नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के लोक पर्व इगास-बग्वाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. इस मौके पर पीएम मोदी ने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें पीएम ने बलूनी के प्रयासों की सराहना की है.
पीएम ने लिखा है कि, 'आपके द्वारा दिल्ली में इगास पर्व के आयोजन से यहां के लोगों को भी देवभूमि उत्तराखंड की गौरवशाली संस्कृति को जानने और समझने का अवसर मिलेगा. यह एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना को और मजबूती प्रदान करेगा। आस्था और परंपरा से जुड़े इस पर्व के आयोजन का आपका प्रयास सराहनीय है. लोकपर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं.'
पीएम ने लिखा है कि, आजादी के अमृत काल में देश पंच प्राण के संगों के साथ आगे बढ़ रहा है. जिनमें से एक संकल्प ये है कि हम अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करें. इगास पर्व का आयोजन उत्तराखंडी लोक संस्कृति से नयी पीढ़ी के जुड़ाव को और प्रगाढ़ बनाएगा.
त्योहारों में निहित आशा और सकारात्मकता हमें यह संदेश देती है कि जन-भागीदारी के जरिए बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. पीएम ने विश्वास जताया कि सभी की सामूहिक संकल्प शक्ति ने उर्जित राष्ट्र, प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएगा. इसी के साथ पीएम मोदी ने अनिल बलूनी सहित पूरे प्रदेश को एक बार फिर से इगास पर्व की शुभकामनाएं दीं.
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वहीं, प्रधानमंत्री के इस पत्र के बाद बलूनी ने भी उनका आभार व्यक्त किया. बलूनी ने कहा कि, जिस प्रकार पीएम के मार्गदर्शन में संपूर्ण देश में सनातन मान्यताओं के पुनर्जागरण और पुनरुत्थान का अभियान जारी है, उसी तरह उत्तराखंडवासी अपने लुप्तप्राय हो चुके पौराणिक इगास को धूमधाम से मना रहे हैं.
क्या है इगास पर्वः उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है. इगास पर पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता है.
11वें दिन इसलिए मनाई जाती है इगासः एक मान्यता ये भी है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया था.