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एम्स ऋषिकेश ने रवाना किया 'ट्रॉमा रथ', हेल्थ केयर वर्करों को मिलेगा प्रशिक्षण

एम्स ऋषिकेश ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु को कम करने के उदेश्य से ट्रॉमा रथ को रवाना किया. रथ में मौजूद ट्रॉमा विशेषज्ञ एवं चिकित्सक राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पहुंचकर हेल्थ केयर वर्करों तथा मेडिकल स्टूडेंट्स को ट्रॉमा के प्रति जागरूक कर उन्हें आघात चिकित्सा का प्रशिक्षण देंगे.

AIIMS Rishikesh flagged off trauma chariot
एम्स ऋषिकेश ने रवाना किया 'ट्रॉमा रथ'
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Published : Oct 12, 2021, 10:17 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश ने ट्रॉमा रथ को रवाना किया. यह रथ सप्ताह भर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में जाकर हेल्थ केयर वर्करों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक कर दुर्घटनाओं में घायल लोगों के उपचार को लेकर उन्हें प्रक्षिक्षित करेगा.

विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ी राज्य में आपदाओं के अलावा सड़क दुर्घटनाएं साल दर साल बढ़ रही हैं. इन सड़क दुर्घनाओं में प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है. ट्रॉमा विशेषज्ञों के अनुसार सड़क दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए पहले 3 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि आम लोग सहित हेल्थ केयर वर्करों को दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने और समय रहते उपचार की गहन तकनीक का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए. इन्हीं उद्देश्यों को लेकर एम्स ऋषिकेश ने एक राज्य स्तरीय वृहद कार्यक्रम आयोजित किया है.

इस अभियान के तहत एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल, ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम और गायनी विभाग की हेड प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर एम्स के ’ट्रॉमा रथ’ को रवाना किया.

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा में उमड़ा लोगों का रेला, मंगलवार को 7,416 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

गौरतलब है कि 17 अक्टूबर को ’वर्ल्ड ट्रॉमा डे’ है. प्रत्येक वर्ष विश्वस्तर पर मनाए जाने वाले इस दिवस पर दुर्घटनाओं को रोकने और आघात चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. ट्रॉमा रथ के प्रभारी और एम्स के ट्रॉमा सर्जन डॉ. अजय कुमार एवं डॉ. मधुर उनियाल ने कहा यह कार्यक्रम एम्स ऋषिकेश और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया ट्रॉमा रथ में मौजूद ट्रॉमा विशेषज्ञ व चिकित्सक राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पहुंचकर हेल्थ केयर वर्करों तथा मेडिकल स्टूडेंट्स को ट्रॉमा के प्रति जागरूक कर उन्हें आघात चिकित्सा का प्रशिक्षण देंगे. एम्स ऋषिकेश की पहल पर इस विषय पर राज्यभर के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थान एक ही मंच पर आए हैं.

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करना है. ’डिस्बिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर’ (डेली) पर फोकस यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे पर समाप्त होगा.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश ने ट्रॉमा रथ को रवाना किया. यह रथ सप्ताह भर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में जाकर हेल्थ केयर वर्करों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक कर दुर्घटनाओं में घायल लोगों के उपचार को लेकर उन्हें प्रक्षिक्षित करेगा.

विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ी राज्य में आपदाओं के अलावा सड़क दुर्घटनाएं साल दर साल बढ़ रही हैं. इन सड़क दुर्घनाओं में प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है. ट्रॉमा विशेषज्ञों के अनुसार सड़क दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए पहले 3 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि आम लोग सहित हेल्थ केयर वर्करों को दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने और समय रहते उपचार की गहन तकनीक का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए. इन्हीं उद्देश्यों को लेकर एम्स ऋषिकेश ने एक राज्य स्तरीय वृहद कार्यक्रम आयोजित किया है.

इस अभियान के तहत एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल, ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम और गायनी विभाग की हेड प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर एम्स के ’ट्रॉमा रथ’ को रवाना किया.

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गौरतलब है कि 17 अक्टूबर को ’वर्ल्ड ट्रॉमा डे’ है. प्रत्येक वर्ष विश्वस्तर पर मनाए जाने वाले इस दिवस पर दुर्घटनाओं को रोकने और आघात चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. ट्रॉमा रथ के प्रभारी और एम्स के ट्रॉमा सर्जन डॉ. अजय कुमार एवं डॉ. मधुर उनियाल ने कहा यह कार्यक्रम एम्स ऋषिकेश और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया ट्रॉमा रथ में मौजूद ट्रॉमा विशेषज्ञ व चिकित्सक राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पहुंचकर हेल्थ केयर वर्करों तथा मेडिकल स्टूडेंट्स को ट्रॉमा के प्रति जागरूक कर उन्हें आघात चिकित्सा का प्रशिक्षण देंगे. एम्स ऋषिकेश की पहल पर इस विषय पर राज्यभर के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थान एक ही मंच पर आए हैं.

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करना है. ’डिस्बिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर’ (डेली) पर फोकस यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे पर समाप्त होगा.

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