसी विज्ञान शाखा में साल 2003-04 में राम जन्मभूमि में मिले अवशेषों पर रिपोर्ट तैयार की गई थी. ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी पेश की जा चुकी है.

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देहरादून- राजधानी देहरादून के हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 98 साल पुरानी विज्ञान शाखा को आगामी 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट किया जाएगा। यह आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्यालय की ओर से जारी किए गए हैं।

गौरतलब है कि सितंबर माह में जब से यह आदेश जारी हुआ है तब से ही संस्थान के कर्मचारी खासे परेशान हैं । ईटीवी भारत की टीम आज जब हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के कार्यालय पहुची तो यहां के कई कर्मचारी मुख्यालय के इस फैसले से खासे हताश नज़र आए । हालांकि सरकारी कर्मचारी होने की बात कह कर सभी कर्मचारी कैमरे के सामने खुलकर बोलने से बचते नजर आए। लेकिन ऑफ-दी कैमरा कर्मचारियों का कहना था कि वह मुख्यालय के इस आदेश से खासे हताश हैं । वह नहीं चाहते कि देहरादून की पहचान बन चुके इस ऐतिहासिक कार्यालय को यहां से शिफ्ट किया जाए वही इस कार्यालय के शिफ्ट होने से नासिर उन पर असर पड़ेगा बल्कि उनके परिवारजनों को भी इससे दिक्कतें होंगी।




Body:वही कार्यालय को देहरादून से ग्रेटर नोएडा शिफ्ट के जाने को लेकर ASI के सेवानिवृत्त डिप्टी सुपरिटेंडेंट भगवती प्रसाद नौनी का कहना है कार्यालय को यहां से पूरी तरह ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करना यह मुख्यालय का आदेश हैं। लेकिन उन्हें लगता है कि प्रदेश की 44 ऐतिहासिक धरोहरों और अन्य हिमालयी राज्यो में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को संजोय रखने के राजधानी देहरादून में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक जोनल कार्यालय यहां जरूर होना चाहिए।

गौरतलब है कि हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा लगभग 10 बीघा क्षेत्रफल में स्थापित है। साल 2013 की आपदा के बाद जब केदारनाथ मंदिर की स्थिति खराब हो चुकी थी तब इस शाखा में मंदिर में केमिकल ट्रीटमेंट का कार्यकाल इसकी सूरत संवारने का कार्य किया था । यही नहीं ASI की इस विज्ञान शाखा मैं साल 1921 से देश-विदेश के तमाम धर्मों की केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी किया जाता रहा है।

यहां आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की राजधानी देहरादून स्थित इसी विज्ञान शाखा में साल 2003-04 में राम जन्मभूमि में मिले अवशेषों पर रिपोर्ट तैयार की गई थी । यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी पेश की जा चुकी है।







Conclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 11:46 PM IST
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