देहरादूनः समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है. उनके निधन पर राज्य आंदोलनकारियों और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी शोक व्यक्त किया है. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर गोलीकांड हुआ था, लेकिन उन्होंने गैरसैंण को स्थापित करने में अहम पहल की थी.
बता दें कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक मुलायम सिंह का उत्तराखंड से विशेष नाता था. वे कभी भी उत्तराखंड राज्य को अलग करने के पक्ष में नहीं थे. उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर यहां के लोग सड़कों पर उतरे. जिसने बाद में एक जन आंदोलन का रूप ले लिया था. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि दूसरी ओर मुजफ्फरनगर कांड की घटना उनके कार्यकाल के दौरान हुई. यही कारण रहा कि समाजवादी पार्टी उत्तराखंड में कभी भी अपना वजूद नहीं बना पाई है.
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों में इस बात की हमेशा पीड़ा रहेगी कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर गोलीकांड जैसी वीभत्स घटना हुई थी. लोहिया आंदोलन के लिए संघर्ष करने वाले मुलायम सिंह ने कभी भी मुजफ्फरनगर कांड की घटना के लिए प्रायश्चित नहीं किया, न ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की पहल की. यह उनके जीवन का कड़वा अध्याय था.
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गैरसैंण राजधानी का पहला ड्राफ्ट तैयार करने में मुलायम का योगदानः प्रदीप कुकरेती (Uttarakhand State Agitator Pradeep Kukreti) ने कहा कि मुलायम सिंह ने रक्षा मंत्री रहते हुए वेतन वृद्धि करते हुए लोगों के दिलों में जगह बनाई थी. वहीं, पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर उन्होंने कौशिक समिति का गठन कर गैरसैंण को स्थापित करने की बात करते हुए बेहतरीन पहल की थी.
वहीं, मुलायम सिंह यादव के निधन पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी (Akhara Parishad President Ravindra Puri) ने भी शोक संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा है कि भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन की सूचना पाकर उन्हें बेहद दुख हुआ है. उनका जीवन बेहद सरल और सादगी से भरा था. उन्होंने अपना पूरा जीवन धोती और कुर्ते में बिताया.