देहरादून: महिला बाल विकास विभाग में पिछले 11 सालों से आंगनबाड़ी पदोन्नति मामला विभागीय लापरवाही की वजह से एक बार फिर से सुर्खियों में है. ये मामला एक बार फिर से हाईकोर्ट की शरण में जा सकता है.
महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी वर्कर्स का आखिरी बार प्रमोशन वर्ष 2012 में हुआ था, लेकिन उसके बाद लगातार आंगनबाड़ी वर्कर्स की आपत्ति के बाद कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया. यह मामला 2017 तक खींचा. जिसके बाद विभाग ने अपनी गलतियों को सुधारा. उसके बाद एक बार फिर से पदोन्नति को लेकर प्रक्रिया शुरू की, लेकिन उसके बावजूद भी विभाग ने प्रक्रिया में कई जगह पर लापरवाहियां की थी. जिसके बाद यह मामला एक बार फिर से नैनीताल हाईकोर्ट में पहुंच गया था.
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नैनीताल हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कोर्ट के आदेशों के क्रम में विभाग ने तकरीबन 6 से आंगनबाड़ी वर्कर्स को नियुक्ति प्रदान की. जिन्हें विभागीय कार्रवाई में नियमों के विरुद्ध नियुक्ति सूची से बाहर किया गया था. नैनीताल हाईकोर्ट के हस्तक्षेप और कड़े निर्देशों के बाद विभाग ने नियमों के विरुद्ध पदोन्नति सूची से बाहर किए गए इन आंगनबाड़ी वर्कर्स को नियुक्ति प्रदान की तो वहीं लगातार अन्य आंगनबाड़ी वर्कर्स भी कोर्ट की शरण में गई. जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने विभाग द्वारा पदोन्नति के लिए हाल ही में निकाली गई. विज्ञप्ति को निरस्त करने के आदेश दिए. नियमों को सही करने के सही सख्त निर्देश दिए.
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कोर्ट के आदेशों के बाद महिला बाल विकास विभाग ने एक बार फिर से पदोन्नति प्रक्रिया के नियमों में संशोधन किया. इस बार आंगनबाड़ी वर्कर्स की पदोन्नति में उम्र की बाध्यता को समाप्त कर पदोन्नति के लिए विज्ञप्ति जारी करने की मांग आंगनबाड़ी संगठन द्वारा की गई. जिस पर विभाग ने हामी भरते हुए नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन का आश्वासन दिया. इसे कैबिनेट से भी मंजूरी मिल गई है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा जहां एक तरफ प्रमोशन के लिए आयु सीमा को खत्म किया गया है तो वहीं दूसरी तरफ आंगनबाड़ी से सुपरवाइजर के प्रमोशन के लिए अब आंगनबाड़ी वर्कर्स को ग्रेजुएशन होना अनिवार्य है.
सीधी भर्ती में लिए भी वही शैक्षिक योग्यता तो पदोन्नती का क्या फायदा? बता दें कि आंगनबाड़ी की सीधी भर्ती के लिए विभाग द्वारा ग्रेजुएशन को अनिवार्य किया गया है. वहीं भर्ती नियमावली में 50 फीसदी प्रमोशन के पद होने के बावजूद भी विभाग द्वारा प्रमोशन लेने वाली आंगनबाड़ी वर्कर्स बाड़ियों के लिए ग्रेजुएशन की अनिवार्यता रखी गई है. हालांकि अभी शासनादेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन विभागीय सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने स्पष्ट कहा है कि मुख्य सेविका यानी सुपरवाइजर के लिए जिस शैक्षणिक अनिवार्यता की आवश्यकता है. उस शैक्षणिक अनिवार्यता के मानक पूरे करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री ही मुख्य सेविका के पद पर प्रमोट किया जाएगा.
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फिर से कोर्ट जाएंगे आंगनबाड़ी वर्कर्स: पदोन्नति की प्रक्रिया में हुए इस संशोधन को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स में भी रोष देखने को मिल रहा है. आंगनबाड़ी वर्कर्स का कहना है कि अगर विभाग द्वारा इस तरह से उनके उम्र भर की सेवा के बदले भेदभाव किया जाएगा तो वह अपने न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए एक बार फिर से कोर्ट की शरण लेंगी.
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आंगनबाड़ी संगठन की अध्यक्ष रेखा नेगी ने बताया कि अभी शासनादेश जारी नहीं हुआ है. जैसे ही साफ निर्देश जारी होता है और उसमें यह सब स्पष्ट हो जाता है तो उसके बाद वह कोर्ट का रुख करेंगे. कोर्ट में गुहार लगाएंगे कि जिस तरह से उनके अन्य साथी निम्न शैक्षणिक योग्यता पर पदोन्नति पा सकते हैं तो आखिर अब अचानक से इस नियम में बदलाव कर क्यों सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पदोन्नति प्रक्रिया से बाहर किया जा रहा है.