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विश्व ड्रग निषेध दिवस पर एम्स करेगा लोगों को नशावृत्ति के खिलाफ जागरूक

26 जून 2021 को "वर्ल्ड एंटी ड्रग डे" के मौके पर एम्स ऋषिकेश में नशावृत्ति की रोकथाम के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसमें लोगों को नशावृत्ति से होने वाली क्षति को लेकर जागरूक किया जाएगा.

aiims director ravikant
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Published : Jun 22, 2021, 6:32 PM IST

ऋषिकेश: "वर्ल्ड एंटी ड्रग डे" 26 जून 2021 को मनाया जाता है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी "वर्ल्ड एंटी ड्रग डे" के अवसर पर नशावृत्ति की रोकथाम के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. मरीजों व उनके तीमारदारों को नशावृत्ति से होने वाले शारीरिक, मानसिक व सामाजिक क्षति को लेकर जागरूक किया जाएगा.

गौरतलब है कि यह दिवस पूरी दुनिया में वर्ष- 1989 से 26 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है. यह दिन नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ "अंतरराष्ट्रीय ड्रग निषेध दिवस" के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है. दुनियाभर में विभिन्न संगठनों द्वारा प्रत्येक वर्ष इस वैश्विक दिवस को मनाने का उद्देश्य अवैध ड्रग्स की समस्या के बाबत आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाना है. इस दिवस पर इस वर्ष का विषय "शेयर फैक्ट्स ऑन ड्रग्स, सेव लाइव्स" रखा गया है.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि संस्थान में नशावृत्ति के शिकार लोगों के समुचित उपचार के लिए एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी (एटीएफ) शुरू की गई है. इसमें मरीजों को अस्पताल में एडमिशन और OPD सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं. लिहाजा कोई भी नशाग्रस्त रोगी एम्स ऋषिकेश में आकर चिकित्सकीय परामर्श से निःशुल्क और उच्चस्तरीय उपचार ले सकता है. इसके साथ ही एम्स निदेशक ने बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यही है कि हम मादक द्रव्यों, पदार्थों के इस्तेमाल के बारे में और उनसे होने वाली हानि का ज्ञान और तथ्य प्राप्त करके स्वयं और दूसरों के जीवन को बेहतर तरीके से बचा सकें.

ये भी पढ़ेंः IDPL के कोविड केयर हास्पिटल में अब ब्लैक फंगस के मरीजों का भी होगा इलाज

वहीं, एम्स ऋषिकेश के मनोचिकित्सक और एटीएफ (एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी) के नोडल अधिकारी डॉ. विशाल धीमान ने बताया कि वर्ष- 2020 की विश्व ड्रग रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कैनाबिस (भांग/ चरस) सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले नशीले पदार्थ हैं. हालांकि ओपीओइड (स्मैक/हेरोइन/कोकीन) सबसे हानिकारक हैं. यूनाइटेड नेशंस की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में अनुमानित 19.2 करोड़ लोगों ने कैनाबिस का इस्तेमाल किया, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला नशा बन गया.

डॉ. धीमान ने बताया कि नशीली दवाओं का उपयोग करने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर साल 1.18 करोड़ मौतें हो जाती हैं. धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं का प्रयोग शीघ्र मृत्यु के लिए एक महत्वपूर्ण कारण है. इसके परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष लगभग 1.14 करोड़ लोगों की समय से पहले ही मृत्यु हो जाती है. इनमें शराब या नशीली दवाओं से मरने वालों में आधे से अधिक लोग 50 साल से कम उम्र के होते हैं.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की रिपोर्ट (2019) के अनुसार शराब भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम नशा है. राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 14.6 प्रतिशत (10 से 75 वर्ष के आयु वर्ग के बीच) की जनसंख्या शराब का नशा करती है. यह संख्या लगभग 16 करोड़ व्यक्तियों की है, जो देश में शराब का सेवन करते हैं. शराब का उपयोग महिलाओं (1.6%) की तुलना में पुरुषों में (27.3%) काफी अधिक है. देश में शराब के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ हैं कैनाबिस और ओपीओइड्स.

ऋषिकेश: "वर्ल्ड एंटी ड्रग डे" 26 जून 2021 को मनाया जाता है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी "वर्ल्ड एंटी ड्रग डे" के अवसर पर नशावृत्ति की रोकथाम के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. मरीजों व उनके तीमारदारों को नशावृत्ति से होने वाले शारीरिक, मानसिक व सामाजिक क्षति को लेकर जागरूक किया जाएगा.

गौरतलब है कि यह दिवस पूरी दुनिया में वर्ष- 1989 से 26 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है. यह दिन नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ "अंतरराष्ट्रीय ड्रग निषेध दिवस" के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है. दुनियाभर में विभिन्न संगठनों द्वारा प्रत्येक वर्ष इस वैश्विक दिवस को मनाने का उद्देश्य अवैध ड्रग्स की समस्या के बाबत आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाना है. इस दिवस पर इस वर्ष का विषय "शेयर फैक्ट्स ऑन ड्रग्स, सेव लाइव्स" रखा गया है.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि संस्थान में नशावृत्ति के शिकार लोगों के समुचित उपचार के लिए एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी (एटीएफ) शुरू की गई है. इसमें मरीजों को अस्पताल में एडमिशन और OPD सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं. लिहाजा कोई भी नशाग्रस्त रोगी एम्स ऋषिकेश में आकर चिकित्सकीय परामर्श से निःशुल्क और उच्चस्तरीय उपचार ले सकता है. इसके साथ ही एम्स निदेशक ने बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यही है कि हम मादक द्रव्यों, पदार्थों के इस्तेमाल के बारे में और उनसे होने वाली हानि का ज्ञान और तथ्य प्राप्त करके स्वयं और दूसरों के जीवन को बेहतर तरीके से बचा सकें.

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वहीं, एम्स ऋषिकेश के मनोचिकित्सक और एटीएफ (एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी) के नोडल अधिकारी डॉ. विशाल धीमान ने बताया कि वर्ष- 2020 की विश्व ड्रग रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कैनाबिस (भांग/ चरस) सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले नशीले पदार्थ हैं. हालांकि ओपीओइड (स्मैक/हेरोइन/कोकीन) सबसे हानिकारक हैं. यूनाइटेड नेशंस की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में अनुमानित 19.2 करोड़ लोगों ने कैनाबिस का इस्तेमाल किया, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला नशा बन गया.

डॉ. धीमान ने बताया कि नशीली दवाओं का उपयोग करने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर साल 1.18 करोड़ मौतें हो जाती हैं. धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं का प्रयोग शीघ्र मृत्यु के लिए एक महत्वपूर्ण कारण है. इसके परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष लगभग 1.14 करोड़ लोगों की समय से पहले ही मृत्यु हो जाती है. इनमें शराब या नशीली दवाओं से मरने वालों में आधे से अधिक लोग 50 साल से कम उम्र के होते हैं.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की रिपोर्ट (2019) के अनुसार शराब भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम नशा है. राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 14.6 प्रतिशत (10 से 75 वर्ष के आयु वर्ग के बीच) की जनसंख्या शराब का नशा करती है. यह संख्या लगभग 16 करोड़ व्यक्तियों की है, जो देश में शराब का सेवन करते हैं. शराब का उपयोग महिलाओं (1.6%) की तुलना में पुरुषों में (27.3%) काफी अधिक है. देश में शराब के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ हैं कैनाबिस और ओपीओइड्स.

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