देहरादून: हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 98 साल पुरानी विज्ञान शाखा को आगामी 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट कर दिया जाएगा. ये आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय की ओर से जारी किया गया है.
सितंबर माह में जब से ये आदेश जारी हुआ है तब से ही संस्थान के कर्मचारी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत की टीम जब हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यालय पहुंची तो यहां के कई कर्मचारी मुख्यालय के इस फैसले से खासे हताश नजर आए. हालांकि, किसी ने भी कैमरे के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रखी. लेकिन ऑफ-द रिकॉर्ड कर्मचारियों का कहना था कि वह मुख्यालय के इस आदेश से खासे हताश हैं. वे नहीं चाहते कि देहरादून की पहचान बन चुके इस ऐतिहासिक कार्यालय को यहां से शिफ्ट किया जाए.
पढ़ेंः जल्द बहुरेंगे दूनवासियों के दिन, शुरू होगा स्मार्ट सिटी पर काम
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय को देहरादून से ग्रेटर नोएडा शिफ्ट के जाने को लेकर विभाग से सेवानिवृत्त डिप्टी सुपरिटेंडेंट भगवती प्रसाद नौनी का कहना था कि कार्यालय को यहां से पूरी तरह ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करना मुख्यालय का आदेश है. लेकिन, उन्हें लगता है कि प्रदेश की 44 ऐतिहासिक धरोहरों और अन्य हिमालयी राज्यो में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखने के लिए देहरादून में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक जोनल कार्यालय जरूर होना चाहिए.
गौरतलब है कि हाथीबड़कला स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा लगभग 10 बीघा क्षेत्रफल में स्थापित है. साल 2013 की आपदा के बाद जब केदारनाथ मंदिर की स्थिति खराब हो चुकी थी, तब इस शाखा ने मंदिर का केमिकल ट्रीटमेंट और सूरत संवारने का कार्य किया था. यही नहीं साल 1921 से देश-विदेश के तमाम धार्मिक स्थलों के केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी यहीं से किया जाता रहा है.
पढ़ेंः खुशखबरीः हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को मिले 8 नए डॉक्टर, काफी हद तक दूर हुई कमी
यहां ये बताना जरूरी है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून स्थित इसी विज्ञान शाखा में साल 2003-04 में राम जन्मभूमि में मिले अवशेषों पर रिपोर्ट तैयार की गई थी. ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी पेश की जा चुकी है.