देहरादूनः उत्तराखंड आंगनबाड़ी संयुक्त मोर्चा से जुड़ी आंगनबाड़ी वर्कर्स ने मानदेय बढ़ोत्तरी समेत अन्य मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया. पुलिस ने उन्हें सचिवालय से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. आगे बढ़ने का प्रयास कर रहीं आंगनबाड़ी वर्करों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. इस दौरान एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बेहोश भी हो गई.
प्रदेशभर से आई आंगनबाड़ी वर्कर्स मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से वार्ता की मांग को लेकर सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं. उनका कहना है कि यदि आगामी कैबिनेट में मांगों को नहीं उठाया गया तो एक नवंबर से पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार करने पर उन्हें मजबूर होना पड़ेगा. प्रदर्शनकारी आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि बीते लंबे समय से मानदेय बढ़ाने को लेकर विभागीय मंत्री रेखा आर्य और विभागीय अधिकारियों से वार्ता की गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. जिसके कारण मजबूरन उन्हें सड़क पर उतरना पड़ रहा है.
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बता दें कि सचिवालय घेराव को निकले आंगनबाड़ी वर्कर ₹18,000 मानदेय की मांग पर अड़ी हुईं हैं. आंगनबाड़ी वर्करों ने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि पूर्व में भी रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया था, लेकिन सरकार मामले का संज्ञान नहीं ले रही है. जिसके चलते आंगनबाड़ी वर्करों में भारी आक्रोश है. उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर यदि उन्हें गिरफ्तार भी किया गया तो वो अपनी गिरफ्तारी देने से भी पीछे नहीं हटेंगी.
गौर हो कि बीते 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑनलाइन डीबीटी माध्यम से प्रदेश की 33,297 आंगनबाड़ी वर्करों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेजी. ऐसे में प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 10-10 हजार रुपए की धनराशि दी गई. जिसमें प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर के खाते में कोरोना काल में सेवा के लिए ₹1000 की प्रोत्साहन राशि, रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत ₹1000 और अन्य घोषणा के तहत 5 माह तक प्रत्येक आंगनबाड़ी वर्कर को दी जाने वाली ₹2000 (कुल 10,000) रुपए की धनराशि शामिल है.
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वहीं, 12 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में आंगनबाड़ी वर्करों को मानदेय बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिसे लेकर आंगनबाड़ी वर्करों में नाराजगी है. आंगनबाड़ी वर्करों का कहना है कि उनसे सबसे ज्यादा काम लिया जाता है लेकिन उस हिसाब से उनका मानदेय कम है. जिसे बढ़ाकर ₹600 प्रति दिन के हिसाब से ₹18,000 महीना किया जाना चाहिए. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके.