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अपने इस नए 'हथियार' से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेगा ऋषिकेश एम्स - उत्तराखंड न्यूज

मोनाल डिवाइस को भारत सरकार के उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से तैयार किया गया है. इस डिवाइस का 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है.

ऋषिकेश
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Published : May 5, 2020, 1:17 PM IST

Updated : May 25, 2020, 7:59 PM IST

ऋषिकेश: कोरोना वायरस जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने एक डिवाइस बनाई है. इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. हाथों की घड़ी के आकार की इस डिवाइस का नाम राज्य पक्षी मोनाल के नाम पर रखा गया है.

इस डिवाइस के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमित मरीज के स्वास्थ्य संबंधी वाइटल पैरामीटर्स की जानकारी मरीज के घर पर रहते हुए अस्पताल के कंट्रोल सेंटर में प्रदर्शित होती रहेगी और चिकित्सकों की निगरानी में मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा सकेंगे.

यदि इस डिवाइस से जुड़े किसी मरीज की तबीयत अचानक खराब होती है तो सिस्टम के जरिए तत्काल मॉनिटरिंग टीम को इसकी जानकारी मिल जाएगी और समय रहते मरीज को आपात सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी. इसके साथ ही मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

मोनाल डिवाइस
मोनाल डिवाइस

पढ़ें- रुद्रप्रयाग: थानाध्यक्ष ने बुजुर्ग को हॉस्पिटल ले जाकर कराया इलाज

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस डिवाइस का नाम उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल के नाम पर रखा गया है. यह डिवाइस कोरोना वायरस से लड़ाई में एक क्रांति है जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार की ओर से इस डिवाइस के ​क्रियान्वयन में हरसंभव मदद दी जाएगी.

एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने मुख्यमंत्री को इस डिवाइस के फायदे बताये. इससे हेल्थ केयर वर्कर्स का अनावश्यक संक्रमण से बचाव हो सकेगा. साथ ही पीपीई किट की लगातार बढ़ती जरूरत पर रोक लगेगी. इसके साथ-साथ मरीज को अपने घर पर ही स्वास्थ्य लाभ लेने का अवसर प्राप्त होगा और वह दिन-रात चिकित्सकों की सघन निगरानी में रहेगा.

रविकांत ने बताया कि एक कोरोना मरीज को औसतन 15 दिन अस्पताल में रखने में काफी व्यय आता है. ऐसे में इस डिवाइस की लागत एक दिन के व्यय में ही वसूल हो जाती है. इसके फलस्वरूप संस्थान कम संसाधनों में आसानी से अधिकाधिक मरीजों को चिकित्सा सेवा का लाभ दे सकेंगे.

पढ़ें-CM का आर्थिकी पर विभागीय प्रमुखों संग मंथन, इंदु कुमार पाण्डे ने सौंपी अंतरिम रिपोर्ट

इस डिवाइस को तैयार करने वाली टीम में शामिल डॉ. मोहित ने बताया कि उन्होंने भारत सरकार के उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से इसे तैयार किया है. इस डिवाइस का 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है और जिसके बेहद उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं.

ऋषिकेश: कोरोना वायरस जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने एक डिवाइस बनाई है. इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. हाथों की घड़ी के आकार की इस डिवाइस का नाम राज्य पक्षी मोनाल के नाम पर रखा गया है.

इस डिवाइस के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमित मरीज के स्वास्थ्य संबंधी वाइटल पैरामीटर्स की जानकारी मरीज के घर पर रहते हुए अस्पताल के कंट्रोल सेंटर में प्रदर्शित होती रहेगी और चिकित्सकों की निगरानी में मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा सकेंगे.

यदि इस डिवाइस से जुड़े किसी मरीज की तबीयत अचानक खराब होती है तो सिस्टम के जरिए तत्काल मॉनिटरिंग टीम को इसकी जानकारी मिल जाएगी और समय रहते मरीज को आपात सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी. इसके साथ ही मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

मोनाल डिवाइस
मोनाल डिवाइस

पढ़ें- रुद्रप्रयाग: थानाध्यक्ष ने बुजुर्ग को हॉस्पिटल ले जाकर कराया इलाज

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस डिवाइस का नाम उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल के नाम पर रखा गया है. यह डिवाइस कोरोना वायरस से लड़ाई में एक क्रांति है जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार की ओर से इस डिवाइस के ​क्रियान्वयन में हरसंभव मदद दी जाएगी.

एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने मुख्यमंत्री को इस डिवाइस के फायदे बताये. इससे हेल्थ केयर वर्कर्स का अनावश्यक संक्रमण से बचाव हो सकेगा. साथ ही पीपीई किट की लगातार बढ़ती जरूरत पर रोक लगेगी. इसके साथ-साथ मरीज को अपने घर पर ही स्वास्थ्य लाभ लेने का अवसर प्राप्त होगा और वह दिन-रात चिकित्सकों की सघन निगरानी में रहेगा.

रविकांत ने बताया कि एक कोरोना मरीज को औसतन 15 दिन अस्पताल में रखने में काफी व्यय आता है. ऐसे में इस डिवाइस की लागत एक दिन के व्यय में ही वसूल हो जाती है. इसके फलस्वरूप संस्थान कम संसाधनों में आसानी से अधिकाधिक मरीजों को चिकित्सा सेवा का लाभ दे सकेंगे.

पढ़ें-CM का आर्थिकी पर विभागीय प्रमुखों संग मंथन, इंदु कुमार पाण्डे ने सौंपी अंतरिम रिपोर्ट

इस डिवाइस को तैयार करने वाली टीम में शामिल डॉ. मोहित ने बताया कि उन्होंने भारत सरकार के उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से इसे तैयार किया है. इस डिवाइस का 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है और जिसके बेहद उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं.

Last Updated : May 25, 2020, 7:59 PM IST
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